खेलों में भी होगी आवाज बुलंद, उत्तराखंड खेल अधिकारी-कर्मचारी संगठन का गठन
खेल विभाग में संगठन बनाने की कवायद काफी समय से चल रही थी। अब उनकी कोशिश अंजाम तक पहुंची है। विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों ने संयुक्त रूप से खेल संगठन का गठन किया है।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Wed, 29 Jul 2020 05:40 PM (IST)
देहरादून, निशांत चौधरी। हर विभाग में कुछ-कुछ समस्याएं हैं, तो खेल विभाग इससे अछूता कैसे रह सकता है। अब तक खेल विभाग के अधिकारी और कर्मचारी अपनी समस्या अन्य कर्मचारी संगठनों के माध्यम से उठाते रहे हैं। कई बार अपना संगठन न होने के कारण उन्हें निराश भी होना पड़ता था। इन्हीं दिक्कतों को देखते हुए खेल विभाग में संगठन बनाने की कवायद काफी समय से चल रही थी। अब उनकी कोशिश अंजाम तक पहुंची है। विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों ने संयुक्त रूप से उत्तराखंड खेल अधिकारी कर्मचारी संगठन का गठन किया है। इसमें उन्हें राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, उत्तराखंड का भी सहयोग मिला है। संगठन के गठन के बाद पहली कार्यकारिणी भी चुन ली गई है। संगठन अधिकारियों और कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के लिए काम करेगा, लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि संगठन बनाने से ही सारी मुश्किलें हल नहीं हो जाएंगी। इसके लिए एकजुटता से संघर्ष करना होगा।
कोरोना से नितेंद्र को मिला अवसरकोरोना वायरस संक्रमण से तमाम देशों में गतिविधियां प्रभावित हैं। बावजूद इसके कुछ व्यक्तियों के लिए कोरोनाकाल एक अवसर साबित हुआ है। इन्हीं में से एक हैं, उत्तराखंड के एथलीट नितेंद्र सिंह रावत। कोरोना महामारी ने उनके टूट चुके सपने को फिर से साकार करने का एक मौका दिया है। कोरोना महामारी के कारण 23 जुलाई से टोक्यो में प्रस्तावित ओलंपिक खेल अब अगले वर्ष होने हैं। इसी फेरबदल ने ओलंपियन नितेंद्र के सपनों में फिर से जान फूंक दी है। दरअसल, टोक्यो ओलंपिक के क्वालीफाइंग राउंड की तैयारियों के दौरान नितेंद्र को इंजरी हो गई थी। जिस कारण वह क्वालीफाइंग में शामिल नहीं हो पाए थे। इससे उन्हें काफी निराशा हुई, लेकिन कोरोना के चलते वर्ष 2021 में उन्हें दोबारा मौका मिल गया है। इसलिए कहा जाता है इनसान को कभी निराश नहीं होना चाहिए, किस्मत कभी भी दूसरा मौका दे सकती है। बस आपके इरादों में जान होना जरूरी है।
एसओपी के इंतजार में अटके कैंपक्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) ने खिलाडियों के लिए कैंप संचालित करने की तैयारी शुरू कर दी है। कैंप संचालन के लिए सीएयू ने जिला प्रशासन व पुलिस से भी अनुमति ले ली है, लेकिन अभी तक बीसीसीआइ ने क्रिकेट गतिविधियां को संचालित करने के लिए अपनी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी)जारी नहीं की है। जिससे सीएयू की तैयारियां भी अटक गई हैं। ऐसे में खिलाडियों के लिए इंतजार अभी और बढ़ गया है। कैंप में शामिल होने वाले प्रत्येक खिलाड़ी और अन्य स्टाफ की सीएयू कोरोना जांच कराएगा। सैंपल निगेटिव आने के बाद ही खिलाड़ियों को कैंप में शामिल किया जाएगा। जिससे संक्रमण का कोई खतरा न रहे, लेकिन यह तैयारियां तभी धरातल पर उतरेंगी, जब बीसीसीआइ अपनी एसओपी जारी करेगी। इसीलिए सीएयू ने अभी तक चयनित प्रशिक्षकों को भी देहरादून नहीं बुलाया गया है। एसओपी जारी होने के बाद ही सीएयू अपनी रणनीति बनाकर आगे की गतिविधियां संचालित करेगा।
सीएयू के 'विभीषण' को दी चेतावनीरामायण में तो विभीषण ने न्याय का साथ देने के लिए श्रीराम का दामन थमा था, लेकिन कलयुग में विभीषण की भूमिका पर ही सवाल उठ रहे हैं। ताजा उदाहरण सीएयू की विशेष आम सभा (एसजीएम) में ही देखने को मिला। एसजीएम में शामिल हुए एसोसिएशन के किसी सदस्य ने प्रशासन को सूचना दी कि आम सभा बिना अनुमति के हो रही है।यह भी पढ़ें: उत्तराखंड के युवा खिलाड़ियों को तराशेगी क्रिकेट टैलेंट कमेटी, जानें- कमेटी के कार्यइसकी सूचना मिलते ही जिलाधिकारी ने संबंधित चौकी को जांच के आदेश दिए। चौकी से एक सिपाही एसोसिएशन कार्यालय पहुंचा। वहां पर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने सिपाही को एडीएम का अनुमति पत्र दिखाया। जिसके बाद बैठक फिर शुरू हो पाई। बैठक में भी इसकी चर्चा होती रही की सीएयू का विभीषण कौन है। बैठक के बाद उस व्यक्ति का पता चल गया, जिसने प्रशासन के पास झूठी शिकायत की थी। सीएयू अध्यक्ष ने इस पदाधिकारी को भविष्य में ऐसा न करने की चेतावनी देकर छोड़ दिया। यह भी पढ़ें: Gold Cup Cricket Tournament: इस बार गोल्ड कप में नजर आ सकती हैं सिर्फ आठ टीमें
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