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अब निजी अस्पतालों में होगा मुफ्त प्रसव, सरकार उठा रही ये कदम

दून व आसपास की गर्भवती महिलाएं अब निजी अस्पतालों में भी निश्शुल्क प्रसव करा सकेंगी। स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए कार्ययोजना तैयार कर ली है।

By BhanuEdited By: Updated: Sat, 17 Nov 2018 08:48 PM (IST)
अब निजी अस्पतालों में होगा मुफ्त प्रसव, सरकार उठा रही ये कदम
देहरादून, जेएनएन। दून व आसपास की गर्भवती महिलाएं अब निजी अस्पतालों में भी निश्शुल्क प्रसव करा सकेंगी। स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए कार्ययोजना तैयार कर ली है। 

दून अस्पताल में अत्याधिक दबाव को देखते हुए सरकार ने फौरी तौर पर निजी चिकित्सालयों में मरीज रेफर करने का निर्णय लिया है। ऐसे सभी निजी अस्पताल आयुष्मान भारत योजना के तहत सूचीबद्ध किए जा रहे हैं, जहां प्रसव की सुविधा है। 

स्वास्थ्य सचिव नितेश झा ने इस संबंध में महानिदेशालय के अधिकारियों, देहरादून के प्रमुख चिकित्सालयों के प्रतिनिधियों व आइएमए के सदस्यों के साथ बैठक की। इस दौरान प्रमुख चिकित्सालयों सीएमआइ, श्री महंत इंदिरेश, मैक्स, सिनर्जी, कैलाश अस्पताल ने आयुष्मान भारत योजना से जुड़ने की औपचारिक सहमति दी। 

यह अस्पताल अपने यहां आयुष्मान भारत के लाभार्थियों के लिए अलग से बेड आरक्षित रखेगें, ताकि मरीजों के आने पर या सरकारी चिकित्सालयों से रेफर होने पर किसी प्रकार की असुविधा न हो। 

स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि सीमावर्ती चिकित्सालयों में प्रसव की संख्या वहां उपलब्ध सुविधाओं के अनुकूल है, लेकिन दून चिकित्सालय में अत्यधिक दवाब को देखते हुए सरकार ने निजी चिकित्सालयों में मरीज रेफर करने का निर्णय लिया गया है। यह अस्पताल आयुष्मान भारत योजना के तहत गर्भवती महिलाओं की निश्शुल्क डिलिवरी करेंगे। साथ ही अन्य मरीजों को भी पांच लाख तक का निश्शुल्क उपचार दिया जाएगा। 

बैठक में स्वास्थ्य निदेशक डॉ. अमिता उप्रेती, अपर निदेशक डॉ. सरोज नैथानी, आइएमए के प्रातीय सचिव डॉ. डीडी चौधरी, सीएमआइ अस्पताल के निदेशक डॉ. आरके जैन और श्री महंत इंदिरेश, मैक्स अस्पताल, सिनर्जी अस्पताल एवं कैलाश अस्पताल के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। 

यू-हेल्थ कार्ड, एमएसबीवाई के लंबित भुगतान को समिति 

निजी चिकित्सकों ने यू-हेल्थ कार्ड व मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के लंबित भुगतान का भी मामला बैठक में रखा। इस पर स्वास्थ्य सचिव ने महानिदेशालय के अंतर्गत एक पाच सदस्यीय कमेटी के गठन के निर्देश दिए हैं। यह कमेटी पूर्व में सूचीबद्ध निजी चिकित्सालयों के यू हेल्थ व एमएसबीवाई से संबंधित लंबित भुगतान का निपटारा एक माह में करेगी।

सरकारी अस्पतालों पर दबाव 

-पिछले सात माह में दून चिकित्सालय में 3437 प्रसव हुए। इनमें 1309 सिजेरियन हैं। 

-एसपीएस चिकित्सालय ऋषिकेश में 1014 प्रसव कराए गए, जबकि वहां महिलाओं के लिए मात्र 20 बेड हैं। 

-संयुक्त चिकित्सालय प्रेमनगर में गर्भवती महिलाओं के लिए दस बेड हैं, जबकि 618 प्रसव हुए हैं। 

-सीएचसी विकासनगर में 1081, रायपुर में 208, डोईवाला में 281 व सहसपुर में 135 प्रसव बीते सात माह में हुए हैं। 

आवश्यकता से कम बेड होने पर लिया ये निर्णय 

स्वास्थ्य सचिव नितेश झा के अनुसार सरकारी अस्पतालों में आवश्यकता से कम बेड उपलब्ध होने के कारण कई बार मरीजों को उपचार में असुविधा होती है। इससे अनोहोनी की संभावना भी बढ़ जाती है। इस पर यह निर्णय लिया गया है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत चिकित्सालयों को सूचीबद्ध कर वहा प्रसव के लिए पृथक से बेड आरक्षित कर लिए जाएं।

