Move to Jagran APP

दून विश्वविद्यालय पर हिमालय संरक्षण की विराट जिम्मेदारी

दून विश्‍वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में 44 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक, 617 छात्रों को स्नातकोत्तर, 380 को स्नातक व पांच छात्र-छात्राओं को पीएचडी उपाधि से नवाजा गया।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 30 Nov 2018 08:45 PM (IST)
Hero Image
दून विश्वविद्यालय पर हिमालय संरक्षण की विराट जिम्मेदारी
देहरादून, जेएनएन। दून विश्वविद्यालय को हिमालय संरक्षण की विराट जिम्मेदारी मिली है। विवि के प्रथम भव्य दीक्षा समारोह में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी शामिल हुए। उन्होंने अपेक्षा करते हुए कहा कि दून विवि अंतरराष्ट्रीय प्रतिमानों के अनुरूप शोध एवं अनुसंधान कर हिमालय के संरक्षण व संवद्र्धन में अहम जिम्मेदारी निभाए।

विवि के प्रथम दीक्षा समारोह में 44 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक, 617 छात्रों को स्नातकोत्तर, 380 को स्नातक व पांच छात्र-छात्राओं को पीएचडी उपाधि से नवाजा गया। कुलाधिपति बेबी रानी मौर्य  ने गोल्ड मेडल से छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया। समारोह में विशेष रूप से पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री व कानपुर से सांसद डॉ. मुरली मनोहर जोशी को डॉक्टर ऑफ साइंस एवं उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी को डॉक्टर ऑफ लिटरेचर की मानद उपाधि से विभूषित किया गया।

राज्यपाल बेबी रानी मोर्य ने कहा कि छात्रों के जीवन को तराशने और साधने में शिक्षकों व माता-पिता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि देहरादून ने स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान देशभर में बनाई है। दून विश्वविद्यालय की स्थापना की पृष्ठभूमि में यही सोच थी कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी यह उत्कृष्ट संस्थान बनकर उभरेगा। शोधकार्यों को प्रोत्साहन देना व समग्र विकास के लिए नीति निर्माण में सहायता देना दून विवि की अहम जिम्मेदारी है। इस दौरान राज्यपाल ने गोल्ड मेडल विजेता छात्रों में 92 फीसद छात्राओं के शामिल होने पर खुशी जताई।

समारोह में श्रीदेव सुमन विवि के कुलपति डॉ. यूएस रावत,दून विवि के कुलसचिव डॉ. एमएस मंद्रवाल,  प्रो एचएस धामी, प्रोफेसर एसपी सिंह, प्रोफेसर एएन पुरोहित, डॉ. हेमचंद्र पांडे, प्रोफेसर पीयूष कांत दीक्षित, प्रोफेसर आरडी आनंद, प्रोफेसर एचएस ढीढ़सा, बसंती बिष्ट, अर्चना शर्मा, तन्वी नेगी सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

गोल्ड मेडल से यह हुए सम्मानित

  • स्नातकोत्तर: स्वाति शर्मा, गिरिजा शंकर सेमवाल, मोनिका राणा, अंकित अग्रवाल, तोयबा मुस्ताक, निधि माथुर, मितुल कोटेचा, उमा तिवारी, सरगम मेहरा, पूजा, आदिति रावत, तानिया नारंग, प्रीथा चट्टोपाध्याय, पेंटीले थोंग, ताशी नेगी, तूलिका दीवान, मिताली गांधी, गरिमा नौटियाल, दीप्ति मिश्रा, वंदना, अदिति खंडूरी, सौम्या अरोड़ा, छायांका राठौर, सुजीता कुमारी, शैलजा डिमरी, ज्योति श्रीराम, सृष्टि चमोला व अनुभूति ध्यानी।
  • स्नातक: मोहित घई, मोहित पायल, अदिति रावत, पृथा चट्टोपाध्याय, शिवांगी रावत, हनी धींगरा, स्वाति बिष्ट, हिमाद्री चंद, ज्योतिका अरोड़ा, एलिजाबेथ महिमा जैकब, कोमल सजवाण, तनुजा कर्नाटक, गौसिया सिद्धिकी, ऐश्वर्य गुप्ता, मोहिनी पासवान व अंतरा प्रियदर्शनी।
दून विवि के विकास को पांच करोड़

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दून विवि को पांच करोड़ रुपये का विशेष अनुदान देने की घोषणा की। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि दून विवि राज्य में ही नहीं, बल्कि देशभर के बेहतरीन विश्वविद्यालयों में शुमार होगा। कहा कि नौकरियों के पीछे भागना जरूरी नहीं है। हमारे समाज की प्रगति और विकास के लिए आवश्यक है कि छात्र उद्यमी बनें। विकास के इस चरण में उत्तराखंड को उद्योगों के लिहाज से उच्चकोटि की श्रम शक्ति के स्रोत के रूप में उभरना है।

