इस मानसून से सरकारी भवन सहेजने लगेंगे वर्षा जल
उत्तराखंड में इस मानसून से सरकारी भवनों में जल संरक्षण की शुरुआत होगी। शासन ने पहले चरण में विधानसभा समेत 15 भवनों की छत पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग टैंक बनाने की स्वीकृति दे दी है।
By BhanuEdited By: Updated: Wed, 30 May 2018 05:22 PM (IST)
देहरादून, [जेएनएन]: भूजल पर बढ़ते दबाव को कम करने के लिए भवनों में रूफटॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग (छत पर वर्षा जल संग्रहण) टैंक निर्माण की कवायद पहली बार मुकाम की तरफ बढ़ती दिख रही है। शासन ने पहले चरण में विधानसभा समेत 15 भवनों की छत पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग टैंक बनाने की स्वीकृति दे दी है। जल संस्थान का दावा है कि टैंकों का जल्द निर्माण कर इस मानसून सीजन में बारिश के पानी का संग्रहण शुरू कर दिया जाएगा। इसके बाद 13 और भवनों की छत पर टैंक निर्माण की जल्द स्वीकृति मिलने की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर फरवरी-मार्च माह में सरकारी भवनों में वर्षा जल संग्रहण टैंक निर्माण की कवायद शुरू की गई थी। जल संस्थान ने दून के तमाम सरकारी भवनों का सर्वे कर 167 भवनों की सूची तैयार की थी। हालांकि पहले चरण में विधानसभा समेत 15 भवनों को ही स्वीकृति मिल पाई है। इन पर करीब 1.63 करोड़ रुपये का खर्च आएगा और अभी तक शासन ने 65.28 लाख रुपये स्वीकृत कर दिए हैं। जल संस्थान के दक्षिण जोन के अधिशासी अभियंता मनीष सेमवाल और उत्तर जोन के अधिशासी अभियंता यशवीर मल्ल का दावा है कि मानसून सीजन में रूफटॉप (छत के ऊपर) टैंकों का निर्माण पूरा कर बारिश के पानी संग्रह शुरू कर दिया जाएगा।
इन भवनों की छत पर टैंक निर्माण स्वीकृत विधानसभा भवन, सचिवालय में एनआइसी और एटीएस (एसबीआइ, पीएनबी) भवन, सूचना आयोग, किसान भवन, सामान्य निदेशक सूचना भवन, उत्तराखंड राजस्व परिषद, राज्य निर्वाचन आयोग, राजीव गांधी नवोदय विद्यालय में ऐकेडमिक ब्लॉक समेत मेस व छात्रावास भवन, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय, प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय, अनुसंधान विकास प्रशिक्षण एवं संयुक्त प्रवेश परीक्षा केंद्र, राजकीय पॉलीटेक्निक आमवाला, खंड विकास अधिकारी कार्यालय रायपुर।
इस तरह होगा वर्षा जल संग्रहणभवनों की छत पर बारिश के पानी को टेप कर उसकी सप्लाई भूमिगत टैंक में की जाएगी। इसके साथ ही टैंक का कनेक्शन जहां कहीं भी होगा, वहां पानी का प्रयोग किया जा सकेगा।
इस कार्य में लाया जा सकेगा वर्षा जल बागवानी कार्य, शौचालय में प्रयोग, वाहन धोने, फर्श आदि की सफाई।
इसलिए जल संग्रहण जरूरी- दून में इस समय 200 से अधिक ट्यूबवेल से भूजल का दोहन किया जा रहा है, जबकि इनके रिचार्ज के इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं।
- सिर्फ दोहन की प्रवृत्ति के चलते 20 ट्यूबवेल का पानी निरंतर घट रहा है।- तमाम साधन के बाद भी करीब 60 एमएलडी पानी कम पड़ जाता है।
- इस कमी को पूरा करने में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा दिया जाए तो भूजल पर भी दबाव कम होगा।- भूजल पर दबाव बढऩे के चलते राज्य बनने से अब तक विभिन्न क्षेत्रों में भूजल स्तर 17 मीटर तक नीचे चला गया है।
दून के विभिन्न जोन में पानी की कमीदक्षिण जोन---------30.9 एमएलडी
उत्तर जोन----------21.5 एमएलडीपित्थूवाला जोन-------7.8 एमएलडीरायपुर जोन---------10.8 एमएलडीयह भी पढ़ें: उत्तराखंड में इस संस्था की पहल से चहक उठे 52 सूखे जल धारेयह भी पढ़ें: इस गांव का हर शख्स बना मांझी, पहाड़ का सीना चीर खुद लिखी तकदीरयह भी पढें: सूखे को मात देकर इन गांवों ने बहार्इ जलधारा, दिया नवजीवन
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।