Haridwar Bypass Road: नौ साल खपा दिए, 12 करोड़ का काम 26 करोड़ पर पहुंचा
Haridwar Bypass Road हरिद्वार बाईपास रोड का हाल। महज 3.5 किलोमीटर लंबी बाईपास रोड को फोर लेन करने की जो कवायद 11.81 करोड़ रुपये से शुरू की गई थी वह 2.41 करोड़ रुपये ठिकाने लगाने के बाद भी अधर में लटकी है।
By Sumit KumarEdited By: Updated: Mon, 13 Sep 2021 01:34 PM (IST)
सुमन सेमवाल, देहरादून: Haridwar Bypass Road: वर्ष 2012 से अब तक दून में कितना कुछ बदल चुका है। एक सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा कर दिया तो दूसरी सरकार का कार्यकाल पूरा होने वाला है। करीब नौ साल के इस अंतराल में अगर कुछ नहीं बदला तो वह है हरिद्वार बाईपास रोड का हाल। महज 3.5 किलोमीटर लंबी बाईपास रोड को फोर लेन करने की जो कवायद 11.81 करोड़ रुपये से शुरू की गई थी, वह 2.41 करोड़ रुपये ठिकाने लगाने के बाद भी अधर में लटकी है। अब इसी कार्य की लागत 25.90 करोड़ रुपये पहुंच गई है। एक ठेकेदार से काम छीन लिया गया है और कार्यदायी संस्था राष्ट्रीय राजमार्ग खंड डाईवाला ने चौड़ीकरण के लिए दूसरी कंपनी का चयन किया है।
हरिद्वार बाईपास रोड की अहमियत का आकलन महज 3.5 किमी लंबाई से नहीं किया जा सकता। आइएसबीटी से लेकर अजबपुर रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) के बीच के इस हिस्से से दून की करीब दो लाख से अधिक की आबादी सीधे तौर पर जुड़ी है। इसके अलावा शहर को जोडऩे में भी बाईपास रोड अहम भूमिका निभाती है और सहारनपुर से हरिद्वार के बीच का यातायात भी इस भाग पर निर्भर करता है। अब इस रोड की चौड़ीकरण परियोजना के सफर पर नजर डालते हैं। चौड़ीकरण का अनुबंध सितंबर 2012 में किया गया था। शुरुआत से ही 'दैनिक जागरण' इस मसले को प्रमुखता से उठाता रहा है।
अधिकारियों की भूमिका को भी जागरण ने कठघरे में खड़ा करते हुए बताया कि जनता की सुविधा के प्रति अधिकारी टालू रवैया अपना रहे हैं। खैर, राष्ट्रीय राजमार्ग खंड डाईवाला को अमृत डेवलपर्स से यह काम छीनना पड़ा। कार्य समाप्ति की अवधि वर्ष 2014 तक अमृत डेवलपर्स यहां महज 15 फीसद काम ही कर पाई थी।
हालांकि, विभाग की कार्रवाई के खिलाफ कंपनी ने हाई कोर्ट में अपील कर दी और अधिकारी कोर्ट में प्रभावी पैरवी नहीं करा पाए। करीब चार साल (वर्ष 2019 तक) मामला कोर्ट में लंबित रहा। जागरण ने इस लिहाज से भी प्रमुखता से खबरें प्रकाशित कीं और आखिरकार विभाग ने मजबूत पैरवी करते हुए मामले का निस्तारण अपने हक में करवा लिया। इसके बाद नए टेंडर की कवायद शुरू की गई और फरवरी 2021 में केंद्र सरकार ने भी चौड़ीकरण कार्य को मंजूरी दे दी।
अधिकारियों की लेटलतीफी इसके बाद भी बरकरार रही और टेंडर प्रक्रिया में ही चार माह लगा दिए गए। जून में टेंडर प्रक्रिया पूरी करने के बाद भी अनुबंध अगस्त में जारी किया जा सका। धरातल की बात करें तो अभी तक नई कंपनी काम शुरू नहीं कर पाई है, जबकि फरवरी से मार्च 2023 के बीच काम पूरा किया जाना है।
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परियोजना पर एक नजरलंबाई: आइएसबीटी फ्लाईओवर से अजबपुर रेलवे ओवर ब्रिज तक करीब 3.5 किलोमीटरलागत: 25.90 करोड़ रुपयेकार्य: सड़क के अवशेष कार्यों को पूरा करते हुए फोर लेन में तब्दील करनाडेडलाइन: फरवरी से मार्च 2023 के बीच2012 की गलती तो नहीं दोहरा गए अधिकारीअमृत डेवलपर्स ने यह काम हथियाने के लिए इस्टीमेट से करीब 17 फीसद कम रेट भरा था। लिहाजा, इतनी कम दर पर काम नहीं हो पाया। वर्तमान कंपनी ने इससे भी आगे बढ़कर 21.50 फीसद कम दर पर काम हासिल किया है। राजमार्ग खंड ने इस परियोजना के लिए करीब 42 करोड़ रुपये की स्वीकृति के सापेक्ष 33 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया था। वहीं, सबसे कम दर 25.90 करोड़ रुपये भरे जाने पर काम राकेश कंस्ट्रक्शन को दे दिया गया। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जब पूर्व की कंपनी बाजार दर से 17 फीसद कम दर पर काम नहीं कर पाई तो इससे भी कम दर पर अब काम कैसे और कितनी गुणवत्ता के साथ किया जाएगा। राष्ट्रीय राजमार्ग खंड के सहायक अभियंता सुरेंद्र सिंह का कहना है कि यह कार्य ईपीसी (इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन) मोड में कराया जा रहा है। लिहाजा, ड्राइंग तैयार करने से लेकर काम तक की पूरी जिम्मेदारी ठेकेदार की होगी।
रोड का हाल बेहालहरिद्वार बाईपास रोड पर व्यस्त समय में हर घंटे 5500 से 6000 वाहन गुजरते हैं। इतने वाहन दबाव के लिए सड़क कम से कम फोर लेन होनी चाहिए। वाहनों के अधिक दबाव के चलते यहां दिनभर जाम की स्थिति रहती है। पूर्व की कंपनी ने फोर लेन की चौड़ाई के हिसाब से कटिंग कर दी थी। यह भाग अभी भी कच्चा है और मुख्य सड़क से एक से डेढ़ फीट तक नीचे है। ऐसे में दोपहिया वाहन अधिक किनारे जाने पर कई दफा पलट भी जाते हैं। यह रोड दुर्घटना का नया जोन भी बन गई है।
सड़क किनारे खड़े हैं बिजली के खंभेहरिद्वार बाईपास रोड की चौड़ाई अभी करीब 7.5 मीटर है। इसके फोर लेन करने के लिए इतनी ही चौड़ाई और चाहिए। नाले का निर्माण कर फुटपाथ भी बनाए जाने हैं। यहां चौड़ीकरण की राह में अभी भी 40 से अधिक बिजली के खंभे और कुछ ट्रांसफार्मर बाधा बनते दिख रहे हैं। जो सड़क के किनारे स्थित हैं। खंभों की शिफ्टिंग के लिए ऊर्जा निगम ने राजमार्ग खंड को 50 लाख रुपये से अधिक का इस्टीमेट बनाकर दिया है। राजमार्ग खंड अभी भुगतान नहीं कर सका है, लिहाजा खंभे जहां के तहां खड़े हैं।
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