Dehradun रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा में बड़ा अपडेट; झाझरा में सरकारी जमीन बेची, ईस्ट होपटाउन में गोल्डन फारेस्ट पर खेल
Scam In Land Update News रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग की एसआइटी की संस्तुति पर दो और मुकदमे दर्ज l विकासनगर तहसील के अज्ञात कर्मचारी भी बनाए गए आरोपित रकबे में जमीन शेष न होने पर भी रिकॉर्ड नहीं किए अपडेट l रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के पहले चरण में 13 मुकदमे दर्ज करने के साथ पुलिस 20 आरोपितों को भेज चुकी जेल
जागरण संवाददाता, देहरादून। रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के पहले चरण में 13 मुकदमे दर्ज करने के साथ पुलिस 20 आरोपितों को जेल भेज चुकी है। अरबों रुपये के इस फर्जीवाड़े में पुलिस और ईडी की कार्रवाई के साथ ही कोर्ट के समक्ष भी वाद गतिमान है।
वहीं, फर्जीवाड़े के बड़े दायरे को देखते हुए स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग के अंतर्गत जो एसआईटी गठित की गई थी, अब उसकी संस्तुति पर भी मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। लिहाजा, फर्जीवाड़े के इस दूसरे चरण में प्रेमनगर पुलिस ने दो और एफआईआर दर्ज की हैं। दोनों ही प्रकरण विकासनगर तहसील से संबंधित हैं। एक मामले में झाझरा में सरकारी भूमि बेच दी गई। जबकि दूसरे प्रकरण में सरकार में निहित की गई गोल्डन फारेस्ट की भूमि को बेचा गया।
अज्ञात कर्मचारियों को बनाया आरोपित
झाझरा के प्रकरण में विकासनगर तहसील के तत्कालीन अज्ञात कर्मचारियों को भी आरोपित बनाया गया है। हिस्से में बची थी 60 वर्गमीटर भूमि, बेच डाली 1.977 हेक्टेयर: स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग की तहरीर के अनुसार, विकासनगर तहसील के ग्राम झाझरा में इंदिरा नगर देहरादून निवासी बलविंदरजीत सिंह के पास 3.57 हेक्टेयर भूमि थी। जिसे वर्ष 2002 से लेकर 2004-05 के बीच विभिन्न व्यक्तियों के साथ विनिमय करने के साथ ही विक्रय भी किया गया।
आरोपितों ने बेच दी जमीन
जिसके बाद बलविंदरजीत के पास सिर्फ 60 वर्गमीटर भूमि शेष रह गई थी। इसके बाद भी आरोपित ने 1.9770 हेक्टेयर भूमि बेच दी। इसमें से 0.8460 हेक्टेयर भूमि इंडियन सोसाइटी फार ह्यूमन वेलफेयर नामक संस्था को विक्रय की गई। जांच में पाया गया कि संबंधित खसरा नंबर बहुत बड़ा है और उसमें उत्तराखंड सरकार, वन विभाग, टौंस नदी, झाड़ीदार भूमि, बंजर श्रेणी में भी कुल 15.9440 हेक्टेयर भूमि दर्ज है। जाहिर है कि जो अतिरिक्त भूमि बेची गई, वह सरकारी श्रेणी की है और उसी में गैरकानूनी ढंग से कब्जा दिया गया।
तहसील कर्चारियों को पाया गया दोषी
एसआईटी ने दस्तावेजों के परीक्षण में पाया कि भूमि विनिमय और विक्रय किए जाने के बाद भी संबंधित खाते में शेष रकबा स्पष्ट करने में आपराधिक लापरवाही की गई है। जिसमें तहसील के तत्कालीन कर्मचारियों को उत्तरदायी माना गया। प्रकरण में बलविंदरजीत के साथ ही तहसील कर्मचारियों के विरुद्ध भी मुकदमा दर्ज किया गया।
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फिर भी बेच दी जमीन
गोल्डन फारेस्ट की तमाम भूमि को देहरादून के उपजिलाधिकारी ने 21 अगस्त 1997 के आदेश के माध्यम से सरकार में निहित कर दिया था। गोल्डन फारेस्ट की भूमि ईस्ट होपटाउन में भी दर्ज थी। इसमें से 5.86 एकड़ भूमि मैं. आइआरवाईवी फिनकैप डेराबसी (पटियाला) की ओर से प्रतिनिधि के रूप में संजय कुमार नाम के व्यक्ति ने वर्ष 2002 को आकांक्षा कंस्ट्रक्शन कंपनी चकराता रोड देहरादून को बेच दी।
राज्य सरकार में निहित हो चुकी थी जमीन
इस मामले में सहायक महानिरीक्षक स्टांप संदीप श्रीवास्तव की तहरीर के मुताबिक जिस भूमि को संजय कुमार ने आईआरवाईवी कंपनी के प्रतिनिधि के रूप में विक्रय किया, वह तब तक राज्य सरकार में निहित हो चुकी थी। साथ ही विक्रय संबंधी दस्तावेजों में संजय कुमार के पास कंपनी के अधिकृत प्रतिनिधि नामित करने का कोई पत्र भी नहीं था। जांच में यह भी पाया गया कि विक्रय की गई जमीन का रकबा 4.74 एकड़ था, जिसे फर्जीवाड़ा कर 5.86 एकड़ दिखाया गया। वहीं, क्रेता कंपनी आकांक्षा के पास भी जमीन को खरीदने का अधिकार नहीं था। इस मामले में संजय कुमार के साथ ही आकांक्षा कंपनी पर भी एफआइआर दर्ज की गई है।