Rajaji Tiger Reserve: राजाजी टाइगर रिजर्व में हाथियों को नहीं होगी भोजन-पानी की दिक्कत, विकसित किए जाएंगे घास के मैदान
Rajaji Tiger Reserve उत्तराखंड में गजराज का बढ़ता कुनबा साबित करता है कि यहां हाथियों का संरक्षण ठीक से हो रहा है। यह कि जिस हिसाब से हाथियों की संख्या बढ़ रही है उसके अनुपात में जंगलों में भोजन-पानी का इंतजाम है अथवा नहीं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 27 Nov 2020 03:26 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। Rajaji Tiger Reserve उत्तराखंड में गजराज का बढ़ता कुनबा साबित करता है कि यहां हाथियों का संरक्षण ठीक से हो रहा है। बावजूद इसके तस्वीर का दूसरा पहलू भी है। वह यह कि जिस हिसाब से हाथियों की संख्या बढ़ रही है, उसके अनुपात में जंगलों में भोजन-पानी का इंतजाम है अथवा नहीं। इस नजरिये से राजाजी टाइगर रिजर्व में हाथियों की धारण क्षमता को लेकर कराए जा रहे अध्ययन के प्रारंभिक आकलन ने चिंता की घंटी जरूर बजा दी है। आकलन के मुताबिक रिजर्व में धारण क्षमता से 83 हाथी ज्यादा हैं। इसे देखते हुए वन्यजीव महकमे ने रिजर्व में दो हजार हेक्टेयर क्षेत्र में चौड़ (घास के मैदान) विकसित करने का निर्णय लिया है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि राजाजी में फिलहाल चिंता जैसी कोई बात नहीं है, लेकिन चुनौती बढ़ गई है। हाथियों की संख्या प्राकृतिक रूप से नियंत्रित होती रहती है। फिर हाथी लगातार मूवमेंट करते रहते हैं, जिससे वन संपदा को क्षति की संभावना नहीं के बराबर है। अलबत्ता, यह जरूरी है कि हाथियों की निर्बाध आवाजाही के लिए गलियारे खुले रखे जाएं।
राज्य में यमुना से लेकर शारदा नदी तक राजाजी व कार्बेट टाइगर रिजर्व समेत 14 वन प्रभागों के करीब साढ़े छह हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हाथियों का बसेरा है। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो वर्ष 2012 से यहां हाथी निरंतर बढ़ रहे हैं और वर्तमान में इनकी संख्या 2026 पहुंच गई है। इसके साथ ही चुनौतियां भी बढ़ गई हैं। जंगल की देहरी पार कर हाथी लगातार आबादी वाले क्षेत्रों में परेशानी का सबब बने हुए हैं। माना जा रहा कि संख्या बढऩे पर भोजन की तलाश में ये आबादी वाले क्षेत्रों में धमक रहे हैं। राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे हरिद्वार क्षेत्र में हाथियों की धमाचौकड़ी ने सर्वाधिक दिक्कतें खड़ी की हुई हैं।
इस सबके मद्देनजर इस साल जुलाई में सार्वजनिक की गई हाथी गणना के नतीजों के बाद राजाजी व कार्बेट टाइगर रिजर्व में हाथियों की धारण क्षमता का अध्ययन कराने का निर्णय लिया गया। राजाजी के प्रारंभिक अध्ययन में बात सामने आई कि रिजर्व के अंतर्गत 820 वर्ग किमी के कोर क्षेत्र में हाथियों की धारण क्षमता 225 है, जबकि हालिया गणना के मुताबिक वहां हाथियों की 311 है।
राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग के मुताबिक हाथियों की धारण क्षमता का निर्धारण भारतीय वन्यजीव संस्थान के तकनीकी सहयोग से किया जा रहा है। प्रारंभिक आकलन में राजाजी टाइगर रिजर्व में धारण क्षमता से ज्यादा हाथियों का अनुमान है, मगर यह चिंता वाली बात नहीं है। हाथियों का मूवमेंट यहां से कार्बेट और उत्तर प्रदेश में होता रहता है। ऐसे में पारिस्थितिकी अथवा दूसरे वन्यजीवों पर असर पडऩे की संभावना नहीं है। हालांकि, रिजर्व में हाथियों के लिए वासस्थल विकास पर खास फोकस किया गया है। उन्होंने बताया कि राजाजी व कार्बेट टाइगर रिजर्व की फाइनल रिपोर्ट आने के बाद ही धारण क्षमता को लेकर सही स्थिति सामने आएगी और फिर इसके आधार पर कदम उठाए जाएंगे।
...बढ़ सकते हैं रिजर्व के दायरे
जंगल में धारण क्षमता का आकलन हाथियों की संख्या, भोजन-पानी का इंतजाम समेत कई बिंदुओं के आधार पर किया जाता है। यदि राज्य के दोनों टाइगर रिजर्व में हाथी तेजी से बढ़ते हैं और ये धारण क्षमता से अधिक हो जाते हैं तो निकट भविष्य में दोनों रिजर्व का दायरा बढ़ाने के विकल्प पर भी विचार किया जा सकता है।एक चुनौती यह भी
वर्ष 2017 व 2020 की गणना के आंकड़ों को ही लें तो इन तीन वर्षों के दरम्यान राज्य में हाथियों की संख्या में करीब 10 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। इसी हिसाब से आगे भी हाथी बढ़ते चले गए तो वर्ष 2050 तक इनकी संख्या यहां चार हजार के करीब होने का अनुमान है। जाहिर है कि तब इनके लिए वन क्षेत्र बेहद कम पड़ जाएगा। राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक डीके सिंह के अनुसार ऐसी स्थिति में मामला नीतिगत हो जाएगा। इसके तहत हाथियों की शिफ्टिंग या फिर दूसरे विकल्पों पर विचार हो सकता है।
-विभाष पांडव (वरिष्ठ वैज्ञानिक, भारतीय वन्यजीव संस्थान) ने कहा कि राज्य में हाथियों की बढ़ी संख्या को लेकर चिंताजनक स्थिति नहीं है। इनकी संख्या प्राकृतिक रूप से नियंत्रित होती रहती है। हां, ये जरूर है कि संख्या बढऩे पर ये अन्य जंगलों की तरफ रुख करेंगे। ऐसे में बेहतर कनेक्टिविटी जरूरी है। लिहाजा, वासस्थल विकास पर ध्यान देना होगा। यदि हाथी एक सीमित दायरे में सिमटते हैं तो दिक्कत हो सकती है।Ó
राज्य में हाथी
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- 2020, 2026
- 2017, 1839
- 2015, 1797
- 2012, 1559
- प्रभाग/सर्किल, संख्या
- कार्बेट टाइगर रिजर्व, 1224
- राजाजी टाइगर रिजर्व, 311
- उत्तरी कुमाऊं, 12
- पश्चिमी वृत्त, 127
- शिवालिक वृत्त, 352
- कासरो-बड़कोट
- चीला-मोतीचूर
- मोतीचूर-गौहरी
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