उत्तराखंड के आधे कॉलेज इंटीग्रेटेड बीएड के लायक नहीं, जानिए वजह
इंटीग्रेटेड बीएड पाठयक्रम प्रदेश के आधे कॉलेजों में शुरू नहीं हो सकेगा। दरअसल प्रदेश के आधे बीएड कॉलेज एनसीटीई के इंटीग्रेटेड बीएड पाठ्यक्रम के न्यूनतम मानक ही पूरे नहीं करते।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Wed, 17 Jul 2019 05:52 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) का महत्वकांक्षी इंटीग्रेटेड बीएड पाठयक्रम प्रदेश के आधे कॉलेजों में शुरू नहीं हो सकेगा। दरअसल, प्रदेश के आधे बीएड कॉलेज एनसीटीई के इंटीग्रेटेड बीएड पाठ्यक्रम के न्यूनतम मानक ही पूरे नहीं करते। कॉलेजों में मुख्य बीएड पाठ्यक्रम के साथ इंटीग्रेट करने के लिए यूजी पाठयक्रम तक नहीं हैं।
एनसीटीई ने इंटीग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम (आइटीईपी) शुरू करने के लिए कड़े मानक तय किए हैं। शिक्षा में सुधार के लिए तैयार किए गए मानकों को प्रदेश के आधे बीएड कॉलेज पूरा नहीं करते। वर्तमान में प्रदेश में बीएड के लगभग 80 कॉलेज हैं। जिसमें 36 कॉलेज गढ़वाल विवि, 27 श्रीदेव सुमन विवि और बाकी अन्य विश्वविद्यालयों के संबद्ध हैं, जहां दो साल का बीएड पाठ्यक्रम संचालित हो रहा है। इंटीग्रेटेड बीएड पाठ्यक्रम के लिए वही कॉलेज आवेदन कर सकेंगे, जिन में पहले से दो साल का पाठ्यक्रम संचालित हो रहा है। नया इंटीग्रेटेड पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए कॉलेजों में कम से कम एक यूजी पाठ्यक्रम जैसे बीए या बीएससी होना अनिवार्य है। लेकिन, यहां संचालित हो रहे अधिकतर कॉलेज केवल बीएड की पढ़ाई करवाते हैं। इसके अलावा एक यूनिट छात्रों पर कम से कम नौ नियमित और तीन संविदा यानी 12 शिक्षक होने अनिवार्य हैं। लेकिन प्रदेश के आधे कॉलेज इन मानकों पर खरे नहीं उतरते।
ये हैं न्यूनतम मानक -एक यूनिट यानि 50 छात्रों पर कम से कम नौ नियमित, तीन संविदा शिक्षक और प्रधानाचार्य।
-दो यूनिट होने पर नियमित 15 और तीन संविदा शिक्षक होने चाहिए। -एक यूनिट शुरू करने के लिए तीन हजार स्क्वायर मीटर न्यूनतम भूमि।
-एक यूनिट पर दो हजार स्क्वायर मीटर में बिल्डिंग। -हर यूनिट पर 200 मीटर बिल्डिंग एरिया बढ़ाना होगा।
-एक सेमेस्टर में 125 दिन की पढ़ाई और 80 फीसद उपस्थिति। -प्रयोगात्मक परीक्षा और टीचिंग में 90 फीसद न्यूनतम उपस्थिति।
-पाठ्यक्रम के लिए एनओसी विवि और राज्य सरकार दोनों से लेनी होगी। प्राइमरी और सेकेंडरी के लिए अलग मान्यता
एनसीटीई के नए कोर्स ने प्राइमरी और सेकेंडरी एजुकेशन के लिए अलग-अलग पाठ्यक्रम तैयार किया है। प्राइमरी यानि पूर्व प्राथमिक से प्राथमिक में पहली से पांचवी तक का पाठ्यक्रम अलग तैयार किया गया है। वहीं सेकेंडरी यानि उच्च प्राथमिक से माध्यमिक में छठी से 12वीं तक के लिए अलग पाठ्यक्रम तय है। इसमें भी बीएससी के लिए अलग और बीए के लिए अलग पाठ्यक्रम है। इस तरीके से हर पाठ्यक्रम के लिए अलग मान्यता लेनी होगी। अगर कोई कॉलेज बीए और बीएससी दोनों पाठ्यक्रमों के साथ प्राइमरी और सेकेंडरी दोनों वर्गों में पाठ्यक्रम शुरू करना चाहता है तो चारों के लिए अलग एनओसी लेनी होगी। शिक्षक-छात्र दोनों पर बायोमेट्रिक लागू
कॉलेज में रेगुलर शिक्षा लिए बगैर शिक्षक बनने का सपना देखने वालों पर एनसीटीई ने नकेल कसना शुरू कर दिया है। साथ ही एक साथ दो से तीन कॉलेजों में शिक्षा दे रहे शिक्षकों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी है। एनसीटीई ने बीएड कॉलेजों में शिक्षक और छात्र दोनों के लिए बायोमेट्रिक हाजिरी अनिवार्य कर दी गई है। एनसीटीई ने एक महीने के अंदर हर कॉलेज में बायोमेट्रिक सिस्टम लागू करने के आदेश भी जारी कर दिए हैं। एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल ने बताया कि एनसीटीई ने इंटीग्रेटेड बीएड शुरू करने के लिए कई शर्तें रखी हैं। प्रदेश के आधे कॉलेज एनसीटीई के मानकों को पूरा नहीं करते, ऐसे में भविष्य में पाठ्यक्रम की डिमांड बढ़ने पर दाखिलों में समस्या रहेगी। बीएड कॉलेजों में शिक्षक और छात्र दोनों के लिए बायोमेट्रिक लागू करने से शिक्षा में गुणवत्ता में सुधार होगा। यह भी पढ़ें: बीटेक और पॉलीटेक्निक में सवर्ण आरक्षण लागू, नहीं बढ़ी सीटेंयह भी पढ़ें: कैबिनेट मंत्री के पैरामेडिकल कॉलेज को अनुमति देने से इनकार, जानिए वजहयह भी पढ़ें: एमकेपी में 75 फीसद से कम पर बीएससी में दाखिला नहीं, पढ़िए पूरी खबर
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।