पूर्व सीएम हरीश रावत ने जताई चिंता, क्या खतरे में है उत्तराखंड की संस्कृति?
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राज्य की मिट्टी और संस्कृति के क्षरण पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि मिट्टी की बिक्री से उत्तराखंड की संस्कृति खतरे में है। रावत ने संस्कृति को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया है।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत। जागरण आर्काइव
जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड एक विचार—देवभूमि के 25 वर्षों का चिंतन के तहत आयोजित सत्र रोजगार, युवा, आर्थिक एवं राजनीतिक मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि आज सबसे बड़ी चिंता यह है कि हमारी मिट्टी बिक रही है। अगर मिट्टी नहीं रहेगी तो परिवेश और संस्कृति भी नहीं बचेगी। जब तक मिट्टी थी, तब तक संघर्ष की शक्ति थी और उसी संघर्ष से उत्तराखंड राज्य बना।
दून लाइब्रेरी में आयोजित कार्यक्रम में रावत ने कहा कि कांग्रेस शासन में राज्य में सबसे ज्यादा स्कूल, आईटीआई, पॉलीटेक्निक, नर्सिंग कॉलेजों की अनुमति दी गई। लेकिन जिन संस्थानों से भविष्य की मानव शक्ति तैयार होनी थी, वहां गुणवत्ता में गिरावट आई है। अनुपात में शिक्षक ज्यादा हैं, पर शिक्षा का स्तर संतोषजनक नहीं है। उन्होंने कहा कि आज उत्तराखंड सड़कों की कनेक्टिविटी में केरल जैसे राज्यों को भी टक्कर दे रहा है, लेकिन सड़कें केवल आवागमन का साधन बनकर रह गई हैं। दूरस्थ क्षेत्रों के उत्पाद अब भी बाजार तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मार्केट कनेक्टिविटी की कमी के कारण स्थानीय उत्पादक हाशिये पर हैं।पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के कठिन इलाकों में कृषि अत्यधिक श्रमसाध्य है, इसलिए काश्तकारों को प्रोत्साहन और उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। लोक कला और शिल्प रोजगार सृजन का बेहतर जरिया हो सकते हैं, लेकिन आधुनिकता की दौड़ में हमने शिल्प और शिल्पी का सम्मान करना छोड़ दिया है। हरीश रावत ने कहा कि हमने वनों को रोजगार से नहीं जोड़ा, उल्टा लोगों के हक-हुकूक भी छीने गए।
उन्होंने सवाल उठाया कि हम आखिर किस स्वभाव का राज्य बना रहे हैं— एक उपभोक्तावादी राज्य, जहां शोषणकारी ताकतें सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि अब समय है कि राज्य की धारण क्षमता और शोषित होने की सीमा का आकलन किया जाए। कहा कि हमारे भीतर शक्ति है, बस उसे समझने और नीतियों में उत्तराखंडियत लाने की जरूरत है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।