एम्स ऋषिकेश में हार्ट के तीन वाल्व का ऑपरेशन कर किशोर को दिया जीवनदान
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के सीटीवीएस विभाग के चिकित्सकों ने मार्फन सिंड्रोम से ग्रसित एक 14 वर्षीय किशोर के हार्ट के तीन वाल्व का जटिल ऑपरेशन कर उसे जीवनदान दिया है। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने चिकित्सकों की टीम की सराहना की।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Wed, 20 Jan 2021 09:55 PM (IST)
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के सीटीवीएस विभाग के चिकित्सकों ने मार्फन सिंड्रोम से ग्रसित एक 14 वर्षीय किशोर के हार्ट के तीन वाल्व का जटिल ऑपरेशन कर उसे जीवनदान दिया है। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने इस हाईरिस्क सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देने वाली चिकित्सकों की टीम की सराहना की।
उत्तर प्रदेश निवासी एक 14 वर्षीय किशोर जो कि मार्फन सिंड्रोम नामक जेनेटिक बीमारी से ग्रस्त था। इस किशोर के दिल के तीन वॉल्व लीक कर रहे थे। बावजूद इसके समय रहते इलाज नहीं करवाने से उसका हार्ट फेल हो गया था। साथ ही उसका लीवर व गुर्दा भी फेल हो गया था, जिसकी वजह से उसके ऑपरेशन में अत्यधिक रिस्क बढ़ गया था। इन तमाम बीमारियों के कारण उसके पेट और पैरों में सूजन आ गई थी, साथ ही उसे पीलिया की शिकायत थी।चिकित्सकों के अनुसार किशोर को ऑक्सीजन से भी सांस नहीं ली जा रही थी और उसकी छाती में पानी भर गया था। तमाम तरह की शारीरिक व्याधियों के बावजूद पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जन डॉ. अनीश गुप्ता ने अपनी टीम के साथ इस किशोर का इमरजेंसी ऑपरेशन किया। जिसमें उसके दो वाल्व बदले गए, जबकि उसके एक वाल्व को रिपेयर किया गया। ऑपरेशन के दौरान किशोर के दिल में जमा खून के थक्के भी निकाले गए। सर्जरी के बाद मरीज को काफी समय तक आईसीयू में रखा गया और उसके बाद स्थिति थोड़ा सामान्य होने पर उसे वार्ड में शिफ्ट किया गया, जहां अब वह स्वस्थ है।
डॉ. अनीश के मुताबिक इस हाईरिस्क सर्जरी में मरीज की जान को अत्यधिक खतरा था, बावजूद इसके उसके जीवन की सुरक्षा के लिए वरिष्ठ हृदयरोग विशेषज्ञ प्रोफेसर भानु दुग्गल, पीडियाट्रिक कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. यश श्रीवास्तव एवं कॉडियक ऐनेस्थिसिया डॉ. अजय मिश्रा की संयुक्त टीम के अथक प्रयासों से मरीज की जान बच पाई।क्या है मार्फन सिंड्रोम
मार्फन सिंड्रोम एक गंभीर बीमारी होती है। इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति की लंबाई अत्यधिक बढ़ जाती है। साथ ही उसके हाथ व पैरों की अंगुलियां औसत से कहीं अधिक लंबी होती हैं। इस बीमारी में आंख में लैंस का खिसकना, दिल के वाल्व का लीक होना या ऑर्टा नामक धमनी का फटना आम बात होती है। जिससे बीमारी से ग्रसित इंसान की मृत्यु भी हो सकती है।
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