उत्तराखंड के गांव कितने सरसब्ज, अब आएगी तस्वीर सामने
केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी ग्राम पंचायत विकास कार्यक्रम (जीपीडीपी) के तहत गांवों में होने वाले सर्वे में पता चलेगा कि वहां कितनी सुविधाएं पहुंची और किसकी दरकार है।
By Edited By: Updated: Sun, 08 Sep 2019 08:29 PM (IST)
देहरादून, केदार दत्त। उत्तराखंड में गांव कितने सरसब्ज हुए हैं, इसकी असल तस्वीर अब सामने आएगी। केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी ग्राम पंचायत विकास कार्यक्रम (जीपीडीपी) के तहत गांवों में होने वाले सर्वे में पता चलेगा कि वहां कितनी सुविधाएं पहुंची और किसकी दरकार है। इसके आधार पर गांवों की श्रेणियां तय कर ग्राम पंचायतें अपनी-अपनी योजनाएं बनाएंगी। देश के अन्य हिस्सों की भांति दो अक्टूबर से उत्तराखंड में भी जीपीडीपी की शुरुआत होगी। अपर सचिव पंचायतीराज एचसी सेमवाल के मुताबिक हरिद्वार जिले में ये कार्यक्रम दो अक्टूबर से चलेगा, जबकि शेष 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने के बाद। तब तक इन जिलों में तैयारियां की जाएंगी।
गांवों के विकास पर केंद्र सरकार का खास फोकस है और इसी कड़ी में पिछले वर्ष जीपीडीपी की शुरुआत की गई। इसके तहत राज्य में भी दो अक्टूबर से 31 दिसंबर तक पहल हुई, मगर हरिद्वार को छोड़ शेष जिलों में इस वर्ष जुलाई में ग्राम पंचायतों और फिर अगस्त में क्षेत्र व जिला पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो गया। ऐसे में मुहिम ठीक से परवान नहीं चढ़ पाई। अब जबकि केंद्र सरकार ने जीपीडीपी को जनांदोलन की शक्ल देने का निश्चय किया है तो उत्तराखंड सरकार भी इसे लेकर सक्रिय हो गई है। प्रदेश में इस बार भी दो अक्टूबर से इसकी शुरुआत हरिद्वार जिले से होगी।
29 बिंदुओं पर होगा गांव का सर्वे
जीपीडीपी का सबसे अहम बिंदु है विभिन्न विभागों के सहयोग से होने वाला गांवों का सर्वे। इसके तहत गांव में बिजली-पानी, सड़क, स्कूल की सुविधा है या नहीं, आंगनबाड़ी की स्थिति क्या है, स्वास्थ्य सुविधा है या नहीं अथवा कितनी दूर है, महिलाओं एवं बच्चों के टीकाकरण की स्थिति क्या है जैसे 29 बिंदुओं का सर्वे किया जाएगा। ग्राम पंचायत की बैठक में इसकी बाकायदा पुष्टि होगी और फिर जीपीडीपी के एप में अपलोड किया जाएगा। इस सर्वे के आधार पर गांव के विकास के लिए प्राथमिकता तय कर ग्राम पंचायत योजनाएं बनाएगी।
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गांवों की बनेंगी तीन श्रेणियां
सर्वे के आधार पर गांवों की तीन श्रेणियां तय की जाएंगी। इनमें ग्रीन (कंफर्ट जोन), रेड (जहां कार्य तेजी से करने की जरूरत है) और यलो (जहां कुछ और करने की गुजाइश है) शामिल हैं।
जीपीडीपी में दर्ज योजना को ही मिलेगा पैसा
अपर सचिव पंचायतीराज एचसी सेमवाल के मुताबिक गांव के विकास की योजना जीपीडीपी के तहत ही बनेगी। केंद्र व राज्य से उन्हीं योजनाओं के लिए पैसा मिलेगा, जिनकी योजना जीपीडीपी में दर्ज होगी। इसके बाद ही पंचायत अथवा विभाग कार्य करा सकेंगे।
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