Uttarakhand: अटाल के पास हुए दर्दनाक हादसे ने हरे कर दिए लोगों के पुराने जख्म, अगर बने होते पैराफिट तो बच जाती छह जिंदगियां
Uttarakhand Road Accident पहाड़ के सीमांत इलाकों में हाईवे से लेकर अन्य मार्गों की हालात बेहद खराब है। जौनसार बावर में सड़क दुर्घटना के कई बड़े मामले सामने के बाद भी शासन-प्रशासन ने इसकी रोकथाम को कोई कारगर कदम नहीं उठाए। बुधवार को हाईवे पर अटाल के पास हुए दर्दनाक हादसे ने लोगों के पुराने जख्म फिर से हरे कर दिए।
चंदराम राजगुरु, त्यूणी। Uttarakhand Road Accident: जेपीआरआर हाईवे कहने को तो राष्ट्रीय राजमार्ग है, लेकिन सड़क की खराब हालत संपर्क मार्ग से भी बुरी है। उत्तराखंड के सीमा क्षेत्र में अटाल के पास फेडिज पुल से लेकर त्यूणी-आराकोट व सनेल तक 40 किमी लंबे इस मार्ग के डेंजर जोन में सड़क सुरक्षा मानकों के हिसाब से हाईवे पर कोई पैराफिट और क्रैश बैरियर नहीं है। जिससे यहां हर वक्त सड़क हादसे का खतरा बना रहता है।
बुधवार को हाईवे पर अटाल के पास जिस जगह कार दुर्घटनाग्रस्त हुई, अगर वहां सड़क किनारे पैराफिट बने होते तो शायद छह जिंदगी बच जाती। बेहद संकरे मार्ग पर रोजाना सैकड़ों जिंदगी जान हथेली पर लेकर सफर करने को मजबूर है। सरकार व तंत्र की उदासीनता लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ रही है। नतीजतन लोग सड़क हादसे में अपनी जान इसी तरह गंवा रहे हैं।पहाड़ के सीमांत इलाकों में हाईवे से लेकर अन्य मार्गों की हालात बेहद खराब है। बदहाल मार्ग पर सफर करना लोगों की दिनचर्या का हिस्सा बन गया। जौनसार बावर में सड़क दुर्घटना के कई बड़े मामले सामने के बाद भी शासन-प्रशासन ने इसकी रोकथाम को कोई कारगर कदम नहीं उठाए। जिससे क्षेत्र के लोग निराश व बेहाल है। बुधवार को हाईवे पर अटाल के पास हुए दर्दनाक हादसे ने लोगों के पुराने जख्म फिर से हरे कर दिए।
उत्तराखंड की सीमा में सड़क बदहाली से परेशान हैं लोग
उत्तराखंड और हिमाचल के सीमावर्ती ग्रामीण इलाकों को यातायात सुविधा से जोड़ने वाले जेपीआरआर हाईवे का 40 किलोमीटर हिस्सा देहरादून व उत्तरकाशी के सीमा क्षेत्र में पड़ता है। इससे आगे हाईवे हिमाचल के सीमा क्षेत्र में है। हिमाचल की सीमा में सड़क की स्थिति काफी अच्छी है। जबकि उत्तराखंड की सीमा में सड़क की बदहाली देख लोग हैरान व परेशान है।
बार्डर क्षेत्र में अटाल के फेडिज पुल से लेकर त्यूणी व आराकोट-सनेल तक वन-वे वाले हाईवे पर कई जगह ब्लैक सपाट और डेंजर जोन है। बेहद संकरे मार्ग पर डेंजर जोन वाले हिस्से में रोड सेफ्टी मानकों के तहत हाईवे पर सड़क किनारे कोई पैराफिट व क्रैश बैरियर नहीं होने से हादसे का खतरा सबसे ज्यादा है।
पैराफिट न होने से हुआ हादसा
बुधवार को सीमावर्ती पंद्राणू-त्यूणी क्षेत्र से देवता के दर्शन के लिए अल्टो कार में सवार होकर दसऊ मंदिर जा रहे श्रमिक परिवार के लोगों को क्या मालूम था कि यह सफर उनकी जिंदगी का आखिरी सफर होगा। हाईवे पर संकरे मार्ग की वजह से सड़क सुरक्षा को डेंजर जोन वाले हिस्से में पैराफिट नहीं होने से कार अनियंत्रित होकर खाई में कई पलटे खाने के बाद सीधे टोंस नदी में चली गई।
बताया जा रहा है कि सड़क पर गिरे पत्थर से वाहन को बचाने के चक्कर में कार चालक नियंत्रण खो बैठा। जिससे कार सड़क से नीचे खाई में पलट गई। इस दर्दनाक हादसे में श्रमिक परिवार के दो सगे भाई व मां-बेटा समेत छह जिंदगी अकाल मौत के मुंह में समा गई। दुर्घटनाग्रस्त कार में सवार श्रमिक परिवार के सात लोगों में से सिर्फ एक सदस्य की जान किसी तरह बच गई। हमेशा की तरह पुलिस-प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी सड़क हादसे के कारणों की जांच पड़ताल करने का राग अलाप रहे है।
पहाड़ में सड़क दुर्घटना की रोकथाम के लिए किसी के पास कोई ठोस जवाब नहीं है। सड़क सुरक्षा मानकों की अनदेखी और मार्ग की बदहाली के चलते लोग इसी तरह अपनी जान गंवा रहे हैं। बेपरवाह सिस्टम लोगों की मौत का तमाशा देख रहा है। सड़क दुर्घटना का शिकार हुए श्रमिक परिवार के मृतकों की आयु 6 वर्ष से लेकर 30 वर्ष के बीच बताई जा रही है। युवावस्था में छह जिंदगी का दुनिया से चले जाने का गम सभी के लिए दुखदाई एवं चिंताजनक है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।