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UKSSSC : भर्ती परीक्षा धांधली पर बड़ी कार्रवाई, STF ने पूर्व चेयरमैन आरबीएस रावत सहित तीन को किया गिरफ्तार

Uttarakhand Bharti Scam उत्तराखंड एसटीएफ ने बड़ी कार्रवाई की है। यूकेएसएसएससीसी द्वारा 2016 में कराई गई वीपीडीओ भर्ती परीक्षा में धांधली की जांच में पूर्व चेयरमैन आरबीएस रावत सचिव मनोहर कन्याल पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरिया को गिरफ्ता कर लिया गया है।

By Soban singhEdited By: Nirmala BohraUpdated: Sat, 08 Oct 2022 03:08 PM (IST)
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Uttarakhand Bharti Scam : वीपीडीओ भर्ती परीक्षा में धांधली में पूर्व चेयरमैन आरवीएस रावत।
टीम जागरण, देहरादून : Uttarakhand Bharti Scam : यूकेएसएसएससी की ओर से 2016 में कराई गई वीपीडीओ भर्ती परीक्षा में धांधली की जांच के बाद एसटीएफ ने शनिवार को यूकेएसएसएससी के पूर्व चेयरमैन आरबीएस रावत, सचिव मनोहर कन्याल और पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरिया को गिरफ्तार कर लिया है। यह भर्ती परीक्षा प्रकरण में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। 2016 के मामले में लंबे समय से जांच चल रही थी। 

यूकेएसएसएससी भर्ती घोटाले में अब अब तक उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के 40 आए अधिक आरोपित गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

2016 को करवाई गई थी ग्राम पंचायत विकास अधिकारी चयन परीक्षा

आयोग की ओर से बीते छह मार्च 2016 को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी चयन परीक्षा करवाई गई थी। परीक्षा सभी 13 जनपदों के 236 परीक्षा केंद्रों में संचालित की गई थी। परीक्षा में कुल 87196 परीक्षार्थियों द्वारा प्रतियोगी परीक्षा में भाग लिया गया था। 30 मार्च 2016 को परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया था।

2017 में गठित की गई थी जांच समिति

परीक्षा में धांधली के मद्देनजर विभिन्न शिकायतों के आधार पर उत्तराखंड शासन द्वारा तत्कालीन अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जांच समिति वर्ष 2017 में गठित की गई थी।

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वर्ष 2019 में अनियमितताओं की पुष्टि होने पर विजिलेंस की ओर से मुकदमा दर्ज किया गया था। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के निर्देश के बाद इसी साल अगस्त महीने में विवेचना एसटीएफ को स्थानांतरित हुई।

कब क्‍या हुआ

  • उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा दिनांक 6 मार्च 2016 को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी चयन परीक्षा करवाई गई
  • परीक्षा 6 मार्च 2016 को समस्त 13 जनपदों के 236 परीक्षा केंद्रों में संचालित की गई थी
  • परीक्षा में कुल 87196 परीक्षार्थियों द्वारा प्रतियोगी परीक्षा में भाग लिया गया था
  • 30 मार्च 2016 को परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया था
  • परीक्षा में धांधली के मद्देनजर विभिन्न शिकायतों के आधार पर उत्तराखंड शासन द्वारा तत्कालीन अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जांच समिति वर्ष 2017 में गठित की
  • परीक्षा में अनियमितताओं की पुष्टि होने के कारण परिणाम को निरस्त किया गया
  • वर्ष 2019 में सचिव कार्मिक एवं सतर्कता अनुभाग के निर्देशानुसार उक्त परीक्षा में हुई अनियमितताओं के संबंध में जांच सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर देहरादून को प्राप्त हुई
  • वर्ष 2020 में शासन की अनुमति उपरांत अभियोग पंजीकृत कराया गया
  • वर्ष 2020 से वर्ष 2022 तक उक्त प्रकरण की विवेचना सतर्कता अधिष्ठान देहरादून द्वारा की जा रही थी
  • वर्ष 2022 माह अगस्त में मुख्यमंत्री के निर्देश अनुसार एसटीएफ को विवेचना स्थानांतरित हुई
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  • एसटीएफ द्वारा विवेचना को आगे बढ़ाते हुए साक्ष्य संकलन की कार्रवाई की गई
  • पूर्व में जांच कमेटी द्वारा उक्त परीक्षा से संबंधित ओएमआर शीट को एफएसएल भेजा गया, जिसमें ओएमआर शीट में छेड़छाड़ होने की पुष्टि हुई थी
  • यह पाया गया कि उक्त परीक्षा से संबंधित ओएमआर स्कैनिंग/ फाइनल रिजल्ट बनाए जाने का कार्य तत्कालीन सचिव मनोहर सिंह कन्याल के घर पर हुआ था
  • मामले में अब तक दो दर्जन से अधिक अभ्यर्थी चिन्हित किए गए हैं और उनके बयान एसटीएफ द्वारा दर्ज किए गए हैं
  • पूर्व में तीन अभियुक्त मुकेश कुमार शर्मा, मुकेश कुमार और राजेश पाल को एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका है
  • आज आठ अक्‍टूबर 2022 को एसटीएफ द्वारा तीन बड़ी गिरफ्तारियां की गईं

पांच के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की शासन से मांगी अनुमति

वहीं यूकेएसएसएससी की ओर से पिछले सात सालों में करवाई गई भर्तियों में गड़बड़ी के मामले में आयोग के सचिव संतोष बड़ौनी, पूर्व परीक्षा नियंत्रक नारायण सिंह डांगी व तीन अनुभाग अधिकारियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। जांच के बाद विजिलेंस ने शासन को पत्र लिखकर पांचों अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की शासन से अनुमति मांगी है।

अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध

इस मामले में कई अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई जा रही है। विजिलेंस अधिकारियों के अनुसार इन सात सालों में आयोग की ओर से 88 परीक्षाएं आयोजित करवाई गई हैं। यह परीक्षाएं आरएमएस टेक्नो सोल्यूशंस की ओर से करवाई गई हैं।

कंपनी का रिकॉर्ड खराब होने के बावजूद भी आयोग के अधिकारियों ने किसी कंपनी से 88 परीक्षाएं करवा दीं। अनियमितता पाए जाने पर अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी है।

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