सात समुंदर पार भी पीएम के स्वच्छता अभियान की गूंज, यहां विदेशी करे रहे सफार्इ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान की गूंज सात समुंदर पार भी है। चमोली जिले में विदेशी पर्यटक स्वच्छता अभियान चला रहे हैं।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Tue, 13 Nov 2018 04:18 PM (IST)
देहरादून, [देवेंद्र रावत]: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सफाई अभियान से सात समुंदर पार के लोग भी प्रेरित हो रहे हैं। पांच देशों के पर्यटक तो चमोली जिले के पर्यटन स्थलों में बाकायदा सफाई अभियान चलाकर स्वच्छता का संदेश दे रहे हैं। भारतीय मूल की जर्मन नागरिक पूनम रावत हाने के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, अमेरिका और जर्मनी के पर्यटकों का दस सदस्यीय दल इन दिनों जिले में ट्रैकिंग के साथ पर्यटन स्थलों से प्लास्टिक का कचरा एकत्र कर रहा है। इस कचरे को नष्ट करने के लिए स्थानीय प्रशासन के सुपुर्द किया जा रहा है।
दल ने नौ नवंबर को चोपता व चंद्रशिला और दस नवंबर को मंडल से माता अनुसूया देवी मंदिर तक सात किमी क्षेत्र में स्वच्छता अभियान चलाया। दल प्रमुख पूनम रावत हाने का कहना है कि विदेशों में सफाई दिनचर्या का हिस्सा है। लेकिन, भारत में कूड़े को यहां-वहां फेंकना मानो फैशन बन गया है। हालांकि, प्रधानमंत्री सफाई को अभियान का स्वरूप दे चुके हैं, फिर भी कूड़ा निस्तारण के मामले में भारतीय विदेशियों से कहीं पीछे हैं। सफाई अभियान में शामिल अमेरिका निवासी क्रिस्टीन कहती हैं, जब हमें ट्रैकिंग के साथ सफाई के भी अभियान का हिस्सा होने की बात पता चली तो हमारा उत्साह दोगुना हो गया। क्योंकि, स्वच्छता प्रकृति के साथ खुद के स्वास्थ्य के लिए भी बेहद जरूरी है।
शहर-गांवों में पसरी है गंदगी
आयरलैंड (ब्रिटेन) निवासी एवं पेशे से फोटोग्राफर मार्क का कहना है कि खूबसूरती भारत के इन पहाड़ों में कूट-कूटकर भरी है। जबकि, यहां के शहर और गांवों में गंदगी पसरी हुई है। सरकार को चाहिए कि गंदगी फैलाने वालों के खिलाफ सख्ती से पेश आए। उन पर जुर्माना आयद किया जाए।
सरीना दे रही बेटी को संस्कारों की सीख
फिलीपींस में व्यापार करने वाली भारतीय मूल की सरीना अपनी सात वर्षीय बेटी जोय के साथ इस अभियान का हिस्सा बनी हैं। कहती हैं, 'तीर्थाटन, पर्यटन व ट्रैकिंग के साथ सफाई अभियान में शामिल होना मेरे लिए खुशी की बात है। सामाजिक सरोकारों से जुड़कर मेरी बेटी में भी संस्कारों का विकास होगा और वह जीवन को बेहतर ढंग से समझ पाएगी।'प्रकृति का उपहार है स्वच्छता
जर्मनी के बिंगन शहर की रहने वाली क्रिस्टिंग पेशे से शिक्षक हैं। कहती हैं, स्वच्छता तो प्रकृति का उपहार है, लेकिन हम इसकी अहमियत नहीं समझ पा रहे और प्रकृति को बदरंग करने में जुटे हैं। अभियान से जुड़ी आस्ट्रेलिया की मिशेल व बियांका और देहरादून (भारत) के शैलेश व कीर्ति भी सफाई का मूलमंत्र ग्रामीणों को दे रहे हैं। उन्होंने गोपेश्वर समेत आसपास के गांवों डुंगरी, कुजौं, मैकोट व कोटेश्वर में जाकर स्कूली बच्चों और ग्रामीणों के बीच स्वच्छता के फायदे गिनाए।पूनम का संक्षिप्त परिचय
जर्मनी निवासी पूनम रावत हाने मूलरूप से चमोली जिले के पोखरी विकासखंड के गुनियाला गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता भारतीय सेना में अधिकारी थे। जबकि, पति थामस हाने जर्मनी के डोएच बैंक में आइटी प्रोजेक्ट मैनेजर हैं। पूनम के दो बच्चे हैं। यह भी पढ़ें: 'अंधेर' नगर निगम, 'चौपट' सफाई व्यवस्था, स्वच्छता सर्वेक्षण ने खोली पोल
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