'उत्तराखंड हनी' की मार्केटिंग करेगी राज्य सरकार
राज्य सरकार अब सहकारिता के माध्यम से शहद की मार्केटिंग करने जा रही है। इसके लिए 'उत्तराखंड हनी' नाम से ब्रांड उतारा जाएगा।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 01 Jan 2018 08:53 PM (IST)
देहरादून, [केदार दत्त]: वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने की कोशिशों में जुटी राज्य सरकार अब सहकारिता के माध्यम से शहद की मार्केटिंग करने जा रही है। इसके लिए 'उत्तराखंड हनी' नाम से ब्रांड उतारा जाएगा। यही नहीं, शहद उत्पादन बढ़ाने के लिए मौनपालन कलस्टर विकसित करने के साथ ही प्रदेश के मुख्य शहरों में विपणन केंद्र खोले जाएंगे।
उत्तराखंड में वर्तमान में करीब 1600 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन होता है। इसमें करीब तीन सौ टन देशी मधुमक्खियों के जरिए मिलता है, जबकि शेष यूरोपियन मधुमक्खी से। मैदानी व पहाड़ी भूगोल वाले इस राज्य में उत्पादित होने वाले शहद की खूब मांग है, खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में उत्पादित होने वाले शहद की। चंपावत जिले में मौनपालन के जरिए शहद का बड़ा कारोबार है।हालांकि, पहाड़ के लगभग सभी घरों में मौनपालन होता है, लेकिन कारोबार के लिहाज से यह व्यवस्थित आकार नहीं ले पाया है। अब सरकार ने मौनपालन को बढ़ावा देकर शहद के कारोबार को लेकर न सिर्फ नीति बनाने की ठानी है, बल्कि वह खुद इसकी मार्केटिंग भी करेगी। इसके लिए रास्ता चुना गया है सहकारिता के माध्यम से।
सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि उत्तराखंड हनी के नाम से यहां के शहद की ब्रांडिंग कर इसे बाजार में उतारा जाएगा। हालांकि, नाम को लेकर अभी मंथन चल रहा है। उन्होंने कहा कि विपणन के लिए देहरादून, मसूरी, हरिद्वार, नैनीताल समेत उन सभी शहरों में सहकारिता के माध्यम से सेंटर खोले जाएंगे, जहां सैलानियों और श्रद्धालुओं की सर्वाधिक आवाजाही होती है। इस पहल से राज्य के किसानों को जहां शहद के अच्छे दाम मिलेंगे, वहीं यह देश-विदेश में भी पहुंचेगा।उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुना करने की दिशा में यह कदम मील का पत्थर बन सकता है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने भी कलस्टर आधारित इस योजना को लेकर सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी है। जल्द ही इसकी पूरी कार्ययोजना तैयार कर इसे इसी साल से धरातल पर उतारा जाएगा।
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