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Bhagirathi Eco Sensitive Zone में सड़कों के नौ प्रस्तावों को सशर्त हरी झंडी, बदल जाएगी उत्‍तरकाशी के 88 गांवों की सूरत

Bhagirathi Eco Sensitive Zone मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में हुई भागीरथी ईको सेंसिटिव जोन की मानीटरिंग कमेटी की बैठक में इस जोन में प्रस्तावित सड़कों के नौ प्रस्तावों को सशर्त हरी झंडी दे दी गई। सौ किलोमीटर लंबे और लगभग चार हजार वर्ग किलोमीटर में फैले भागीरथी ईको सेंसिटिव जोन के दायरे में आने वाले 88 गांवों में विकास कार्यों को गति मिलेगी।

By kedar dutt Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sat, 22 Jun 2024 07:59 AM (IST)
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Bhagirathi Eco Sensitive Zone की मानीटरिंग कमेटी की बैठक की अध्यक्षता करती मुख्य सचिव राधा रतूड़ी। साभार- सूवि

राज्य ब्यूरो, जागरण देहरादून। Bhagirathi Eco Sensitive Zone: उत्तरकाशी जिले की भागीरथी घाटी में उत्तरकाशी से लेकर गंगोत्री तक सौ किलोमीटर लंबे और लगभग चार हजार वर्ग किलोमीटर में फैले भागीरथी ईको सेंसिटिव जोन के दायरे में आने वाले 88 गांवों में विकास कार्यों को गति मिलेगी।

इस क्रम में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई भागीरथी ईको सेंसिटिव जोन की मानीटरिंग कमेटी की बैठक में इस जोन में प्रस्तावित सड़कों के नौ प्रस्तावों को सशर्त हरी झंडी दे दी गई। इस अवसर पर मुख्य सचिव ने इस जोन के अंतर्गत पारिस्थितिकी और आर्थिकी में संतुलन कायम रखते हुए तय पर्यावरणीय मानकों के अनुसार निर्माण कार्य कराने और मानकों की अवहेलना के मामलों में कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

पर्यावरणीय मानकों का अनुपालन

मुख्य सचिव ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए भागीरथी ईको सेंसिटिव जोन में सड़कों के निर्माण में तय पर्यावरणीय मानकों का अनुपालन करने के लिए डीपीआर में स्पष्ट प्रविधान करने और जीएसआई जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं से स्थलीय जांच कराने को कहा। उन्होंने कहा कि इस जोन से संबंधित प्रकरणों का तत्परता से अनुश्रवण करने के लिए मानीटरिंग कमेटी की बैठक प्रत्येक तीन माह में होगी और इससे संबंधित कार्रवाई के लिए किसी विभाग को नामित करने या जिला विकास प्राधिकरण को यह जिम्मा सौंपने पर विचार किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि स्थानीय निवासियों के हितों के साथ ही चारधाम यात्रा पर बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए इस क्षेत्र में अनेक विकास कार्य किए जाने आवश्यक हैं। लिहाजा, इसमें नियमों व मानकों का अनुपालन आवश्यक है। इनके उल्लंघन के मामलों में प्रभावी कार्रवाई के निर्देश देते हुए उन्होंने इस बारे में कमेटी के सभी गैर सरकारी सदस्यों को अवगत कराने और प्रस्तावित परियोजना का स्थलीय निरीक्षण कराने के निर्देश भी दिए।

उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डा मेहरबान सिंह बिष्ट ने इस जोन में प्रस्तावित विकास कार्यों और अन्य गतिविधियों को कमेटी के समक्ष विचार व अनुमोदन के लिए रखा। उन्होंने कहा कि पर्यटन व तीर्थाटन इस क्षेत्र के निवासियों की आजीविका का मुख्य साधन है। ऐसे में पर्यावरण से संबंधित मानकों व अन्य सभी तय नियमों का पालन करते हुए यहां अपेक्षित अवस्थापना सुविधाएं विकसित करने के साथ ही होम स्टे, होटल आदि से जुड़े कार्यों को अनुमति दिया जाना जरूरी है। उन्होंने जोन के अंतर्गत अधिसूचित कार्यों की अनुमति और नियामक कार्रवाई के लिए जिला विकास प्राधिकरण को जिम्मेदारी देने का प्रस्ताव भी रखा।

बैठक में जानकारी दी गई कि गंगोत्री धाम में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीक का एक संयंत्र स्थापित किया गया है। इसके शीघ्र संचालन पर बैठक में सहमति व्यक्त की गई। इसके अलावा इस जोन में जिन नौ सड़कों के प्रस्तावों पर अनुमोदन की सहमति व्यक्त की गई, उनमें यह शर्त जोड़ी गई कि डीपीआर में आवश्यक प्रविधान करने के साथ ही जीएसआई जैसी संस्था से इसका परीक्षण भी कराया जाएगा।

इस अवसर पर जोन में प्रस्तावित पांच लघु जलविद्युत परियोजनाअेां के प्रस्तावों पर भी विमर्श हुआ। इनमें दो मेगावाट क्षमता की दो परियोजनाओं पर आगे की कार्रवाई करने और तीन पर फिर से विचार करने की सहमति जाहिर की गई। बैठक में डाक विभाग के गंगोत्री से गंगा जल भरने के अलावा एमएसएमई के अंतर्गत दो होटल इकाइयों और भू उपयोग परिवर्तन के मामलों पर भी विचार हुआ।

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