गर्भवती महिलाओं के लिए दून अस्पताल में बढ़ेंगे गाइनी के बेड
दून महिला अस्पताल की नई बिल्डिंग में तीस बेड का गाइनी वार्ड बनाया जा रहा है। इन बेड के जुड़ने से महिला अस्पताल में बेड की कुल संख्या 190 हो जाएगी।
By BhanuEdited By: Updated: Tue, 25 Jun 2019 09:38 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। पहाड़ के दूरदराज क्षेत्रों से दून महिला अस्पताल इलाज के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं के लिए एक अच्छी खबर है। यहां पहुंचकर उन्हें बेड के लिए नहीं जूझना पड़ेगा। अस्पताल की नई बिल्डिंग में तीस बेड का गाइनी वार्ड बनाया जा रहा है। इन बेड के जुड़ने से महिला अस्पताल में बेड की कुल संख्या 190 हो जाएगी।
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एमसीआइ के नियमों के तहत स्त्री एवं प्रसूति रोग के 90 बेड होने चाहिए। अस्पताल पर इससे कहीं ज्यादा दबाव है। महिला अस्पताल के स्वास्थ्य विभाग में रहते यहां 111 बेड स्वीकृत थे। इसे बढ़ाकर यहां 160 बेड कर दिए गए हैं। यह इंतजाम भी नाकाफी साबित हो रहे हैं। आलम यह कि महिला अस्पताल में प्रसव उपरांत एक बेड पर दो-दो महिलाएं भी भर्ती हैं। इसके अलावा प्रसव के लिए आने वाली कई महिलाओं को बेड तक नहीं मिल पाता। इसलिए बेड संख्या बढ़ाने की तैयारी है।
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि महिला अस्पताल से सटी नई बिल्डिंग का निर्माण सितम्बर अंत तक पूरा हो जाएगा। यहां रेडियोलॉजी के लिए भी स्थान रखा गया था। पर रेडियोलॉजी के लिए हमारे पास पहले ही पर्याप्त स्थान है।
ऐसे में इस जगह का सदुपयोग कर तीस अतिरिक्त बेड लगाकर नया स्त्री एवं प्रसूता रोग वार्ड बनाया जाएगा। डॉ. टम्टा का कहना है कि इससे अस्पताल पर जो दबाव है, उससे थोड़ी राहत मिल जाएगी।
दून में अटल आयुष्मान के तहत डायलिसिस शुरू
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अटल आयुष्मान योजना के तहत डायलिसिस पुन: शुरू कर दिए गए हैं। कुछ समय पहले अस्पताल प्रबंधन ने यह कहकर डायलिसिस सेवा देने से इन्कार कर दिया था कि इसमें नुकसान उठाना पड़ रहा है। डायलिसिस पर प्रति केस जितनी रकम खर्च होती है उसका आधा भी उन्हें नहीं मिल रहा। पर अब इसका समाधान निकाल लिया गया है। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डायलिसिस के लिए तीन से चार मरीज रोज पहुंचते हैं। इसके लिए तीन बेड भी अस्पताल में हैं। अटल आयुष्मान योजना के तहत मरीजों का इलाज निश्शुल्क होता है।
डायलिसिस भी इस योजना में शामिल है। पर अस्पताल प्रबंधन ने इससे यह कहकर पल्ला झाड़ लिया था कि हर डायलिसिस के लिए एक हजार रुपये तय हैं। 150 रुपए स्टाफ का भुगतान होना है। इस तरह से 1150 रुपए का आयुष्मान योजना में भुगतान होता है। अस्पताल को डायलिसिस के लिए दो हजार रुपये का खर्चा उठाना पड़ रहा है। जिससे अस्पताल प्रबंधन को प्रति केस 850 रुपए का नुकसान हो रहा है। ऐसे में अटल आयुष्मान योजना के तहत डायलिसिस करना मुश्किल हो रहा है। डिप्टी एमएस डॉ. एनएस खत्री ने बताया कि अटल आयुष्मान योजना से जुड़े ऐसे तमाम मसलों पर ही यह बैठक आयोजित की गई थी।
इसमें तय किया गया कि इस नुकसान की पूर्ति नॉन सर्जिकल केस से की जाएगी। इन केस में जो भी फायदा अस्पताल को होता है, उसे यहां एडजस्ट किया जाएगा। अब मरीजों को डायलिसिस की सुविधा पहले की ही तरह दी जा रही है।यह भी पढ़ें: एचएनबी मेडिकल विश्वविद्यालय में इस सत्र से पीएचडी, प्रक्रिया शुरू
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