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'विपरीत परिस्थिति से निपटने को समय प्रबंधन, संसाधन और बेहतर नेतृत्व जरूरी' सिलक्यारा पर हुए संगोष्ठी में बोले पूर्व CM कोश्यारी

Dehradun Latest News मंगलवार को प्रेस क्लब में सिलक्यारा विषम चुनौती से समाधान विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। इस मौके पर मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री एवं महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि यह विषय दुखद व सुखद दोनों है। इस घटना में आम से लेकर खास लोगों ने संगठित सुव्यवस्थित व मनोयाग से कार्य किया है।

By Sumit kumar Edited By: riya.pandey Updated: Tue, 27 Feb 2024 07:01 PM (IST)
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'सिलक्यारा विषम चुनौती से समाधान' विषय पर आयोजित संगोष्ठी में पहुंचे पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी

जागरण संवाददाता, देहरादून। Silkyara Tunnel: उत्तराखंड संस्कृति एवं कला परिषद की ओर से आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने सिलक्यारा सुरंग हादसे से सबक लेने पर जोर देते कहा कि इस तरह की परिस्थिति में समय प्रबंधन, संसाधन व कुशल नेतृत्व जरूरी है।

इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि सिलक्यारा सुरंग हादसे के बाद मिली सफलता देश व दुनिया के लिए वरदान साबित हो सकती है। क्योंकि इतनी बड़ी घटना के बाद भी जिस तरह के निर्णय लिए गए वह बेहतर दिशा की ओर थे।

मंगलवार को प्रेस क्लब में 'सिलक्यारा विषम चुनौती से समाधान' विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। इस मौके पर मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री एवं महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि यह विषय दुखद व सुखद दोनों है।

इस घटना में आम से लेकर खास लोगों ने संगठित, सुव्यवस्थित व मनोयाग से कार्य किया है। घटना कहीं भी घट सकती है, लेकिन जो प्रयास के बाद सफलता मिलती है उसका देश-दुनिया तक जिक्र होता है। यही इस घटना में हुआ। ऐसी घटना आगे न हो इस तरह कार्य होना चाहिए। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार के नेतृत्व की भी सराहना की।

डीआरडीओ के वरिष्ठ विज्ञानी डा. एससी जैन ने कहा कि सिलक्यारा सुरंग में बचाव कार्य बेहतर नेतृत्व की वजह से 41 श्रमिकों को सफलतापूर्वक निकाला गया। कहा कि ड्रिलिंग में लेजर कटिंग का काम जरूरी है। इसलिए हमें सभी संसाधनों को तैयार रखना चाहिए, ताकि समय पर इन परिस्थितियों से निपटा जा सके।

दून विश्वविद्यालय की प्रो. डा. प्राची पाठक ने कहा कि विज्ञान के साथ अध्यात्म का भी सिलक्यारा अभियान में समागम देखने को मिला। कहा कि राष्ट्र के प्रति सभी को कर्तव्यशील बनाना होगा।

मनोविज्ञानी डा. बीना कृष्णनन ने कहा कि दहशत से बैचेनी, घबराहट से मनुष्य की मानसिक दशा प्रभावित होती है लेकिन सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों की बेहतर मानसिक स्थिति का ख्याल रखा गया। परिषद की उपाध्यक्ष मधु भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड से जुड़ी घटनाओं पर इस तरह संगोष्ठी आगे भी जारी रहेगी। इस मौके पर साधना शर्मा आदि मौजूद रहे।

निर्माण कार्यों में विज्ञान अध्ययन को शामिल करना जरूरी

रियर एडमिरल (सेनि) ओम प्रकाश सिंह राणा ने कहा कि जहां पर विकास फेल होता है, वहां से अध्यात्म शुरू होता है। यही सिलक्यारा में देखने को मिला। कहा कि हिमालय क्षेत्रों में निर्माण कार्यों में विज्ञानी अध्ययन को भी शामिल करना जरूरी है। सुरक्षा के मामले में कोई भी कमी नहीं होनी चाहिए। पहाड़ खुदाई के दौरान उसमें सेंसर लगाया जाना चाहिए। सेफ्टी आडिट भी जरूरी है।

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