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गोंड कला में झलक रहा जनजाति समुदाय का हुनर

जागरण संवाददाता देहरादून जनजाति समुदाय के हुनर की परिचायक गोंड कला से इन दिनों दूनवासी भी रूबरू हो रहे हैं।

By JagranEdited By: Updated: Fri, 12 Nov 2021 09:18 PM (IST)
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गोंड कला में झलक रहा जनजाति समुदाय का हुनर

जागरण संवाददाता, देहरादून: जनजाति समुदाय के हुनर की परिचायक गोंड कला से इन दिनों दूनवासी भी रूबरू हो रहे हैं। यहां उत्तराखंड जनजाति महोत्सव में विभिन्न राज्यों से पहुंचे जनजाति समुदाय की ओर से गोंड कला उत्पादों के स्टाल लगाए गए हैं। जो जनजाति समुदाय के हुनर की झलक तो दिखा ही रहे हैं, आगंतुकों को अपना मुरीद बना रहे हैं।

ओएनजीसी के अंबेडकर मैदान में इन दिनों उत्तराखंड जनजाति महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इसमें जनजाति समुदाय से जुड़े उत्पादों और कलाओं का प्रदर्शन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां मन भा रही हैं। जौनसारी गायिका रेशमा शाह ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से समा बांध दिया। इसके अलावा विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों ने आदिवासी नृत्य की प्रस्तुति दी। यहां कई प्रकार के स्टाल में जनजाति समुदाय की कला की झलक नजर आ रही है। जिसे आगंतुक खूब सराह रहे हैं। इस बीच महोत्सव के दूसरे दिन यहां गोंड कलाकार यशवंत धुर्वे पहुंचे और उन्होंने स्टाल का अवलोकन कर कलाकारों का हौसला बढ़ाया। यशवंत धुर्वे मध्य प्रदेश में जनजातीय उद्यमिता विकास कार्यक्रम (टीईडीपी) के तहत देशभर के छात्रों में से चुने गए युवा कलाकार हैं। उन्होंने कहा कि गोंड कला गोंड समुदाय की एक आदिवासी कला है। यह चित्रों के माध्यम से उनके गाव की संस्कृति को दस्तावेज करने का एक तरीका है। पहले यह मिट्टी के डिजाइन थे, जो आमतौर पर घरों की दीवारों और फशरें पर बनाए जाते थे। समय के साथ यह बदल गया और ये डिजाइन लकड़ी और कपड़े सहित अन्य कैनवास पर उतारे जाने लगे। महोत्सव में लगभग 150 आदिवासी कारीगर और 300 आदिवासी कलाकार भाग ले रहे हैं। इसमें इन आदिवासी कारीगरों के अद्वितीय उत्पादों को प्रदर्शित करने वाले लगभग 50 स्टाल लगाए गए हैं।

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