उत्तराखंड: देहरादून और गैरसैंण में मिलेगी सुकून की छांव, जानिए क्या है योजना
राजधानी के लिहाज से देहरादून और गैरसैंण को पार्क-पौधारोपण सौंदर्यीकरण ईको टूरिज्म और मानव-वन्यजीव संघर्ष न्यूनीकरण के माडल के रूप में विकसित करने की दिशा में कदम उठाने की तैयारी है। वन महकमे ने इस संबंध में कार्ययोजना बनाने की कवायद शुरू कर दी है।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Wed, 10 Mar 2021 11:06 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, देहरादून। अस्थायी राजधानी देहरादून और ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में जल्द ही हरेक व्यक्ति को सुकून की छांव नसीब हो सकेगी। राजधानी के लिहाज से दोनों स्थानों को पार्क-पौधारोपण, सौंदर्यीकरण, ईको टूरिज्म और मानव-वन्यजीव संघर्ष न्यूनीकरण के माडल के रूप में विकसित करने की दिशा में कदम उठाने की तैयारी है। वन महकमे ने इस संबंध में कार्ययोजना बनाने की कवायद शुरू कर दी है। प्रमुख मुख्य वन संरक्षक राजीव भरतरी के मुताबिक इस संबंध में जल्द ही बैठक बुलाई गई है।
बेहतरीन आबोहवा के लिए प्रसिद्ध देहरादून शहर में सुकून की छांव के लिए पार्क, पौधारोपण, सौंदर्यीकरण समेत अन्य पहलुओं को लेकर वन महकमा कदम तो उठा रहा, मगर इनमें समग्रता का अभाव है। जिस तरह बेंगलुरू को सुंदर बनाने में वहां के वन विभाग का योगदान रहा, वैसा यहां नजर नहीं आता है। वह भी तब, जबकि देहरादून उत्तराखंड की अस्थायी राजधानी है। इसे देखते हुए महकमे ने अब जाकर इस दिशा में समग्रता से कदम उठाने की ठानी है।
इसके तहत न सिर्फ देहरादून, बल्कि ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में भी संरक्षण (पार्कों का निर्माण, विभिन्न स्थानों पर पौधारोपण), सौंदर्यीकरण, इन स्थानों से लगे वन क्षेत्रों में प्रकृति आधारित पर्यटन (ईको टूरिज्म) के अलावा मानव-वन्यजीव संघर्ष न्यूनीकरण के लिए कदम उठाए जाएंगे। उत्तराखंड वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक राजीव भरतरी के अनुसार इन चार बिंदुओं पर फोकस किए जाने से जहां देहरादून व गैरसैंण में स्थानीय निवासियों के साथ ही सैलानियों को सुकून की छांव उपलब्ध होगी, वहीं वे प्रकृति के संरक्षण के लिए भी प्रेरित होंगे।
उन्होंने बताया कि चारों बिंदुओं पर दोनों स्थानों को माडल के रूप में विकसित किया जाएगा। इस सिलसिले में प्रभावी कार्ययोजना तैयार करने के संबंध में विभागीय अधिकारियों की जल्द ही बैठक बुलाई गई है। उन्होंने कहा कि इस पहल के धरातल पर आकार लेने के बाद इसे अन्य शहरों में भी धरातल पर उतारने में मदद मिलेगी। यह भी पढ़ें- यहां महिलाओं ने खड़ा किया बांज का दो हेक्टेयर जंगल, 22 साल पहले पहाड़ी पर रोपे थे पौधे
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