श्रीदेव सुमन विवि सेना प्रमुख को देगा मानद उपाधि

उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि दून विवि को आगे बढ़ाने के लिए सरकार हरसंभव सहायता देगी। कहा कि विवि के वार्षिक कैलेंडर में 180 दिन उपस्थिति अनिवार्य है, जबकि दून विवि में 212 दिन कक्षाएं चली, जो हर्ष का विषय है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड श्रीदेव सुमन विवि के दीक्षा समारोह में थल सेना अध्यक्ष बिपिन रावत को मानद उपाधि से विभूषित किया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी को पद्मश्री से सम्मानित करने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेज रही है।

एमए भूगोल व भूगर्भ होंगे शुरू

दून विवि के कुलपति डॉ. सीएस नौटियाल ने दीक्षा समारोह में विवि की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। बताया कि विवि आठ स्कूलों में स्नातक व स्नातकोत्तर डिग्री प्रोग्राम संचालित कर रहा है। विवि में अगामी सत्र से डॉ. नित्यानंद हिमालयी शोध व अध्ययन केंद्र के अधीन भूगर्भ विज्ञान और भूगोल में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम व शोधकार्य शुरू होने जा रहा है। साथ ही लोक कला, भाषा, संस्कृति व सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण व संवद्र्धन के लिए गढ़वाली और कुमाऊंनी बोलियों के पाठ्यक्रम व शोधकार्य भी प्रस्तावित हैं। सामाजिक न्याय के संदर्भ में शोध व अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर चेयर का प्रस्ताव भी अनुमोदित कराकर केंद्र सरकार को प्रेषित किया जा चुका है। इसके अलावा उद्यमिता को विकसित करने के लिए एक पृथक प्रकोष्ठ की स्थापना विचाराधीन है।

लोक भाषाओं को बचाना सराहनीय कदम: नरेंद्र सिंह नेगी 

प्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि वह पिछले 44 वर्षों से उत्तराखंड की संस्कृति, लोक मान्यता, रीति-रिवाज एवं सांस्कृतिक सरोकारों को गीतों के माध्यम से प्रस्तुत कर रहे हैं। कहा कि दून विवि सहित प्रदेश के अन्य विवि में गढ़वाली व कुमाऊंनी के संरक्षण के लिए लोक भाषा केंद्र बनने की सरकार की योजना स्वागत योग्य है।

बोले पदक विजेता

  • अनुभूति ध्यानी (एमए अंग्रेजी, गोल्ड मेडल) का कहना है कि दून विवि से स्नातकोत्तर की शिक्षा ग्रहण करना मेरे लिए गर्व की बात है। विवि में शैक्षणिक माहौल अन्य विवि से बेहतर एवं उच्च कोटि का है। भविष्य में दून विवि उत्तराखंड में शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगा।
  • अंतरा प्रियदर्शनी (बीबीए ऑनर्स, गोल्ड मेडल) का कहना है कि दून विवि से आइएमबीए करने के बाद मुझे गुरुग्राम में अमेरिकन एक्सप्रेस में बेहतर जॉब मिली है। दून विवि का पाठ्यक्रम सर्वोच्च तो है ही, यहां पठन-पाठन का भी बेहतर माहौल है। ऐसे माहौल में मेधावी छात्रों को आगे बढ़ने का मौका मिलता है।
  • प्रीथा चट्टोपाध्याय (बीए व एमए कम्युनिकेशन ऑनर्स में गोल्ड मेडल) का कहना है कि मैंने विवि में स्नातक व स्नातकोत्तर कम्युनिकेशन की पढ़ाई की। विवि के फैकल्टी के अलावा माता-पिता का भी सही मार्गदर्शन मुझे मिला। दून विवि में नियमित कक्षाएं चलना भी छात्रों के लिए लाभदायक सिद्ध होता है।
  • तान्या नारंग (एमए स्पेनिश, गोल्ड मेडल) का कहना है कि मैंने खुद कड़ी मेहनत की और विवि में नियमित कक्षाएं ली। विवि की फैकल्टी भी छात्राओं के पठन-पाठन में कड़ी मेहनत करती है। विवि में प्रयोगशाला व पुस्तकालय की आधुनिक सुविधा भी सफलता में सहायक सिद्ध होता है।
यह भी पढ़ें: 37 कैडेट्स भारतीय सैन्य अकादमी की मुख्यधारा में हुए शामिल

यह भी पढ़ें: प्राचीन वास्तुकला से सीख लें आज के इंजीनियर: डॉ मुरली मनोहर जोशी

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।