यहां इलाज को आ रहे मरीजों के साथ हो रहा ऐसा, चौंक जाएंगे आप
दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में एक से एक अजीब वाकये हो रहे हैं। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि कर्मचारी किसी के भी कहे-सुने में नहीं हैं और मनमानी पर उतारु हैं।
By BhanuEdited By: Updated: Thu, 07 Mar 2019 09:06 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में एक से एक अजीब वाकये हो रहे हैं। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि कर्मचारी किसी के भी कहे-सुने में नहीं हैं और मनमानी पर उतारु हैं। इसकी एक बानगी यहां दिखाई दी। जहां ऑर्थो सहायक कर्मचारी ड्रेसिंग रूम की चाबी लेकर घर चला गया। इससे मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ी।
अस्पताल के ऑर्थो ड्रेसिंग रूम का सहायक कर्मचारी चाबी लेकर घर चला गया। जिस कारण मरीज ड्रेसिंग रूम के बाहर अपनी बारी का इंतजार कई घंटे तक करते रहे। तीन घंटे इंतजार के बाद जब मरीजों और तीमारदारों का धैर्य जवाब दे गया। तब वह शिकायत करने चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा के पास पहुंचे। उन्होंने स्टाफ को फटकार लगाई और ड्रेसिंग रूम खुलवाया।टेक्नीशियन ने महिला के मुंह पर दे मारा पर्चा
डॉक्टर व स्टाफ सेवा भाव से कार्य करें और मधुर व्यवहार रखें तो मरीज की आधी बीमारी यूं ही दूर हो जाती है। पर दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सक-कर्मचारियों को यह सामान्य सी बात भी समझ नहीं आती। रेडियोलॉजी विभाग में हुई घटना का ही उदाहरण लीजिए।
यहां एक महिला अल्ट्रासाउंड के लिए करीब दो घटे से अपनी बारी का इंतजार कर रही थी। महिला ने सिर्फ इतना पूछा कि नंबर कितनी देर में आएगा। आरोप है कि वहां मौजूद महिला टेक्नीशियन इस पर भड़क गई और उसने पर्चा महिला के मुंह पर दे मारा।
इससे नाराज महिला ने चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा से मामले की शिकायत की है। उन्होंने रेडियोलॉजी केंद्र के प्रभारी महेंद्र भंडारी को जाच के आदेश दिए हैं। साथ ही टेक्नीशियन से स्पष्टीकरण तलब किया है। यह घटना बुधवार दोपहर करीब एक बजे की है।
किशननगर चौक निवासी हीना खान पत्नी फिरोज खान इलाज के लिए अस्पताल आई थी। वहां डॉक्टर ने उन्हें अल्ट्रासाउंड कराने को कहा। आरोप है कि दो घटे बाद भी जब उनका नंबर नहीं आया तो उन्होंने वहा मौजूद टेक्नीशियन से केवल इतना ही पूछा कि नंबर कितनी देर में आएगा। बस इसी पर टेक्नीशियन गुस्सा हो गई और पर्चा उसके मुंह पर मार दिया। इस पर हीना डॉक्टर के पास पहुंची।डॉक्टर ने उन्हें चिकित्सा अधीक्षक के पास भेज दिया। चिकित्सा अधीक्षक के पास बैठे कुछ अन्य लोगों ने भी टेक्नीशियन की शिकायत की। इस पर चिकित्सा अधीक्षक ने टेक्नीशियन को फोन किया तो यह कॉल डायवर्ट पर मिला। इस पर उन्होंने रेडियोलॉजी प्रभारी महेंद्र भंडारी को फोन कर जांच करने के साथ ही टेक्नीशियन से स्पष्टीकरण मागा। डॉ. टम्टा का कहना है कि मरीजों के साथ दुर्व्यवहार किसी भी हाल में सहा नहीं जाएगा। संतोषजनक उत्तर न मिलने पर निलंबन की कार्रवाई की जाएगी।
नई ओपीडी में पहले ही दिन पसरा सन्नाटा
दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय की नई ओपीडी में पहले ही दिन सन्नाटा पसर गया। मरीजों की बात छोडि़ए, डॉक्टर ही नहीं पहुंचे। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने ओपीडी का जायजा लिया तो यह स्थिति देख उनका पारा चढ़ गया। उन्होंने चिकित्सक-कर्मचारियों की जमकर क्लास ली। इसके बाद ही कुछ डॉक्टर ओपीडी में पहुंचे। भले ही दून अस्पताल के नए ओपीडी ब्लॉक का लोकार्पण हो गया, पर डॉक्टर यहां बैठने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। बुधवार को यहां यही स्थिति रही। बताया गया कि शुक्रवार से यहां डॉक्टर नियमित रूप से बैठेंगे।
चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि बाल रोग, ईएनटी, मनोरोग, चर्म रोग की ओपीडी पूरी तरह से शिफ्ट की जा रही है। इन चार विभाग के सभी चिकित्सक शुक्रवार से अपनी शिफ्ट के हिसाब से मरीजों को देखेंगे। कुछ समय बाद पुरानी बिल्डिंग से सभी विभागों की पूरी ओपीडी नई बिल्डिंग में शिफ्ट होगी। सूत्रों के अनुसार, पहले चार विभाग के एक-एक चिकित्सक की ड्यूटी लगाई जा रही थी, लेकिन उनके विरोध के बाद अब सभी चिकित्सकों को नई बिल्डिंग में बैठने के निर्देश दिए गए हैं।
ओवरब्रिज या अंडरपास दून अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग को नई बिल्डिंग से जोडऩे के लिए अस्पताल प्रशासन ने सरकार से ओवरब्रिज या अंडरपास में से एक सुविधा देने की मांग की है। शुरुआत में कुछ मरीजों को पुरानी और नई बिल्डिंग में दोनों जगह पर काम पड़ सकता है। ऐसे में मरीजों को इधर-उधर न भटकना पड़े, इसके लिए एक लिंक साधन होना आवश्यक है। इसके लिए ओवरब्रिज या अंडरपास की जरूरत होगी।
सीएमएस का पद ढो रहा दून मेडिकल कॉलेजदून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय दोहरी व्यवस्था का मर्ज झेल रहा है। दून अस्पताल व दून महिला अस्पताल को करीब तीन साल पहले मेडिकल कॉलेज में तब्दील कर दिया गया। इसके बाद अस्पताल चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधीन आ गया। पर ताज्जुब देखिए कि नियम-कायदे अब भी स्वास्थ्य विभाग के चल रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में सीएमएस का कोई पद ही नहीं है, पर महिला अस्पताल में सीएमएस तैनात हैं।
वर्ष 2015 में दून व दून महिला अस्पताल को मेडिकल कॉलेज के टीचिंग अस्पताल में तब्दील कर दिया गया। एससीआइ के मानकों के तहत महिला अस्पताल को स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग का दर्जा दिया गया। मेडिकल कॉलेज में किसी भी विभाग का एक विभागाध्यक्ष होता है। यहां भी है, पर इससे अलग महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. मीनाक्षी जोशी अभी भी इस पद पर बनी हैं। जबकि नियमत: ऐसा कोई पद मेडिकल कॉलेज में नहीं है। अस्पताल को एक यूनिट के रूप में देखें तो डॉ. केके टम्टा चिकित्सा अधीक्षक के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। जब चिकित्सा अधीक्षक है, तो मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का क्या औचित्य यह अधिकारियों से भी बताते नहीं बन रहा। आलम यह कि इस कारण तमाम व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि मेडिकल कॉलेज में सीएमएस का कोई पद नहीं है। मैने इस विषय में जानकारी ली है। बताया गया कि किसी पूर्व आदेश के तहत यह व्यवस्था चल रही है। इस बारे में शासन को पत्र भेजा जा रहा है। ताकि इस आदेश को निरस्त किया जा सके। मीडिया को परिवार से मिलने से रोका महिला अस्पताल में तानाशाही भी चल रही है। अधिकारी व्यवस्थाएं सुधारने में उतनी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे, जितना मीडिया को अस्पताल से दूर रखने में। बुधवार को बच्चा बदलने के आरोप में हंगामे की खबर प्रकाशित होने के बाद महिला अस्पताल के अधिकारियों ने मीडिया से मुंह मोड़ लिया। सुरक्षाकर्मियों को ताकीद कर दी गई कि मीडिया को पीडि़त परिवार के पास न जाने दें। बताया गया कि मीडिया को वार्ड में जाने की मनाही है। अस्पताल प्रशासन इससे पहले भी इस तरह का कदम उठा चुका है।यह भी पढ़ें: आयुष्मान योजना के दायरे में उत्तराखंड के हर परिवार, जानिए खासियतयह भी पढ़ें: उत्तराखंड में दो माह में बने 25 लाख गोल्डन कार्ड, इतनों का हुआ उपचारयह भी पढ़ें: आयरिस मशीन के बिना नहीं बन पा रहे स्वास्थ्य गोल्डन कार्ड, लोग परेशान
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