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Uttarakhand Politics: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बोले, कांग्रेस में कोई भी आए, परहेज नहीं

पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस में कोई भी आए उन्‍हें परहेज नहीं है। बता दें कि वर्ष 2016 में कांग्रेस की हरीश रावत सरकार के खिलाफ बगावत कर दस विधायक भाजपा में शामिल हुए थे।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 01 Oct 2021 08:26 AM (IST)
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पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के हरीश रावत। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में उज्याड़ू बल्द (खेत में फसल चट करने वाला बैल) को लेकर राजनीति गर्म है। पिछली कांग्रेस सरकार से बगावत कर भाजपा का दामन थामने वालों पर पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के हरीश रावत इसी शब्दबाण से रह-रहकर तीखे प्रहार करते रहे हैं। जुबानी जंग का चार साल पहले शुरू हुआ सिलसिला चुनावी साल में बदस्तूर जारी है। अब इसमें बड़ा नाटकीय बदलाव भी दिखने जा रहा है। 2022 के चुनाव में कांग्रेस की जीत के लिए जमीन तैयार करने में जुटे हरीश रावत ने अब इन उज्याड़ू बल्दों से तल्खी कम होने के साफ संकेत दिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस को किसी के आने से परहेज नहीं है।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के रुख में आए इस बदलाव ने सियासी गलियारों में कई तरह की चर्चाओं को हवा दे दी है। दरअसल 2016 में कांग्रेस की हरीश रावत सरकार के खिलाफ बगावत कर 10 विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया था। बगावत करने वालों में खासतौर पर कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के निशाने पर रहे हैं। उज्याड़ू बल्द के उनके शब्दबाण के निशाने पर हरक सिंह को ही माना जाता रहा है। पिछली सरकार को संकट में डालने वालों की कांग्रेस में घर वापसी के सवाल पर हरीश रावत अब तक तल्ख रहे हैं। उनके नजरिये में बदलाव को आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रणनीति से जोड़कर भी देखा जा रहा है।

दलबदल उत्तराखंड के प्रति अपराध

दैनिक जागरण से बातचीत में प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने कहा कि 2016 में हुआ दलबदल हरीश रावत के प्रति नहीं, बल्कि उत्तराखंड के प्रति अपराध था। उत्तराखंड ने भी इसे समझा हो या न समझा हो, लेकिन यह गलत शुरुआत राज्य में उत्तर-पूर्वी राज्यों और गोवा जैसे हालात की ओर ले जाती। छोटे राज्य में यह गलत शुरुआत थी। अतीत की गलतियों से सबक लेकर कोई कांग्रेस में आना चाहता तो अब परहेज नहीं किया जाएगा।

जिसके भी संपर्क में हैं, आ सकते हैं

कांग्रेस उत्तराखंड में लोकतंत्र को बचाने की जंग लड़ रही है। इसमें किसी का सहयोग लेने से गुरेज नहीं किया जा सकता। वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से भी सहयोग ले सकते हैं। जो गए हैं, आना चाहते हैं तो आ सकते हैं। हालांकि उनसे अभी तक किसी का संपर्क नहीं हुआ है। इसकी वजह कांग्रेस से जाने वालों ने उन्हीं को जाने की वजह बताकर निशाना साधा है। ऐसे में जिनके भी संपर्क में वे हैं, उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

कांग्रेस के बहाने भाजपा सरकार में चाहते थे फायदा

उन्होंने कहा कि भाजपा अब कुछ भी समझे, उत्तराखंड में उसकी पारी खत्म है। राज्य को उन्होंने जिस तरह छला है, इसका बदला लेने की बारी उत्तराखंड की है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में रहने वाले कांग्रेस के बागी जब भाजपा छोडऩे की बात उछालकर दबाव बनाने की कोशिश में थे, तो उन्होंने विरोध किया। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उन पर शिकंजा कसा तो उन्होंने कांग्रेस का नाम लेकर फायदा उठाना चाहा। ऐसा करने वालों का उद्देश्य कांग्रेस का हवाला देकर भाजपा सरकार में बड़े मंत्रालय पाने और फायदा उठाने का था। इस मंसूबे को सफल नहीं होने दिया गया। ऐसे व्यक्तियों को भाजपा को छोडऩे की धमकी देनी पड़ी।

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