कार्बेट सफारी मामले में पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत से 12 घंटे तक ED ने की पूछताछ, 2023 में CBI ने दर्ज किया था मुकदमा
कार्बेट टाइगर रिजर्व में पेड़ों के अवैध कटान और निर्माण मामले में भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार में वन मंत्री रहे हरक सिंह रावत से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 12 घंटे पूछताछ की। ईडी ने प्रकरण के संबंध में कई सवाल पूछे। इससे पहले भी ईडी हरक सिंह को कई बार तलब कर चुकी है। सीबीआई ने भी हरक सिंह से पूछताछ की थी।
जागरण संवाददाता, देहरादून। कार्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज में पेड़ों के अवैध कटान और निर्माण के मामले में भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार में वन मंत्री रहे हरक सिंह रावत से प्रवर्तन निर्देशालय (ईडी) ने 12 घंटे पूछताछ की। देर रात भी हरक सिंह से पूछताछ जारी थी। इस दौरान ईडी ने प्रकरण के संबंध में कई सवाल पूछे।
हालांकि इससे पहले भी ईडी हरक सिंह को कई बार तलब कर चुकी है। उसके करीबियों से भी ईडी पूछताछ कर चुकी है। इससे पहले 24 अगस्त को सीबीआई ने हरक सिंह रावत को अपने देहरादून के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में तलब कर घंटों पूछताछ की थी।
ईडी की देहरादून शाखा ने हरक सिंह रावत को गत 28 अगस्त को नोटिस जारी कर सोमवार को पेश होने को कहा था। सोमवार को हरक सिंह रावत सुबह साढ़े 10 बजे ईडी कार्यालय पहुंचे, जहां उन्हें लगातार पूछताछ की जा रही है। कार्बेट सफारी प्रकरण में सीबीआई ने अक्टूबर 2023 में मुकदमा दर्ज किया, जबकि दिसंबर 2023 में ईडी की एंट्री हुई।
ईडी फरवरी 2024 में पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत समेत उनके करीबियों और कई वन अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी भी कर चुकी है। निकट भविष्य के केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं। अब फिर से कांग्रेस में शामिल हो चुके हरक सिंह रावत इस सीट से संभावित उम्मीदवार माने जा रहे हैं। ऐसे समय में सीबीआई और ईडी की सक्रियता से हरक सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
पूर्व मंत्री ने हाल ही में सीबीआई के समक्ष पेश होकर कुछ दस्तावेज अधिकारियों को सौंपे। उन्होंने यह भी कहा कि वन मंत्री होने के नाते उन्होंने फाइलों पर हस्ताक्षर किए। यदि कहीं कोई गड़बड़ की गई है तो उसके लिए अफसर दोषी हैं। क्योंकि, नियमों का परीक्षण करना मंत्री का काम नहीं होता है।
यह है कार्बेट में पेड़ कटान का प्रकरण
पाखरो रेंज में टाइगर सफारी के लिए पेड़ों के अवैध कटान का मामला तब सामने आया था, जब राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने इस संबंध में मिली शिकायत की स्थलीय जांच की। साथ ही शिकायत को सही पाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की गई। इस प्रकरण की अब तक कई एजेंसियां जांच कर चुकी हैं। यह बात सामने आई है कि सफारी के लिए स्वीकृति से अधिक पेड़ों के कटान के साथ ही बड़े पैमाने पर बिना वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति के निर्माण कराए गए।
सर्वोच्च न्यायालय की उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने इस प्रकरण में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह की भूमिका पर भी प्रश्न उठाते हुए उन्हें भी जिम्मेदार ठहराया था। भारतीय वन सर्वेक्षण की सेटेलाइट जांच में यहां छह हजार से ज्यादा पेड़ों के कटान की बात सामने आई थी। मामले में दो आएफएस पर भी कार्रवाई की जा चुकी है।
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