Uttarakhand Forest Fire News: उत्तराखंड में जंगलों की आग बुझाने को गठित होंगे अग्नि सुरक्षा दस्ते
Uttarakhand Forest Fire News पर्यावरणीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड के जंगलों में आग से बड़े पैमाने पर वन संपदा को क्षति पहुंचने का अहसास सरकार को भी हुआ है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर अब अग्नि प्रबंधन को लेकर नए सिरे से कार्ययोजना तैयार की जा रही है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 06 Apr 2021 06:05 AM (IST)
केदार दत्त, देहरादून। Uttarakhand Forest Fire News पर्यावरणीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड के जंगलों में आग से बड़े पैमाने पर वन संपदा को क्षति पहुंचने का अहसास सरकार को भी हुआ है। इस वर्ष बेकाबू हुई वनों की आग को देखते हुए मुख्यमंत्री के निर्देश पर अब अग्नि प्रबंधन को लेकर नए सिरे से कार्ययोजना तैयार की जा रही है। इसके तहत निकट भविष्य में अग्नि सुरक्षा दस्तों के गठन पर गंभीरता से विचार चल रहा है। ब्लाक व न्याय पंचायत स्तर पर गठित किए जाने वाले इन दस्तों में स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण देकर बतौर फायर फाइटर शामिल किया जाएगा। साथ ही उन्हें वनों में अग्नि नियंत्रण के मद्देनजर जरूरी साजोसामान, उपकरण समेत अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।
उत्तराखंड में पिछले 10 वर्षों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो हर साल औसतन दो हजार हेक्टेयर से अधिक जंगल को आग से नुकसान पहुंच रहा है। इस मर्तबा तो आग के लिहाज से वर्ष 2016 जैसे हालात पैदा हो गए हैं। तब फरवरी से जून तक आग से 4400 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा था। इस मर्तबा तो सर्दियों से ही जंगल धधक रहे हैं। अब तक करीब 1360 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंच चुका है और आग थमने का नाम नहीं ले रही है। 2016 की भांति इस बार भी आग बुझाने में वायुसेना की मदद ली जा रही है। इन सब परिस्थितियों ने वनों की आग पर नियंत्रण के लिए नए सिरे से सोचने पर विवश किया है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने जंगलों को आग से बचाने के लिए प्रभावी कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए है। इसे देखते हुए वन महकमा अब प्रस्तावित कार्ययोजना का खाका खींचने में जुट गया है। वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) राजीव भरतरी के अनुसार मौसम में उतार-चढ़ाव के साथ ही जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए आने वाले दिनों में जंगलों को आग से बचाने के लिए अलग तरह से रणनीति अपनानी आवश्यक है।
पीसीसीएफ के मुताबिक प्रस्तावित कार्ययोजना में अग्निशमन विभाग की तरह वन विभाग में अग्नि सुरक्षा दस्तों के गठन पर गंभीरता से विचार चल रहा है। उन्होंने बताया कि अग्नि सुरक्षा दस्तों में कुछ वनकर्मियों के साथ ही स्थानीय युवाओं को शामिल किया जाएगा। इन दस्तों को विधिवत प्रशिक्षण देकर उन्हें आवश्यक उपकरण समेत अन्य सुविधाएं दी जाएंगी। इन दस्तों की सेवाएं आग के लिहाज से बेहद संवेदनशील वक्त यानी फरवरी से जून तक ली जा सकेंगी। इसके अलावा कहीं भी जंगल में आग लगने पर ये दस्ते तुरंत इसे बुझाने में जुटेंगे। उन्होंने बताया कि विदेशों में भी इस तरह के प्रयोग सफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही कार्ययोजना का मसौदा तैयार कर सरकार को सौंपा जाएगा।
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