युवाओं को साधने की जुगत, शिक्षा में शिक्षा में संस्कार और स्वरोजगार पर भी फोकस
आर्यन के ने पिछले दिनों छात्र संघ समारोह के लिए सीएम को निमंत्रण भेजा जिसे मुख्यमंत्री ने स्वीकार कर समारोह में प्रतिभाग किया। इसे युवाओं को साधने के रूप में भी देखा जा रहा है।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Wed, 12 Feb 2020 08:50 PM (IST)
देहरादून, अशोक केडियाल। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विरोधी आर्यन छात्र संगठन का इस बार हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि छात्र संघ पर कब्जा है। आर्यन के ने पिछले दिनों छात्र संघ समारोह के लिए सीएम को निमंत्रण भेजा, जिसे मुख्यमंत्री ने स्वीकार कर समारोह में प्रतिभाग किया। सीएम और सरकार के दो-दो मंत्री सतपाल महाराज और डॉ. धन सिंह रावत की समारोह में मौजूदगी ने आर्यन का उत्साह बढ़ा दिया। सीएम के छात्र संघ समारोह में आने से यह संदेश गया कि राज्य के मुखिया खुद को सभी छात्रों के अभिभावक के रूप में देखते हैं। हालांकि राजनीति के जानकार मानते हैं कि सीएम का श्रीनगर छात्रों के बीच जाना स्थानीय विधायक और 'शिक्षा मंत्री जी' के लिए आगामी विधानसभा चुनाव से पूर्व जमीन तैयार करने की कवायद है। लगे हाथों शिक्षा मंत्री ने सीएम और खुद को विवि का छात्र होने का हवाला देकर श्रीनगर से पुराने नाते की दुहाई दी।
शिक्षा में संस्कार और स्वरोजगार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति यदि वास्तव में छात्रों के फेल-पास करने तक ही सीमित न होकर स्वरोजगार देने वाली है तो यह देश में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की दिशा में किया गया सार्थक प्रयास है। शिक्षाविद व अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का शीर्ष नेतृत्व यदि मंच से छात्रों को यह भरोसा दिलाता है कि नई शिक्षा नीति से देश में रोजगार के द्वार खुलेंगे तो इसे राजनीति से प्रेरित बयान नहीं कहा जा सकता है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा से जुड़े अभाविप के हजारों शिक्षाविद पिछले तीन दशकों से देश की शिक्षा को 'संस्कार' और 'स्वरोजगार' से जोड़ने की वकालत करते आ रहे हैं। आरएसएस से जुड़े मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने भी संकेत दिया है कि देश की नई शिक्षा नीति ऐसी हो, जो छात्रों के लिए जीवनोपयोगी हो। देश की शिक्षा को केवल डिग्री प्राप्त करने तक सीमित नहीं किया जा सकता है।
छात्रों की 'लक्ष्मण रेखा' तय शिक्षा मंत्री ने प्रदेश के डिग्री कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के लिए नई लक्ष्मण रेखा तय कर दी। छात्रों को तभी परीक्षा में बैठने दिया जाएगा, जब उनकी वार्षिक उपस्थिति 203 दिन से ऊपर होगी। पहले यह सीमा 180 दिन निर्धारित की गई थी। लेकिन 'मंत्री जी' का मानना है कि दाखिला लिया है तो कॉलेज भी आना होगा।
हालांकि, मंत्री जी ने यह भी साफ कर दिया कि वर्ष 2019 में 23 हजार छात्र-छात्राएं ऐसे पाए गए, जो साल में 180 दिन भी कॉलेज नहीं आए। मंत्री जी के निर्देश पर कम उपस्थिति वाले छात्रों के अभिभावकों को पत्र भेजे गए और छात्रों को सुधरने की चेतावनी दी गई। इस बार मंत्री जी मोहलत देने के मूड में नहीं हैं। उन्होंने साफ कर दिया, जिसकी उपस्थिति कम हुई वह छात्र परीक्षा से वंचित कर दिया जाएगा। देखना होगा कि मंत्री जी के आदेश परवान चढ़ते हैं या नहीं।
यह भी पढ़ें: नजराना जो न बन सका नजीर, ये फसाना अब तक रहा हर सरकार काहिमालय जैसी विराट चुनौती सामने दून विश्वविद्यालय में चल रहे डॉ. नित्यानंद हिमालय शोध संस्थान और अध्ययन केंद्र के सामने चुनौतियां हिमालय जैसी विराट हैं। चुनौती दो तरह की हैं, एक तो 26 हजार किलोमीटर में फैले हिमालय क्षेत्र पर शोध और अध्ययन करना होगा, दूसरा संस्थान ऐसी देवतात्मा हिमालय के आराधक डॉ.नित्यानंद को समर्पित है, जिन्होंने अपने संपूर्ण को जीवन हिमालय के लिए समर्पित कर दिया। उनके उत्कृष्ट लेखन, चिंतन व साधना से देश-प्रदेश की भावी पीढ़ी प्रेरणा लेगी, ऐसी आशा की जा रही है।
यह भी पढ़ें: वीरान घरों को संवारकर स्वरोजगार की अलख जगाते दो युवाडॉ. नित्यानंद ने हिमालय के बढ़ते खतरों को काफी समय पहले ही भांप लिया था, इसीलिए उन्होंने अपने लेखों में इस बात का विशेष उल्लेख भी किया कि 'भारत माता का दिव्य-भाल हिमालय यदि जन शून्यता की ओर जा रहा है तो यह राष्ट्रीय चिंता का गंभीर विषय है।' अब शोध और अध्ययन संस्थान को जन शून्यता रोकने की दिशा में ठोस पहल करनी होगी, तभी उसकी सार्थकता सिद्ध होगी।
यह भी पढ़ें: जनता का जीतेंगे भरोसा, ट्रैफिक आई उत्तराखंड मोबाइल एप बनकर हुआ तैयार
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।