उत्तराखंड में बनेंगे चार जैव विविधता विरासतीय स्थल, अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर उभरेंगे उत्तरकाशी व पिथौरागढ़
Biodiversity Heritage Sites जैव विविधता के मामले में धनी उत्तराखंड में लंबी प्रतीक्षा के बाद अब चार जैव विविधता विरासतीय स्थल अस्तित्व में आएंगे। जैव विविधता विरासतीय स्थल घोषित करने के दृष्टिगत उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड की कसरत अंतिम दौर में पहुंच गई है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: Biodiversity Heritage Sites: जैव विविधता के मामले में धनी उत्तराखंड में लंबी प्रतीक्षा के बाद अब चार जैव विविधता विरासतीय स्थल अस्तित्व में आएंगे। इनमें पिथौरागढ़ जिले का थलकेदार व दुग्तू और उत्तरकाशी का कंडारा बुग्याल व खेड़ाताल शामिल हैं। इन्हें जैव विविधता विरासतीय स्थल घोषित करने के दृष्टिगत उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड की कसरत अंतिम दौर में पहुंच गई है।
बोर्ड के सदस्य सचिव एसएस रसायली के अनुसार अगले माह इनकी अधिसूचना जारी होने की उम्मीद है। इससे उत्तराखंड भी उन राज्यों में शामिल हो जाएगा, जहां जैव विविधता विरासतीय स्थल हैं। साथ ही ये स्थल अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर भी उभरेंगे।
जैव विविधता अधिनियम लागू
उत्तराखंड में जैव विविधता अधिनियम लागू है। इसमें प्रविधान है कि स्थानीय निकायों की सहमति से जैव विविधता की दृष्टि से बेजोड़ स्थलों को सरकार जैव विविधता विरासतीय स्थल घोषित कर सकती है। इससे ये जहां अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर उभरेंगे, वहीं जैव विविधता के संरक्षण के प्रयासों को गति देने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार से धनराशि भी उपलब्ध होगी। हैरत की बात यह है कि उत्तराखंड में अभी तक एक भी ऐसा स्थल घोषित नहीं हो पाया है।
यद्यपि, वर्षों पहले पिथौरागढ़ जिले के अंतर्गत थलकेदार को जैव विविधता विरासतीय स्थल घोषित करने की कसरत हुई, लेकिन यह मंजिल तक नहीं पहुंच पाई। इसके बाद एक दर्जन स्थल चिह्नित किए गए, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी। लंबी प्रतीक्षा के बाद अब उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड इसे लेकर गंभीर हुआ है।
बोर्ड के सदस्य सचिव एसएस रसायली के अनुसार थलकेदार को अगले माह प्रथम सप्ताह में घोषित कर दिया जाएगा। इसके अलावा सिक्योर हिमालय परियोजना में आच्छादित कंडारा बुग्याल, खेड़ाताल व दुग्तू को जैवविविधता विरासतीय स्थल घोषित करने के संबंध में कुछ समय पहले स्थानीय ग्रामीणों ने बोर्ड को प्रस्ताव भेजा था। इस संबंध में भी कसरत अंतिम चरण में पहुंच गई है। थलकेदार के बाद जून माह में ही इनकी भी घोषणा कर दी जाएगी।
ह्यूमन हेलर्स भी जमा कराएगी लाभांश
जैव विविधता अधिनियम के तहत त्रिस्तरीय ग्रामीण व नगर निकायों में जैवविविधता प्रबंध समितियों (बीएमसी) का गठन किया गया है। अधिनियम में प्रविधान है कि किसी भी बीएमसी के क्षेत्र से जैव संसाधनों का वाणिज्यिक उपयोग करने वाली कंपनियां, संस्थाएं व व्यक्ति अपने सालाना लाभांश में से बीएमसी को हिस्सेदारी देेंगे।
यह 0.5 से तीन प्रतिशत तक हो सकता है। इसी क्रम में अंतरराष्ट्रीय जैवविविधता दिवस पर सोमवार को देहरादून में होने वाले कार्यक्रम ह्यूमन हेलर्स संस्था, चमोली जिले के घेस व हिमनी की बीएमसी और बोर्ड के मध्य समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया जाएगा। बोर्ड के सदस्य सचिव ने बताया कि ह्यूमन हेलर्स लंबे समय से घेस व हिमनी से जैव संसाधनों की सप्लाई कर रहा है। अब वह अपने लाभांश में से बीएमसी को हिस्सेदारी देने पर सहमत हो गई है।