चकराता की वादियों में हुए दोहरे हत्याकांड मामले में चार दोषी करार
चकराता में साल 2014 में हुए दोहरे हत्याकांड में चार युवकों को दोषी करार दे दिया गया है। हालांकि, साक्ष्यों के अभाव में दुष्कर्म मामले में चारों बरी हो गए हैं।
विकासनगर, [जेएनएन]: चकराता घूमने आई दिल्ली की फाइन आर्ट टीचर और उसके दोस्त की हत्या और साक्ष्य मिटाने के मामले में अदालत ने चार युवकों को दोषी करार दिया है। साक्ष्यों के अभाव में दुष्कर्म मामले में चारों बरी हो गए। सजा के प्रश्न पर अदालत 30 मार्च को सुनवाई करेगी।
घटना करीब साढ़े तीन साल पहले की है। 23 अक्टूबर, 2014 को दिल्ली निवासी फाइन आर्ट टीचर मोमिता दास अपने चित्रकार मित्र अभिजीत पॉल के साथ चकराता घूमने आई थी। अभिजीत मूल से पश्चिम बंगाल का निवासी था, जो कुछ सालों से दिल्ली में कल्याण निवास लाडोसराय इलाके में रह रहा था। मोमिता भी लाडोसराय इलाके में रहती थी। अभियोजन पक्ष के मुताबिक मोमिता और अभिजीत ने घूमने के लिए उस दिन चकराता बस स्टैंड से राजूदास का बोलेरो वाहन बुक कराया। राजू उन्हें लाखामंडल क्षेत्र में घुमाने ले गया, रास्ते में उसने अपने तीन साथियों को गाड़ी में बैठा लिया।
मोमिता ने इस पर आपत्ति की तो वह मारपीट पर उतारू हो गए। विरोध करने पर उन्होंने अभिजीत की रस्सी से गला घोंटकर हत्या कर दी, बाद में दुष्कर्म के बाद मोमिता का भी कत्ल कर दिया। आरोपितों ने उनके पर्स, मोबाइल व अन्य कीमती सामान भी लूट लिया था। दोनों के शव उन्होंने अलग-अलग जगह फेंक दिए थे। अभिजीत का शव 31 अक्टूबर और मोमिता का सड़ा गला शव 13 नवंबर 2014 को उत्तरकाशी के पुरोला में खाई से बरामद हुआ। देहरादून और उत्तरकाशी जिले की पुलिस के साथ ही दिल्ली के साकेत थाने की पुलिस इस दोहरे हत्याकांड की कडिय़ां जोडऩे में जुटी थीं।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक कॉल डिटेल के आधार पर पुलिस हत्या के आरोपितों तक पहुंची। मोमिता लूटा गया मोबाइल मुख्य आरोपित बोलेरो चालक राजू की आइडी पर चलता मिला, वह नया सिम डालकर इसे उपयोग में ला रहा था। उसकी निशानदेही पर पुलिस ने वारदात में शामिल टुंगरौली चकराता निवासी कुंदन दास, बबलू और गुडडूदास को गिरफ्तार किया था। इससे पहले मोमिता के परिजन दिल्ली के साकेत थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज करा चुके थे।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मोहम्मद सुल्तान की अदालत में मामले की सुनवाई चली। अभियोजन की तरफ से कुल 43 गवाह बनाए गए थे, इनमें से 20 को पेश किया गया। अभियोजन व बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद मंगलवार को अदालत ने चारों युवकों को हत्या और साक्ष्य छिपाने का दोषी ठहराया। अभियोजन की तरफ से जिला शासकीय अधिवक्ता गुरु प्रसाद रतूड़ी व सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता नरेश चंद बहुगुणा ने पैरवी की।
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