दून अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं पर टूटी नींद

दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में व्याप्त अव्यवस्थाओं पर आखिरकार अफसरों की नींद टूट ही गई। वहीं ओपीडी व ओटी ब्लॉक के निर्माण में देरी पर स्वास्थ्य सचिव की नाराजगी देख अब अधिकारी हरकत में हैं। 

उप सचिव सुरेंद्र सिंह रावत, अनुसचिव शिवशकर मिश्रा और संयुक्त निदेशक संजय गौड़ ने दून और दून महिला अस्पताल का निरीक्षण किया। दून अस्पताल में अधिकारियों ने ओपीडी समेत विभिन्न वार्डो,इमरजेंसी, रेडियोलॉजी व पैथोलॉजी का निरीक्षण किया। 

टीम को रिकॉर्ड रूम, पैथोलॉजी व ओपीडी की दीवारों में दरार और सीलन मिली, जबकि कई जगह टूटा फर्नीचर इधर-उधर पड़ा था। इस पर अफसरों ने कड़ी नाराजगी जताई। 

इसके बाद टीम दून महिला अस्पताल पहुंची। यहां अधिकारियों ने साफ-सफाई, पुरानी चादरों आदि को लेकर नाराजगी व्यक्त की। अंत में टीम ने निर्माणाधीन बिल्डिंग का निरीक्षण किया। यह निर्माण यूपी निर्माण निगम कर रहा है, लेकिन काम कछुआ गति से चल रहा है। 

बताया गया कि एक ब्लॉक का काम पूरा होने में दो से तीन माह और एक में छह माह का समय लग सकता है। इस दौरान मेडिकल कॉलेज के उप प्राचार्य डॉ. नवीन थपलियाल और चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा उपस्थित रहे। 

बकाया भुगतान के कारण अटका काम 

निर्माण एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक जिस ठेकेदार को काम दिया गया है, उसका करीब डेढ़ करोड का बकाया है। इस कारण काम अटका है। अफसरों ने निर्माण निगम के अफसरों से वार्ता कर बकाया भुगतान कराने की बात कही है। उप्र निर्माण निगम के अफसरों से बात हुई है। ठेकेदारों को भी काम में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। 

जल्द होगा निर्माण कार्य पूरा 

चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना के मुताबिक एक-दो माह के भीतर एक ब्लॉक शुरू करने का प्रयास है। इसमें गायनी ओपीडी और वार्ड शुरू किए जाएंगे। वहीं, ओटी, इमरजेंसी ब्लॉक का काम भी द्रुत गति से किया जाएगा। 

खून उपलब्ध कराने में न रहे अवरोध

दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय की व्यवस्थाओं में सुधार के लिए स्वास्थ्य सचिव नितेश झा द्वारा दिए गए निर्देशों को लेकर विभाग में हलचल दिख रही है। इसी क्रम में राज्य रक्त संचरण परिषद के निदेशक डॉ. वीएस टोलिया ने दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के ब्लड बैंक का मुआयना किया। 

डॉ. टोलिया ने ब्लड बैंक के प्रभारी अधिकारी व वहां तैनात चिकित्सकों को निर्देश दिए कि मरीजों को खून उपलब्ध कराने में किसी प्रकार का अवरोध नहीं आना चाहिए। यह प्रयास किए जाएं कि रक्त लेने वाले व्यक्ति को स्वैच्छिक रक्तदान के महत्व को भी समझा जाए। यदि रक्त संचरण पर्याप्त मात्रा में नहीं होगा तो मरीजों को अलग-अलग ब्लड ग्रुप के अनुसार खून की आपूर्ति कराने में असुविधा रहेगी। 

उन्होंने ब्लड बैंक प्रभारी को निर्देश दिए कि देहरादून स्थित ऐसी सभी संस्थाओं एवं एनजीओ का चयन कर लिया जाए जहां पर स्वैच्छिक रक्तदान किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा स्वैच्छिक रक्तदान के लिए आवश्यक संसाधन, ट्रांसपोर्टेशन आदि की सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। 

डॉ. टोलिया ने बताया कि अब सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को निश्शुल्क रक्त सुविधा दी जा रही है। दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में पूरे राज्य के मरीज आते हैं। ऐसे में आम जनता जब भी रक्तदान करे केवल सरकारी अस्पताल के ब्लड बैंक में ही करे। ताकि हर जरूरतमंद मरीज को आवश्यकता के समय वांछित ग्रुप का रक्त मिल सके। बता दें कि सरकारी चिकित्सालयों में निश्शुल्क मिलने वाला रक्त प्राइवेट ब्लड बैंक में 700 से दो हजार रुपये प्रति यूनिट तक में मिलता है।

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