भूकंपीय अध्ययन को सिस्मिक स्टेशन बढ़ाने की है जरूरत
एशियन सिस्मिोलॉजिकल कमीशन के अध्यक्ष डॉ. परमेश बनर्जी ने देश में भूकंपीय अध्ययन को बढ़ाने के लिए सिस्मिक स्टेशन के नेटवर्क को बढ़ाने पर बल दिया।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sat, 08 Jun 2019 08:07 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान में तीन दिवसीय जियो-रिसर्च स्कॉलर्स मीट शुरू हो गई है। मीट में जुटे देशभर के शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए और यह सिलसिला अगले दो दिन और चलेगा। इस अवसर पर एशियन सिस्मिोलॉजिकल कमीशन के अध्यक्ष डॉ. परमेश बनर्जी ने देश में भूकंपीय अध्ययन को बढ़ाने के लिए सिस्मिक स्टेशन के नेटवर्क को बढ़ाने पर बल दिया।
स्कॉलर्स मीट का उद्घाटन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की संयुक्त सचिव अंजू भल्ला, वाडिया संस्थान के निदेशक डॉ. कलाचंद सांई और यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल ने संयुक्त रूप से किया। वहीं, किसी कारणवश कार्यक्रम में उपस्थित न होने के बावजूद विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव आशुतोष शर्मा ने ऑनलाइन शोधार्थियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि देश के बेहतर भविष्य के लिए युवाओं के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी है और उम्मीद है कि वह इसका बखूबी निर्वहन भी करेंगे।
उन्होंने ग्लेशियोलॉजी के क्षेत्र में वाडिया संस्थान को और अधिक अध्ययन करने के निर्देश दिए। इस अवसर पर संयुक्त सचिव ने युवा वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वह आम आदमी को जोडऩे वाले शोध कार्यों पर अधिक फोकस करें। तकनीकी सत्र-एक में विचार रखते हुए एशियन सिस्मिोलॉजिकल कमीशन के अध्यक्ष डॉ. परमेश बनर्जी ने कहा कि देश में व्यवस्थित रूप से सिस्मिक नेटवर्क का अभाव है। इसके लिए भूकंपीय अध्ययन उतने प्रभावी नहीं हो पा रहे। इसके अध्ययन को बेहतर बनाने के लिए थ्री-डी मैपिंग भी नहीं की जा रही, जबकि नेपाल में भूकंप आने के बाद वहां इस दिशा में तेजी से काम चल रहा है। इस बात का समर्थन करते हुए वाडिया संस्थान के निदेशक डॉ. सांई ने कहा कि वैसे तो देश में हजारों की संख्या में सिस्मिक स्टेशन हैं, मगर इनका डाटा संबंधित संस्थानों तक ही सीमित है। इस तरह के प्रयास किए जाएंगे कि डाटा को एकीकृत रूप में प्रयोग में लाया जाए। क्योंकि आखिरकार सभी संस्थान देश के लिए ही काम कर रहे हैं।
विभिन्न तकनीकी सत्र में देशभर से आए विशेषज्ञों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए और शोधार्थियों ने भी पत्रों और पोस्टरों के माध्यम से बताया कि जियो-रिसर्च को लेकर उन्होंने क्या-क्या काम किए हैं। इस अवसर पर उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट, डॉ. राजेश शर्मा, डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव, डॉ. डीपी डोभाल, डॉ. समीर तिवारी आदि उपस्थित रहे। यह भी पढ़ें: एम्स ऋषिकेश में प्रोस्टेट कैंसर की रोबोटिक सर्जरी है उपलब्ध, जानिए प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण
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