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उत्‍तराखंड में लीफ ब्लोअर से बुझेगी आग, ड्रोन करेगा निगरानी

कोशिशें परवान चढ़ी तो मध्य प्रदेश महाराष्ट्र बिहार व छत्तीसगढ़ की भांति उत्तराखंड में भी जंगल की आग पर नियंत्रण के लिए लीफ ब्लोअर का उपयोग किया जाएगा। साथ ही आसमान से जंगलों पर निगरानी रखने में ड्रोन महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Wed, 07 Apr 2021 06:05 AM (IST)
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उत्तराखंड में भी जंगल की आग पर नियंत्रण के लिए लीफ ब्लोअर का उपयोग किया जाएगा।
केदार दत्त, देहरादून। कोशिशें परवान चढ़ी तो मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार व छत्तीसगढ़ की भांति उत्तराखंड में भी जंगल की आग पर नियंत्रण के लिए लीफ ब्लोअर का उपयोग किया जाएगा। साथ ही आसमान से जंगलों पर निगरानी रखने में ड्रोन महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इस सिलसिले में वन महकमे ने राज्य संकट मोचक निधि (एसडीआरएफ) से आग की दृष्टि से संवेदनशील श्रेणी में शामिल 442 क्रू-स्टेशनों के लिए एक-एक लीफ ब्लोअर और 240 रेंजों के लिए एक-एक ड्रोन उपलब्ध कराने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। इस पर मंथन प्रारंभ हो गया है।

उत्तराखंड में जंगलों की आग हर साल ही बड़े पैमाने पर वन संपदा को लील रही है, मगर इस पर नियंत्रण को कारगर हथियार आज भी झांपा (पत्तीयुक्त हरी टहनियों को तोड़कर बनाया जाने वाला झाड़ू) ही कारगर है। इस मर्तबा आग ने विकराल रूप धारण किया तो विभाग ने इससे सबक लेते हुए आग बुझाने को आधुनिक उपकरणों की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। इस कड़ी में विभाग ने आग की घटनाओं के अनुश्रवण व प्रबंधन को फील्ड में स्थापित क्रू-स्टेशनों और रेजों के लिए आधुनिक उपकरणों के तहत लीफ ब्लोअर व ड्रोन उपलब्ध कराने का प्रस्ताव शासन को भेजा है।

लीफ ब्लोअर का ट्रायल वर्ष 2017 में राजाजी नेशनल पार्क में सफल रहा था। लीफ ब्लोअर से एक घंटे में एक किलोमीटर फायर लाइन की सफाई करने के साथ ही नई फायर लाइन काटी जा सकती है। इसके अलावा विभिन्न राज्यों में भी इसका प्रयोग अग्नि नियंत्रण में हो रहा है। राज्य के प्रमुख मुख्य वन संरक्षक राजीव भरतरी के अनुसार वर्तमान स्थितियों में लीफ ब्लोअर काफी कारगर साबित हो सकता है। इसी के दृष्टिगत संवेदनशील क्रू-स्टेशनों के लिए 442 लीफ ब्लोअर की मांग की गई है। इसके अलावा ड्रोन से जंगलों पर निरंतर निगरानी रखी जा सकेगी और कहीं भी आग लगने तुरंत कदम उठाए जा सकेंगे। इसके अलावा मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम में इनका उपयोग हो सकेगा। उधर, सचिव आपदा प्रबंधन एसए मुरुगेशन ने बताया कि वन विभाग के इस प्रस्ताव का परीक्षण कराया जा रहा है।

ये मांगे उपकरण

  • जिला------लीफ ब्लोअर-----------ड्रोन (संख्या में)
  • नैनीताल---------80-------------------32
  • टिहरी------------60--------------------20
  • अल्मोड़ा---------50--------------------24
  • उत्तरकाशी-----45---------------------28
  • चमोली----------40--------------------21
  • देहरादून---------35--------------------29
  • पौड़ी-------------26--------------------37
  • ऊधमसिंहनगर--25--------------------09
  • पिथौरागढ़-------25--------------------08
  • चंपावत----------18--------------------09
  • हरिद्वार---------15--------------------11
  • रुद्रप्रयाग---------13--------------------06
  • बागेश्वर---------10-------------------- 06
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