कैबिनेट बैठक: माता पिता को खोने वाले बच्चों की जिम्मेदारी लेगी सरकार, वात्सल्य योजना को मंजूरी
तीरथ सिंह रावत मंत्रिमंडल की बैठक में कई अहम फैसले किए गए। बुधवार को सुबह 11 बजे सचिवालय कैबिनेट बैठक हुई। इसमें फैसला लिया गया कि सीएम वात्सल्य योजना के तहत ऐसे बच्चों को जिन्होंने माता पिता को खोया हो या आश्रित को खोया उनकी जिम्मेदारी सरकार लेगी।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Wed, 09 Jun 2021 10:02 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, देहरादून। कोरोना संक्रमण के कारण माता-पिता अथवा माता-पिता में किसी एक या संरक्षक को खो चुके बच्चों की देखभाल का जिम्मा अब सरकार उठाएगी। ऐसे बच्चों को 21 साल तक प्रतिमाह तीन हजार रुपये का भरण पोषण भत्ता इस साल जुलाई से देय होगा। इसके अलावा इन बच्चों के पुनर्वास, शिक्षा, स्वास्थ्य का ख्याल रखने के साथ ही उनकी पैतृक चल-अचल संपत्ति और उत्तराधिकारों व विधिक अधिकारों का संरक्षण भी किया जाएगा। इसके लिए कैबिनेट ने मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के क्रियान्वयन को हरी झंडी दे दी है। यह योजना 31 मार्च 2022 तक प्रभावी रहेगी।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने 23 मई को मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना की घोषणा की थी। बाद में योजना का दायरा बढ़ाते हुए इसमें कुछ और बिंदुओं को शामिल करने का निर्णय लेते हुए मसौदा तैयार किया गया। बुधवार को कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल के अनुसार योजना में अनाथ बच्चों के अलावा ऐेसे बच्चे जिनके माता-पिता में से किसी एक की कोरोना संक्रमण से मृत्यु हुई हो या दूसरे का पूर्व में देहांत हो गया अथवा माता-पिता में से किसी एक कमाऊ सदस्य की मृत्यु हो गई हो, को भी योजना के दायरे में लाया गया है। ऐसे बच्चे भी योजना में पात्र होंगे, जिनके माता-पिता की पूर्व में मृत्यु हो चुकी हो और अब संरक्षक का भी निधन हो गया हो।
उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों को प्रतिमाह भरण-पोषण भत्ते के अलावा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत प्रतिमाह मुफ्त राशन, चिकित्सा के लिए अटल आयुष्मान योजना, स्वरोजगार को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना से लाभान्वित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों को कक्षा 12 तक सरकारी विद्यालयों में मुफ्त शिक्षा दी जाएगी। इसके साथ ही राज्य सरकार की ओर से संचालित आवासीय विद्यालयों में प्रवेश, उच्च, तकनीकी व चिकित्सा शिक्षा के स्नातक, पालिटेक्निक, आइटीआइ, पैरामेडिकल साइंस के डिप्लोमा, डिग्री व सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम में प्रवेश में आरक्षण व मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था की गई है। प्रदेश की राजकीय सेवाओं में ऐसे बच्चों के लिए पांच फीसद क्षैतिज आरक्षण का प्रविधान किया गया है।
डीबीटी के जरिये भेजी जाएगी राशिकैबिनेट मंत्री उनियाल के अनुसार मार्च 2020 से ऐसे बच्चों को चिह्नित किया जाएगा। भरण पोषण भत्ते के रूप में दी जाने वाली सहायता राशि डीबीटी के माध्यम से बैंक खातों में भेजी जाएगी। यदि बच्चा नाबालिग है तो धनराशि उसके व संरक्षक के संयुक्त बैंक खाते में भेजी जाएगी।
ये नहीं होंगे पात्रऐसे बच्चे जिनके माता-पिता में से कोई एक जीवित हो और वह सरकारी सेवा में हों अथवा पेंशन अथवा पारिवारिक पेंशन का लाभ ले रहे हों, वे योजना में आर्थिक सहायता के पात्र नहीं होंगे। इसके अलावा जो बच्चे केंद्र सरकार की योजनाओं में आच्छादित होंगे, वे भी पात्र नहीं माने जाएंगे।
अब तक 585 बच्चे चिह्नितप्रदेशभर में अभी तक ऐसे 43 बच्चे चिह्नित किए गए हैं, जिन्होंने कोरोना संक्रमण के कारण माता-पिता को खोया है। इसके अलावा ऐसे बच्चों की संख्या 542 है, जिनके माता-पिता में से किसी एक की कोरोना संक्रमण से मृत्यु हुई है।
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