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मोरबी हादसे के बाद चर्चा में लक्ष्‍मण झूला, IIT Roorkee के अनफिट बताने के बाद भी तीन साल तक हुई थी आवाजाही

Gujarat Morbi Accident 30 अक्‍टूबर रविवार को गुजरात में मोरबी पुल हादसा हुआ था जिसके बाद तीर्थनगरी ऋषिकेश का लक्ष्‍मण झूला पुल चर्चा में आ गया है। दरअसल 2019 में आइआइटी रुड़की के विज्ञानियों ने लक्ष्‍मण झूला पुल को अनफिट बता दिया था।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Wed, 02 Nov 2022 12:55 PM (IST)
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Gujarat Morbi Accident : मोरबी हादसे के बाद चर्चा में आया ऋषिकेश का लक्ष्‍मण झूला पुल। फाइल फोटो
टीम जागरण, देहरादून : Gujarat Morbi Accident : गुजरात में मोरबी पुल हादसे में 135 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 100 से ज्यादा घायल लोगों का इलाज अभी भी जारी है।

30 अक्‍टूबर रविवार को यह हादसा हुआ था, जिसके बाद तीर्थनगरी ऋषिकेश का लक्ष्‍मण झूला पुल चर्चा में आ गया है। दरअसल, 2019 में आइआइटी रुड़की के विज्ञानियों ने लक्ष्‍मण झूला पुल को अनफिट बता दिया था। लेकिन इस पुल को पूरी तरह बंद न कर स्‍थानीय लोागों को पैदल आवाजाही की अनुमति दी गई थी।

करीब तीन साल तक इस पुल पर आवाजाही होती रही और जब 2022 में लक्ष्मण झूला पुल की सपोर्टिंग वायर टूटी तो इस पुल को पूरी तरह बंद किया गया।

क्‍यों चर्चा में आया ऋषिकेश का लक्ष्मण झूला पुल?

  • तीस अक्‍टूबर को गुजरात में हुए मोरबी पुल हादसे के बाद लक्ष्मण झूला पुल चर्चा में आ गया है।
  • लक्ष्मण झूला पुल जनपद टिहरी और पौड़ी को जोड़ता है।
  • अपनी उम्र पूरी कर चुके लक्ष्मण झूला पुल को शासन की ओर से 13 जुलाई 2019 को बंद कर दिया गया था।
  • इसके बाद भी पुल पर स्‍थानीय लोागों को पैदल आवाजाही होती रही।
  • जिसके बाद नए पुल के निर्माण के लिए चंडीगढ़ की एक कंपनी को काम दिया गया था।
  • नए पुल के निर्माण का काम पुराने पुल के ठीक बगल में होने लगा।
  • तीन अप्रैल 2022 को लक्ष्मण झूला पुल की सपोर्टिंग वायर अचानक टूट गई।
  • पुल निर्माण कार्य में लगी मिट्टी उठाने वाली 600 किलो वजनी बकेट से टकराकर पुल का संतुलन बनाने वाली सपोर्टिंग तार टूटी थी।
  • जिसके बाद पुल पूरी तरह बंद कर दिया गया।
  • करीब तीन साल तक अनफिट लक्ष्मण झूला पुल से लोग गुजरते रहे।
  • पुल के बंद होने से लक्ष्मण झूला और तपोवन के बीच पैदल संपर्क समाप्त हो गया है।
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कैसे हुआ लक्ष्मण झूला पुल का निर्माण?

  • वर्ष 1889 में कोलकाता के रायबहादुर सेठ सूरजमल तुलस्यान ने 50 हजार की लागत से लोहे के मजबूत रस्सों का 274 फीट लंबा झूला पुल बनवाया था।
  • यह पुल अक्टूबर 1924 में गंगा में आई बाढ़ की भेंट चढ़ गया था।
  • वर्ष 1927 से 1929 के बीच ब्रिटिश काल में सार्वजनिक निर्माण विभाग ने लक्ष्मण झूला पुल का निर्माण कराया था।
  • गंगा के ऊपर बना यह सस्पेंशन ब्रिज उस दौर में इंजीनियरिंग का अनूठा नमूना है।
  • सेठ सूरजमल तुलस्यान के पुत्र रायबहादुर शिव प्रसाद तुलस्यान ने इस पुल के लिए 1.20 लाख की धनराशि दान दी थी।
  • 450 फीट लंबा यह पुल गंगा से 60 फीट की ऊंचाई पर बनाया गया।
  • 11 अप्रैल 1930 में पुल को संयुक्त प्रांत के गवर्नर मेलकम हेली ने जनता को समर्पित कर दिया था।

बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों में भी छोड़ी छाप

लक्ष्मण झूला पुल ने बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों में भी छाप छोड़ी है। इस पुल ने कई फिल्म निर्माताओं को आकर्षित किया। यहां बॉलीवुड की दर्जनों फिल्मों, धारावाहिकों और हॉलीवुड फिल्मों का फिल्मांकन किया गया।

बॉलीवुड की सुपरहिट फिल्में गंगा की सौगंध, सौगंध, संन्यासी, नमस्ते लंदन, बंटी और बबली, महाराजा, अर्जुन पंडित, करम, दम लगा के हईशा जैसी फिल्मों के अलावा सीआइडी, भाभीजी घर पर हैं, जैसे धारावाहिकों में इस पुल को दिखाया गया है।

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