गढ़वाल रायफल रेजीमेंट सेंटर के क्लर्क को चार साल की सश्रम कैद
84 कर्मचारियों के वेतन का कुछ हिस्सा अपने खाते में ट्रांसफर करवाने के मामले में न्यायालय ने गढ़वाल राइफल रेजीमेंट सेंटर के क्लर्क को चार साल की सजा सुनाई।
देहरादून, [जेएनएन]: 84 कर्मचारियों के वेतन का कुछ हिस्सा अपने खाते में ट्रांसफर करवाने से जुड़े धोखाधड़ी के मामले में जीआरआरसी (गढ़वाल राइफल रेजीमेंट सेंटर) के यूडीसी (अपर डिवीजन क्लर्क) को दोषी पाते हुए सीबीआइ न्यायाधीश शादाब बानो की अदालत ने चार साल सश्रम कैद की सजा सुनाई है। साथ ही 35 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना अदा न करने पर तीन माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
सीबीआइ के अधिवक्ता सतीश गुप्ता ने बताया कि 31 अगस्त 2017 को जीआरआरसी के यूडीसी प्रताप सिंह रावत एवं एलडीसी राजेश कुमार नौटियाल के खिलाफ रिश्वतखोरी का मुकदमा दर्ज किया गया था।
जांच में सामने आया कि उन्होंने वर्ष 2008 से 2015 तक धोखे से अपने सेंटर के 84 कर्मचारियों के वेतन का कुछ हिस्सा अपने खाते में जमा करवाया। कुल सात साल तक की गई इस धोखाधड़ी में आरोपितों ने कुल 46 लाख रुपये की गड़बड़ी की।
उन्होंने बताया कि वेतन से संबंधित काम आरोपितों के जिम्मे था। वेतन तो वह सभी कर्मचारियों का सही बनाते थे, लेकिन जो कापी बैंक को जाती थी, आरोपित उसमें हेराफेरी कर देते थे। इस तरह वे कर्मचारियों के वेतन का कुछ हिस्सा अपने खाते में जमा करवाते रहे।
इस मामले में सीबीआइ कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत में यूडीसी ने जुर्म कबूल किया। जिसके बाद अदालत ने उसे चार साल सश्रम कैद की सजा सुनाई। जबकि इसी मामले में अन्य आरोपित राजेश कुमार नौटियाल केखिलाफ भी सुनवाई चल रही है।
बताते चलें कि एक अन्य रिश्वतखोरी मामले में भी प्रताप सिंह रावत को बीते 28 फरवरी को सीबीआइ कोर्ट ने पांच साल के कारावास की सजा सुनाई थी। इस सजा के साथ ही दोषी को कुल नौ साल की सजा भुगतनी होगी।
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