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राजकीय शिक्षकों को छुट्टी के दिन काम करने पर मिलेगा अलग से अवकाश

राजकीय शिक्षकों के लिए अच्छी खबर है। अब बोर्ड परीक्षाओं के दौरान छुट्टी के दिनों में काम करने वाले शिक्षकों को उसके बदले अलग से अवकाश मिलेगा।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 21 Nov 2019 11:46 AM (IST)
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राजकीय शिक्षकों को छुट्टी के दिन काम करने पर मिलेगा अलग से अवकाश
देहरादून, जेएनएन। राजकीय शिक्षकों के लिए अच्छी खबर है। अब बोर्ड परीक्षाओं के दौरान छुट्टी के दिनों में काम करने वाले शिक्षकों को उसके बदले अलग से अवकाश मिलेगा। परीक्षाएं खत्म होने के बाद से यह अवकाश लिया जा सकेगा। एक महीने में एक शिक्षक को अधिकतम दो दिनों का अवकाश ही मिलेगा। हालांकि बचे हुए दिन अगले महीने में समायोजित हो सकेंगे।

शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को छुट्टियों के मामले में राहत दी है। बोर्ड परीक्षाओं के दौरान अवकाश वाले दिनों में काम करने वाले शिक्षकों को उसके बदले अलग से छुट्टी दी जाएगी। अवकाश में सरकारी कलेंडर में छुट्टी वाले दिन शामिल होंगे। प्रदेश भर के शिक्षकों में इस घोषणा से खुशी की लहर है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक के हवाले से जारी पत्र में नए प्रावधान का जिक्र किया गया है। मुख्य शिक्षा अधिकारी आशा रानी पैन्यूली ने पत्र जारी कर जिले के शिक्षकों को यह जानकारी दी।

बताया कि बोर्ड परीक्षाओं के दौरान कॉपियां चेक करने और परिणाम जल्दी घोषित करने का दबाव शिक्षा विभाग पर होता है। ऐसे में शिक्षकों से लगातार काम लिया जाता है। बोर्ड परीक्षा की कॉपियां चेक करने के दौरान कई दिन सरकारी कलेंडर के हिसाब से छुट्टी भी होती है। अब तक इन दिनों में काम करने के बदले छुट्टी नहीं दी जाती थी, लेकिन अब शिक्षकों को इसका लाभ मिलेगा। ऐसा भी हो सकता है कि मूल्यांकन के दौरान कोई शिक्षक रविवार या अन्य छुट्टियां मिलाकर छह दिन काम कर ले। ऐसे में शिक्षक को एक महीने में अधिकतम दो दिन का प्रतिकर अवकाश देने का प्रावधान बनाया गया है। बाकी की छुट्टी अगले महीनों में दो-दो दिन के हिसाब से दी जाएगी।

मूल्यांकन के लिए तैयार होंगे शिक्षक

बोर्ड परीक्षा के दौरान सरकारी छुट्टियां नहीं मिलने से शिक्षक भी मूल्यांकन से कतराते रहे हैं। छुट्टियों की व्यवस्था लागू करने के पीछे विभाग का उद्देश्य मूल्यांकन में शिक्षकों की कमी को पूरा करना है। नई व्यवस्था लागू होने से शिक्षक मन से मूल्यांकन भी करेंगे और शिक्षकों की कमी भी नहीं पड़ेगी।

आयुर्वेद विवि: परीक्षा लेने से कतरा रहे परीक्षक

उत्तराखंड आयुर्वेद विवि आए दिन नए विवादों में घिरा नजर आता है। विवि में खरीद, कभी नियुक्ति में झोल और कभी शुल्क और संसाधनों को लेकर छात्रों का हंगामा विवाद का कारण बनता रहा है। ताजा मामला परीक्षकों के बिलों के लंबित भुगतान का है। राज्य छोडि़ए, बाहर भी विश्वविद्यालय की छवि कुछ ऐसी बनी है कि परीक्षक परीक्षा लेने आने से कतराने लगे हैं। कई परीक्षकों के सालों पुराने यात्रा बिल एवं कॉपी जांचने के लिए दिए जाने वाले बिलों का भुगतान लंबित है।

दरअसल, विवि में हर सत्र में चार से पांच प्रायोगिक परिक्षाएं होती हैं। जिनमे बाह्य व आंतरिक परीक्षक परीक्षाओं का संचालन करते हैं। बाह्य परीक्षकों को विश्विद्यालय द्वारा तय राशि का भुगतान किया जाता है। यह परिक्षाएं पूरे वर्ष अलग-अलग सत्र में होती हैं और पूरक परिक्षाओं में भी इसी प्रकार से बाह्य परीक्षक प्रायोगिक परीक्षाओं को सम्पन्न कराते हैं। ऐसी ही प्रायोगिक परीक्षाएं एमडी और एमएस में होती है। जिनमे कई बार छात्रों से ही पैसे वसूल बाह्य परीक्षकों के रहने और खाने सहित आने जाने के इंतजाम किए जाते हैं। पर इन देयकों का भुगतान लंबे वक्त से नहीं किया गया है। जिस कारण परीक्षक अब विवि की परीक्षाओं में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। भुगतान में देरी के कारण न केवल उनकी दिलचस्पी कम हुई है बल्कि देश में विवि की छवि भी धूमिल हुई है। 

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अधिकारी-कर्मचारियों का वेतन भी लटका 

विवि में परीक्षकों का भुगतान ही नहीं अटका है, बल्कि अधिकारियों कर्मचारियों का वेतन भी अभी तक नहीं दिया गया है। हालात यह है कुलपति और कुलसचिव तक को दीवाली तक का वेतन भुगतान नहीं मिल पाया है। जबकि वित्त सचिव के स्पष्ट आदेश थे कि सभी कर्मचारियों एवं शिक्षकों को दीवाली से पूर्व वेतन का भुगतान किया जाए। पर अक्टूबर माह का वेतन अब तक नहीं मिला है। यही हाल संविदा और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का भी है। विश्विद्यालय से जुड़े उपनल और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों का भी वेतन लंबित है। इन सबकी वजह विश्वविद्यालय में आपसी  विभागों में तालमेल की कमी होना बताया गया है। वित्त नियंत्रक संजीव सिंह का कहना है कि बजट में देरी के कारण यह स्थिति बनी है। बजट मिलते ही तमाम लंबित भुगतान कर दिए जाएंगे। 

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