सीधी भर्ती का पहला पद अनारक्षित होने से बिफरे कार्मिक Dehradun News
नवीन रोस्टर में पहला पद आरक्षित वर्ग को देने के विरोध में जनरल-ओबीसी वर्ग के कर्मचारी एक बार फिर सरकार से आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं।
By Edited By: Updated: Sun, 24 May 2020 07:45 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। सीधी भर्ती के नवीन रोस्टर में पहला पद आरक्षित वर्ग को देने के विरोध में जनरल-ओबीसी वर्ग के कर्मचारी एक बार फिर सरकार से आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने कहा कि सरकार ने छल किया है। किसी भी कीमत पर पहला पद आरक्षित वर्ग को नहीं दिया जाना चाहिए। इसे लेकर एसोसिएशन मंगलवार को विभिन्न कर्मचारी संगठनों के साथ ऑनलाइन बैठक करेगा, जिसके बाद आदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी।
बिना आरक्षण पदोन्नति बहाली को लेकर लंबे समय तक लड़ाई लड़ने वाले उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन एक बार फिर सरकार से बड़ा झटका मिला है। बिना आरक्षण पदोन्नति बहाली का आदेश जारी करने के बाद यह माना जा रहा था कि सीधी भर्ती के नवीन रोस्टर में आरक्षित वर्ग को लाभ दिया जाएगा। लेकिन एसोसिएशन को यह उम्मीद कतई नहीं थी कि नवीन रोस्टर में पहला पद आरक्षित वर्ग को दे दिया जाएगा। मगर सरकार ने सीधी भर्ती के नवीन रोस्टर को लेकर शुक्रवार देर शाम आदेश जारी कर दिया, जिसमें पहला पद आरक्षित वर्ग को दिए जाने की बात कही गई है।
आदेश जारी होते ही उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। एसोसिएशन के प्रातीय अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि आरक्षित वर्ग को यदि पहला पद दे दिया जाएगा तो जनरल ओबीसी वर्ग के कर्मचारियों को इसकी कीमत आने वाले वर्षो में चुकानी पड़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि अनारक्षित वर्ग उत्तर प्रदेश की तरह पहला पद माग रहा है, लेकिन केंद्र सरकार में भी सीधी भर्ती के रोस्टर में पहला पद अनारक्षित वर्ग को दिया गया है। सरकार को अपने निर्णय पर पुनर्विवचार करना चाहिए। एसोसिएशन के प्रातीय महामंत्री वीरेंद्र सिंह गुसाईं ने कहा कि सरकार के आदेश का अध्ययन किया जा रहा है। नवीन रोस्टर में पहला पद आरक्षित वर्ग दिया जाना किसी भी रूप में स्वीकार नहीं होगा। इसे लेकर मंगलवार को विभिन्न कर्मचारी संगठनों के साथ ऑनलाइन बैठक कर आगे की रणनीति बनाई जाएगी।
संविधान के तहत ही मिला प्रतिनिधित्व
उत्तराखंड एससी एसटी इंप्लाइज फेडरेशन के प्रातीय अध्यक्ष करमराम ने कहा कि सीधी भर्ती के नवीन रोस्टर में पहला पद मिलना उनके संवैधानिक अधिकार को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि रोस्टर में चौथा, पाचवां या इसके बाद का पद मिलने से एससी एसटी वर्ग का नंबर बड़ी मुश्किल से आएगा। क्योंकि छोटा राज्य होने की वजह से यहा कम पदों पर भर्तियां निकलती हैं। उन्होंने कहा कि एससी एसटी वर्ग को आगे बढ़ाने की बात 1937 में पूना पैक्ट में भी कही गई थी।
इसके बाद जब संविधान बना तो आर्टिकल-16 में एससी एसटी वर्ग को आगे ले जाने और समाज मे समानता लाने की बात कही गई। उत्तर प्रदेश में सीधी भर्ती के नवीन रोस्टर में पहला पद आरक्षित वर्ग को दिया गया है। फिलहाल, अभी सरकार के शासनादेश का अध्ययन किया जा रहा है। जहा तक कुछ लोगों के विरोध करने की बात है तो सरकार को ऐसे लोगों के खिलाफ कठोर कदम उठाने चाहिए, जो हर बात में असहमत हो जाते हैं। मेरा यह भी कहना है कि इस पर एससी एसटी एक्ट के तहत भी कार्रवाई होनी चाहिए।
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