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वन निगम ने 14 लाख का सामान लुटाया, अब पीट रहे लकीर; जानिए पूरा मामला

वन विकास निगम ने पूर्व अध्यक्ष हरीश धामी के आवास के लिए 14 लाख रुपये की जो साजो-सामान खरीदा गया था उसे कार्यालय के रिकॉर्ड में तक दाखिल नहीं कराया गया।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Mon, 04 Nov 2019 08:33 PM (IST)
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वन निगम ने 14 लाख का सामान लुटाया, अब पीट रहे लकीर; जानिए पूरा मामला
देहरादून, जेएनएन। वन विकास निगम ने पूर्व अध्यक्ष हरीश धामी के आवास के लिए 14 लाख रुपये की जो साजो-सामान खरीदा गया था, उसे कार्यालय के रिकॉर्ड में तक दाखिल नहीं कराया गया। वर्ष 2016-17 में जब उनका कार्यकाल खत्म हुआ तो सामान को वापस भी नहीं लिया गया। अब जब आरटीआइ में मामला दोबारा सूचना आयोग पहुंचा तो दिखावे के लिए अगस्त 2019 में सामान वापसी के लिए पूर्व अध्यक्ष को पत्र भेजकर कर्तव्यों की इतिश्री कर दी गई। 

यह जानकारी आरटीआइ क्लब के महासचिव एएस धुन्ता की ओर से मांगी गई थी। पूर्व के आदेश में आयोग ने निगम के लोक सूचनाधिकारी को स्पष्ट सूचनाएं देने को कहा था। क्योंकि आरटीआइ में सामान की सूची के अलावा उसकी वर्तमान स्थिति का पता नहीं चल पा रहा था। इसके बाद भी जब सूचना नहीं मिली तो उन्होंने आयोग में शिकायत कर दी। 

मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने शिकायत की सुनवाई करते हुए लोक सूचनाधिकारी को दोबारा नोटिस जारी किए। तब जाकर पता चला कि कार्यालय में सामान दाखिल ही नहीं कराया गया और सीधे पूर्व अध्यक्ष के आवास पर भेज दिया गया। सिर्फ कहनेभर को स्टोर कीपर के रजिस्टर में सामान की एंट्री करा दी गई। लिहाजा, आयोग ने इस एंट्री की सत्यता पर भी सवाल खड़े कर दिए। आयोग के समक्ष यह बात भी उठी कि जब अध्यक्ष का कार्यकाल वर्ष 2016-17 में समाप्त हो गया था, तो तभी क्यों नहीं सामान वापस ले लिया गया। क्योंकि अगस्त 2019 में सामान वापसी को पत्र भेजना महज रस्म निभाने जैसा है। 

तत्कालीन सूचनाधिकारी पर तीन हजार जुर्माना 

सूचना देने में हीलाहवाली करने पर मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने तत्कालीन लोक सूचनाधिकारी नियोजन और मूल्यांकन अधिकारी त्रिलोक चंद्र पर तीन हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। इसकी वसूली उनके जनवरी माह के वेतन से किए जाने के आदेश प्रबंध निदेशक को दिए गए। 

कहां गया सामान और कैसे दे दी एनओसी 

14 लाख रुपये के सामान का कहीं पता नहीं है और जब हरीश धामी ने विधानसभा चुनाव लड़ा तो उन्हें वन निगम ने एनओसी भी जारी कर दी। ऐसे में निगम के अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। 

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यह सामान खरीदा, जिसका पता नहीं (रु. में) 

नवंबर 2016, दो मैकबुक (3.99 लाख) 

दिसंबर 2016, दो आइफोन (2.01 लाख) 

नवंबर 2016, कंप्यूटर (49.05 हजार) 

जुलाई 2016, अलमारी (47.67 हजार) 

मई 2016, फ्रिज (30.015 हजार) 

जून 2015, फ्रिज (37.5 हजार) 

अगस्त 2015, दो मोबाइल (63 हजार) 

अगस्त 2015, पांच डेस्कटॉप (49.9 हजार) 

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