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हरिद्वार बाईपास से पूरा सिस्टम ही हो रहा 'बाईपास', जानिए क्या है पूरा मामला

राजधानी देहरादून में महज साढ़े चार किलोमीटर की सड़क को अब तक फोर लेन में तब्दील नहीं किया जा सका है।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Wed, 31 Jul 2019 08:22 PM (IST)
हरिद्वार बाईपास से पूरा सिस्टम ही हो रहा 'बाईपास', जानिए क्या है पूरा मामला
देहरादून, सुमन सेमवाल। हम जिस सड़क की कहानी आपको बता रहे हैं, उसका वास्ता किसी दूर दराज के इलाके से नहीं, बल्कि राजधानी देहरादून से है। सड़क भी कोई सामान्य जिला मार्ग नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजमार्ग का हिस्सा है। जिसे दून की सबसे पुरानी बाईपास रोड के रूप में भी जाना जाता है। राजमार्ग का यह भाग हरिद्वार और सहारनपुर-दिल्ली राजमार्ग को सीधे तौर पर देहरादून से जोड़ता है। इसके अलावा अंतरराज्यीय बस अड्डा और शहर की बड़ी आबादी भी इससे जुड़ी है। बावजूद इसके महज साढ़े चार किलोमीटर की इस सड़क को अब तक फोर लेन में तब्दील नहीं किया जा सका, जबकि इस सड़क को दो लेन से फोर लेन करने की कवायद वर्ष 2012 में शुरू कर दी गई थी। तब से लेकर अब तक करीब सात साल में दून में बहुत कुछ बदल गया है, मगर नहीं बदली है तो इस सड़क की सूरत। चौड़ीकरण का मामला कोर्ट में लंबित है और अधिकारियों की पैरवी उतनी प्रभावी नजर नहीं आती, जो इसकी राह खोल सके। 

चौड़ीकरण के नाम पर यहां सिर्फ कुछ अधूरे ढांचे और सड़क कटान के कच्चे निशान ही नजर आते हैं। इस दरम्यान वाहनों का दबाव 50 फीसद बढ़ गया, लिहाजा इसके दो लेन इतने चौड़े नहीं रह गए कि सुगमता से वाहन इस पर से गुजर सकें। जब आबादी कम थी, तब यहां सिर्फ मोथरोंवाला चौक ही इतना व्यस्त था कि वाहन अधिक संख्या में आर-पार होते थे। आज इस चौक पर तो रेलमपेल लगी ही रहती है, साथ ही सरस्वती विहार चौक, ब्रह्मणवाला चौक के इर्द-गिर्द भी आबादी का ग्राफ 70 फीसद तक बढ़ गया है। लिहाजा, बिना रोटरी के ये कामचलाऊ चौक डेंजर जोन में भी तब्दील हो चुके हैं। इस तरह देखें तो बाईपास रोड से पूरा सिस्टम ही 'बाईपास' होता नजर आता है। 

14.21 करोड़ का काम दे दिया था महज 11.81 करोड़ में 

हरिद्वार बाईपास रोड के चौड़ीकरण पर ग्रहण लगने की शुरुआत तभी हो गई थी, जब इसके टेंडर जारी किए गए थे। राष्ट्रीय राजमार्ग खंड, रुड़की (अब डोईवाला) ने चौड़ीकरण कार्य की लागत 14.21 करोड़ रुपये आंकी थी। इसी आधार पर वर्ष 2012 में टेंडर मांगे गए थे, मगर सबसे कम दर आई 11.81 करोड़ रुपये। इस दर बाजार दर से भी करीब 17 फीसद कम थी। ऐसे में तकनीकी समिति को यह देखना था कि इतनी कम दर पर काम हो भी पाएगा या नहीं। बिना उचित आकलन के अधिकारियों ने रेसकोर्स के अमृत डेवलपर्स के टेंडर को हरी झंडी दे दी। जिसका असर यह हुआ कि अनुबंध (सितंबर 2012) के छह माह बाद भी काम की प्रगति नगण्य रहने पर ठेकेदार पर पेनल्टी लगा दी गई थी। साथ ही ठेकेदार से काम भी छीन लिया गया था।

इसके खिलाफ ठेकेदार ने हाईकोर्ट में वाद दाखिल कर दिया था। कोर्ट के आदेश पर ठेकेदार को काम करने का एक अवसर और दिया गया था, मगर इसके बाद भी काम नहीं हो पाया। तभी से यह मामला कोर्ट में लंबित चल रहा है। पहले इस काम को आगे बढ़ाने के लिए कोर्ट ने स्टे दे रखा था, जबकि करीब डेढ़ साल पहले स्टे भी हट गया था। बावजूद इसके काम को अंजाम तक नहीं पहुंचाया जा रहा है। कहां तो चौड़ीकरण का काम वर्ष 2014 तक पूरा कर लिया जाना था और आज 2019 के आधा बीत जाने के बाद भी काम दोबारा शुरू हो पाने के आसार दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं। 

2.41 करोड़ रुपये भी किए जा चुके खर्च 

पुराने ठेकेदार ने करीब 20 फीसद काम किया था, जिसके बदले उसे 2.41 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया जा चुका है। यानी कि ठेकेदार की विभाग पर किसी तरह की देनदारी भी नहीं है। इसके बाद भी लोनिवि (राजमार्ग खंड) के अधिकारी न तो काम शुरू कर पा रहे हैं। न ही कोर्ट में इस तरह की प्रभावी पैरवी की जा रही है कि मामले का निस्तारण हो सके।

