Gorkha regiments की खुखरी से डरती है दुनिया, भारतीय सेना में माना जाता है मौत का दूसरा नाम
Gorkha regiments भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल एस एच एफ जे मानेकशा ने भी एक बार कहा था कि अगर कोई तुमसे कहे कि वह कभी नहीं डरता तो वह झूठा है या वह गोरखा है। मानेकशा स्वयं गोरखा राइफल्स के अफसर थे।
टीम जागरण, देहरादून : Gorkha regiments : भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट की 43 बटालियन में नेपाल के मूल निवासी और भारत के दोनों सैनिक हैं। गोरखा राइफल्स दुश्मनों के लिए मौत का दूसरा नाम है। भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल एस एच एफ जे मानेकशा ने भी एक बार कहा था, कि अगर कोई तुमसे कहे कि वह कभी नहीं डरता तो वह झूठा है या वह गोरखा है।
गोरखा रेजिमेंट का महत्वपूर्ण हिस्सा है नेपाली सैनिक
सदियों से नेपाल और भारत का रोटी-बेटी का रिश्ता रहा है और सैनिक परंपरा भी साझी रही है। नेपाली सैनिक भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वहीं 'द प्रिंट' की खबरों की मानें तो भारतीय सेना की गोरखा राइफल्स में अग्निपथ योजना के माध्यम से नेपालियों की भर्ती की जानी है।
सीडीएस जनरल बिपिन रावत भी गोरखा अफसर थे
बता दें कि फील्ड मार्शल एस एच एफ जे मानेकशा स्वयं गोरखा राइफल्स के अफसर थे, उन्होंने बांग्लादेश को आजादी दिलाई थी। सेना के पहले चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत भी एक गोरखा अफसर ही थे। आइए जानते हैं इस खतरनाक गोरखा राइफल्स के बारे में...
- भारतीय सेना में गोरखा राइफल्स की कुल 7 रेजिमेंट्स हैं जिन्हें गोरखा ब्रिगेड कहा जाता है।
- भारत के पहले फील्ड मार्शल मानेकशा खुद को गोरखा अफसर रहे हैं।
- भारत में गोरखाओं की भर्ती राज्यों में स्थित सेना भर्ती कार्यालय के माध्यम से की जाती है।
- भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट की 43 बटालियन में नेपाल के मूल निवासी और भारत के दोनों सैनिक हैं।
- ब्रिटिश भारत द्वारा गोरखा रेजिमेंट की पहली बटालियन 1815 में बनाई गई थी, जिसका नाम नसीरी रेजिमेंट था।
- 1814 से 1816 के बीच हुए एंग्लो-नेपाल युद्धों के दौरान ब्रिटिश सैनिक अधिकारी नेपाली नागरिक की वीरता ने बहुत प्रभावित हुए थे।
- प्रसिद्ध नेपाली सेनापति अमर सिंह थापा ने अंग्रेजों के सामने हथियार डाले तो उन्हें अपने हथियारों और ध्वज के साथ सम्मान से जाने की इजाजत दी गई।
- इन्हीं के सैनिकों से अंग्रेजों ने एक रेजीमेंट बनाई, जिसे नसीरी बटालियन नाम दिया गया। अब ये ही भारतीय सेना की पहली गोरखा राइफल्स कहलाती है।
- भारत को आजाद करने के बाद वापस जा रहे अंग्रेज अपने साथ गोरखा राइफल्स की रेजिमेंट्स को ले गए थे, वह आज भी इंग्लैड की सेना का हिस्सा हैं।
- कारगिल युद्ध में 1/11 गोरखा राइफल्स के लेफ्टिनेंट मनोज पांडे को परमवीर चक्र मिला।
- तिरछी गोरखा हैट और खुखरी इनकी पहचान है और आयो गोरखाली इनका युद्धघोष है।
- गोरखा रेजिमेंट को भारतीय सेना का अभिन्न हिस्सा माना जाता है।