कोरोना महामारी के बीच सरकार के कामकाज पर मंडराया संकट, पढ़िए
कोरोना महामारी की वजह से कई मोर्चे पर जूझ रही सरकार के सामने अब अपना कामकाज सुचारू रखने पर खतरा मंडरा गया है।
By Edited By: Updated: Mon, 01 Jun 2020 01:18 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। कोरोना महामारी की वजह से कई मोर्चे पर जूझ रही सरकार के सामने अब अपना कामकाज सुचारू रखने पर खतरा मंडरा गया है। मुख्यमंत्री और तीन मंत्रियों के क्वारंटाइन रहने से कैबिनेट बैठकों से लेकर विभिन्न विभागों के स्तरों पर होने वाले फैसलों पर असर दिखाई दे सकता है। हालांकि, इस दौरान कैबिनेट बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये आयोजित की जाएंगी। उधर, मंत्रियों व अधिकारियों के क्वारंटाइन को लेकर जिलाधिकारी के आदेश पर नजरें टिक गई हैं।
कोरोना महामारी की दस्तक के साथ ही उसकी रोकथाम को लेकर सरकार और उसकी मशीनरी विभिन्न मोर्चों पर जूझती रही है। जनहित में तुरंत फैसलों के लिए कैबिनेट बैठकें लगातार होती रही हैं। अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद क्वारंटाइन रहेंगे। अन्य तीन मंत्री मदन कौशिक, हरक सिंह रावत और सुबोध उनियाल भी सेल्फ क्वारंटाइन रहेंगे। उक्त तीनों ही मंत्री कोरोना संकट काल में उद्योगों, श्रम, कृषि सेक्टर, प्रवासियों के आजीविका के मसलों को लेकर विभिन्न मंत्रिमंडलीय उपसमितियों का हिस्सा हैं। इनकी अध्यक्षता में महकमों समेत विभिन्न स्तरों पर होने वाली बैठकों पर भी खतरा मंडरा गया है।
यही नहीं क्वारंटाइन की जद में शासन के अधिकारी भी आए तो सरकार का कामकाज ज्यादा प्रभावित होना तय है। चूंकि बैठक में शासन के तमाम आला अधिकारी मौजूद रहे। इन्हें क्वारंटाइन किए जाने पर फैसला मंत्रियों खासतौर पर कोरोना पॉजिटिव मंत्री सतपाल महाराज के संपर्क में आने और रिस्क फैक्टर देखते हुए लिया जाएगा। सतपाल महाराज समेत चारों मंत्रियों के लिए फिलहाल विभागीय बैठकें लेना मुमकिन नहीं होगा। उधर, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि कैबिनेट बैठकें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हो सकती हैं।
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कैबिनेट बैठक में मंत्रियों व अधिकारियों के होम क्वारंटाइन को लेकर फैसला हाई रिस्क और लो रिस्क के आधार पर होगा। हाई रिस्क में कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति से नजदीकी संपर्क खासतौर पर शरीर को छूने, एक मीटर से कम दूरी, घर में साथ रहने और एक वाहन में लगातार छह घंटा साथ रहना शामिल है। माना ये जा रहा है कि कैबिनेट में मौजूद रहे अधिकारियों के मामले में ज्यादातर लो रिस्क के दायरे में आ सकते हैं। इस वजह से जिलाधिकारी के स्तर पर सोमवार को लिए जाने वाले फैसले पर सबकी निगाहें टिकी हैं।
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