सड़क का कटा और कुछ ढांचे ही हैं खड़े 

इस 20 फीसद काम में कारगी के पास पुराने पुल की जगह नए पुल के निर्माण के दो शुरुआती अवस्था के ढांचे अस्तित्व में हैं और कुछ सामान किनारे पर पड़ा है। इसके अलावा रोड कटिंग का काम ही हो पाया है। 

अस्त-व्यस्त हैं चौक, हर आधा किलोमीटर पर एक डेंजर जोन 

महज साढ़े चार किलोमीटर की बाईपास रोड पर नजर डालें तो यहां हर आधा किलोमीटर पर एक डेंजर जोन है। कहने को यहां ब्रह्मणवाला चौक, सरस्वती विहार चौक, मोथरोवाला चौक, पुरानी बाईपास चौकी का चौक हैं, जिनसे लोग मुख्य शहर और दूसरे छोर के बड़े इलाकों में आवाजाही करते हैं। यह बात और है कि इनमें से किसी भी चौक को व्यवस्थित रूप नहीं दिया जा सका है। इसके चलते इन क्षेत्रों में आए दिन हादसे होते रहते हैं। 

मोथरोवाला चौक पर खानापूर्ति 

मोथरोवाला और पुरानी बाईपास चौकी के चौक पर सड़क को अस्थायी डिवाइडर से दो भागों में बांटा गया है। हालांकि, इन्हें इतने अव्यवहारिक ढंग से लगा गया है कि किसी भी मध्यम और बड़े वाहन को यहां पर मुड़ने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। इसके अलावा डिवाडर की लंबाई सीमित होने के चलते लोग दूसरी तरफ जाने को पूरा फेरा लगाने की जगह उल्टी दिशा में भी गुजर पड़ते हैं। 

सड़क के कच्चे और पक्के भाग में बड़ा अंतर हो रहा खतरनाक 

वैसे तो रोड कटिंग के अनुसार सड़क ने फोर लेन का आकार ले लिया है, मगर जिस ब्लैकटॉप वाले भाग पर वाहन चलते हैं, वह महज दो लेन का ही है। ऐसे में पक्के और कच्चे भाग के बीच एक से लेकर ढाई फीट तक का अंतर आ गया है। मुख्य सड़क पर जब जाम की स्थिति विकट हो जाती है तो वाहन कच्चे भाग पर भी उतर जाते हैं। ऐसी स्थिति में छोटे वाहन तो रपटते ही रहते हैं, कई दफा बड़े वाहन भी यहां पलट जाते हैं। इसके अलावा राधा स्वामी सत्संग भवन के पास कच्ची और पक्की सड़क के बीच का अंतर 15 फीट से भी अधिक है और अब यहां की सड़क बरसात में धंसने भी लगी है। कच्ची और पक्की सड़क के बीच के अंतर की बात करें तो साढ़े चार किलोमीटर का पूरा ही हिस्सा डेंजर जोन जैसा नजर आता है। 

इस तरह बढ़ा बाईपास रोड पर दबाव 

-वर्ष 2012 से अब तक इस राजमार्ग के दोनों छोर पर आबादी के ग्राफ में करीब 70 फीसद का इजाफा होने का अनुमान है। 

-पहले यहां पर व्यस्ततम समय में हर घंटे 3000 के करीब वाहन गुजरते थे, वह अब 6000 को पार कर गए हैं। 

-राजमार्ग से सटे भाग पर ही व्यापारिक प्रतिष्ठानों की संख्या 30 फीसद तक बढ़ गई। 

चौड़ीकरण कार्य के बाद शुरू काम भी पूरे 

बाईपास रोड के चौड़ीकरण से बाद में शुरू हुए अजबपुर रेलवे ओवर ब्रिज, आइएसबीटी फ्लाईओवर, वाई शेप फ्लाईओवर अस्तित्व में आ चुके हैं, जबकि राजमार्ग की दशा वैसी ही है। 

अब 20 करोड़ का प्रस्ताव, उस पर भी मुहर नहीं 

हाईकोर्ट से स्टे हट जाने के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग खंड डोईवाला ने वार्षिक प्लान 2019-20 में अधूरे चौड़ीकरण कार्य को पूरा करने का प्रस्ताव तैयार किया है। यह प्रस्ताव सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को भी भेजा जा चुका है। 

राजमार्ग खंड डोईवाला के करीब 20 करोड़ रुपये के इस प्रस्ताव में साढ़े चार किलोमीटर की चौड़ाई समेत सभी चौराहों को बेहतर बनाने का निर्णय लिया गया है। हालांकि, मंत्रालय के अधिकारियों ने यह कहते हुए प्रस्ताव को तुरंत स्वीकृति देने से इनकार कर दिया है कि मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है। इसके बाद खंड के अधिकारियों ने यह भी बताया है कि कोर्ट ने स्टे हटा दिया है और दोबारा इसको लेकर मंत्रालय में दस्तक देने का भी निर्णय लिया गया है। अब देखने वाली बात यह है कि मंत्रालय का रुख क्या रहता है, मगर सवाल अब भी अपनी जगह खड़ा है कि क्यों कोर्ट में प्रभावी रूप से पैरवी नहीं की जा रही। 

लोनिवि के प्रमुख अभियंता और विभागाध्यक्ष हरिओम शर्मा ने बताया कि हरिद्वार बाईपास रोड के चौड़ीकरण को लेकर हर महीने अपडेट लिया जा रहा है। इसके साथ ही कोर्ट में प्रभावी पैरवी के भी नियमित प्रयास किए जा रहे हैं। जल्द पूरी योजना पर अब तक के कार्यों में कोर्ट की कार्रवाई की समीक्षा की जाएगी। इस सड़क के चौड़ीकरण को विभाग ने अपनी प्राथमिकता में रखा है।   

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