इतने करोड़ में नीलाम होंगी गोल्डन फॉरेस्ट की संपत्तियां
सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में हॉक कैपिटल प्रा.लि. ने गोल्डन फॉरेस्ट की सभी संपत्तियों को खरीदने के लिए 721 करोड़ रुपये का ऑफर दिया है।
देहरादून, [सुमन सेमवाल]: करीब 20 साल बाद गोल्डन फॉरेस्ट की हजारों बीघा भूमि के निस्तारण की राह खुल गई है। सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के क्रम में हॉक कैपिटल प्रा.लि. ने गोल्डन फॉरेस्ट की सभी संपत्तियों को खरीदने के लिए 721 करोड़ रुपये का ऑफर दिया है। कंपनी के ऑफर के बाद सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने उत्तराखंड सरकार से सुनवाई की तिथि से तीन सप्ताह के भीतर राज्य में सरप्लस जमीनों (गोल्डन फॉरेस्ट की निहित संपत्ति) के खसरा नंबर व रकबा सहित पूरा ब्योरा तलब किया है। राज्य को यह भी आदेश दिए हैं कि कम से कम सचिव स्तर का अधिकारी इस पर शपथ पत्र दाखिल करेगा।
हॉक कैपिटल प्रा.लि. ने कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल कर गोल्डन फॉरेस्ट की सभी संपत्तियों को खरीदने की इच्छा जताई थी। इस मामले में न्यायाधीश कुरियन जोसफ, मोहन एम शांतनागौदार व नवीन सिन्हा की पीठ ने बुधवार को सुनवाई करते हुए कंपनी से ऑफर मांगा था।
इस पर कंपनी ने 721 करोड़ रुपये का ऑफर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने हॉक कंपनी को इतनी राशि की बैंक गारंटी देने के आदेश दिए हैं। साथ ही सुनवाई की अगली तिथि दो मई 2018 से पहले इस बोली में हिस्सा लेने के लिए अन्य कंपनियों को भी आमंत्रित किया है। बोली में हिस्सा लेने वाली कंपनियों को 721 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी देने की शर्त भी लगाई गई है। यह बैंक गारंटी सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के नाम पर जारी करनी होगी।
वहीं, गोल्डन फॉरेस्ट पर आयकर का बकाया होने के चलते चंडीगढ़ के आयकर आयुक्त से कंपनी के संपत्ति अर्जन पर कर के असेसमेंट की रिपोर्ट भी तलब की गई। ताकि संपत्तियों की नीलामी के समय आयकर भी बकाया राशि का भी समायोजन किया जा सके।
यह है मामला
वर्ष 1997 में गोल्डन फॉरेस्ट कंपनी ने सेबी के नियमों के विपरीत देहरादून व आसपास के क्षेत्रों में करीब 12 हजार बीघा भूमि खरीदी थी। साथ ही इसकी खरीद-फरोख्त भी शुरू कर दी गई। लोगों से जमीन में पैसा लगाकर दोगुनी रकम वापस दिलाने का झांसा भी दिया गया था। उसी दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कंपनी को भंग कर सभी संपत्ति को राज्य सरकार में निहित करने के आदेश दिए गए।
संपत्तियों की नीलामी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक समिति का भी गठन किया है। ताकि निवेशकों का पैसा वापस लौटाया जा सके। कुछ संपत्तियों को समिति के माध्यम से नीलाम भी किया जा चुका है। हालांकि अब पूरी संपत्ति की एकमुश्त खरीद का आवेदन मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह ताजा आदेश जारी किया है।
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