उत्तराखंड के सभी पुलों की मौजूदा हालत पर शासन ने की रिपोर्ट तलब, देनी होगी एक हफ्ते में
शासन ने लोक निर्माण विभाग से रिपोर्ट तलब की है। प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग आरके सुधांशु ने मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग हरिओम शर्मा को एक सप्ताह के भीतर इनकी विस्तृत रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा है।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Mon, 30 Aug 2021 08:15 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में सभी पुलों की मौजूदा स्थिति पर शासन ने लोक निर्माण विभाग से रिपोर्ट तलब की है। प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग आरके सुधांशु ने मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग हरिओम शर्मा को एक सप्ताह के भीतर इनकी विस्तृत रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा है। यह भी कहा गया है कि जिन पुलों का सुधार विभागीय स्तर से हो सकता है, उनकी मरम्मत का कार्य तुरंत किया जाए, जिनके लिए शासन स्तर की अनुमति लेनी की जरूरत है, उनके प्रस्ताव शीघ्र शासन को भेजे जाएं।
देहरादून जिले में हाल ही में देहरादून-ऋषिकेश राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक पुल टूटने का प्रकरण सामने आया। इस घटना के बाद अब शासन हरकत में आया है। शासन ने लोक निर्माण विभाग को प्रदेश के सभी पुलों की जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा है। देखा तो इस वर्ष बरसात ने सड़कों व पुलों को काफी नुकसान पहुंचाया है। जगह-जगह भूस्खलन हो रहा है। नदियां उफान पर हैं। इससे सड़कों व पुलों को काफी नुकसान हो रहा है। देहरादून-ऋषिकेश मार्ग पर रानीपोखरी के निकट जिस दिन पुल टूटा, उस दिन जाखन नदी पूरे उफान पर थी। इसके अलावा पर्वतीय क्षेत्रों में कई स्थानों पर छोटे व निर्माणाधीन पुल नदियों के तेज बहाव की भेंट चढ़े हैं। इससे यह बात भी साफ हुई है कि विभिन्न कारणों से कहीं न कहीं ये पुल पहले से ही कमजोर हो गए थे।
प्रदेश के विभिन्न इलाकों, विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र में पुलों की स्थिति बहुत बेहतर नहीं है। कारण यह कि ये पुल बहुत पुराने हो चुके हैं। इन घटनाओं से सबक लेते हुए अब शासन ने सभी पुलों का निरीक्षण कराने का निर्णय लिया है। प्रमुख सचिव आरके सुधांशु का कहना है कि सभी जिलों से पुलों के संबंध में रिपोर्ट मांगी गई है, ताकि जल्द से जल्द इन्हें दुरुस्त करने की दिशा में कदम उठाए जा सकें।
पुल सेफ्टी आडिट हुए होते, तो न आती ये नौबतप्रदेश में पुलों की देखरेख के लिए हर वर्ष इनका सेफ्टी आडिट करने का प्रविधान है। इस वर्ष जब देहरादून के रायपुर से डोईवाला जाने वाले मार्ग पर थानों के निकट पुल में दरार दिखाई दी थी, तब शासन ने सभी पुलों का सेफ्टी आडिट कराने के निर्देश दिए थे। इस घटना के बाद न तो शासन को रिपोर्ट की याद आई और न ही विभाग ने इस ओर ध्यान दिया। अगर समय से रिपोर्ट मिली होती तो संभवतया विभाग पहले से ही जर्जर पुलों के संबंध में शासन को अवगत करा चुका होता।
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