हरिद्वार राजमार्ग के 100 करोड़ के ढांचों पर खड़े हुए ये सवाल
हरिद्वार-देहरादून राजमार्ग के चौड़ीकरण की राह तो खुल गई है, लेकिन साथ ही करीब 100 करोड़ रुपये के उन ढांचों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं।
By Edited By: Updated: Tue, 29 Jan 2019 09:22 AM (IST)
देहरादून, सुमन सेमवाल। वर्ष 2010 के बाद हरिद्वार-देहरादून राजमार्ग के चौड़ीकरण की राह तो खुल गई है, मगर साथ ही करीब 100 करोड़ रुपये के उन ढांचों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं, जो एरा इंफ्रा कंपनी ने खड़े किए थे। इन अधूरे ढांचों में तीन एलीफैंट अंडरपास हैं, एक रेलवे अंडर ब्रिज, एक फ्लाईओवर व तीन बड़े पुल शामिल हैं।
राजमार्ग के चौड़ीकरण को चयनित की गई नई कंपनियों से पहले यह काम एरा इंफ्रा कंपनी के पास था। लंबे समय तक भी अधूरे काम को पूरा न करने के चलते राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने कंपनी को हटा दिया था। हालांकि तब तक कंपनी की तरफ से 300 करोड़ रुपये से अधिक के काम किए जा चुके थे। चौड़ीकरण के इन कार्यों में नौ बड़े निर्माण भी शामिल थे। प्रगति के नाम पर पूर्व की कंपनी ने सीमेंट व लोहे के बड़े-बड़े ढांचे तो खड़े कर दिए थे, मगर इन्हें बीच में ही छोड़ दिया था। सालों से इनका रखरखाव भी नहीं हो पाया। जिस कारण कहीं लोहे पर जंग लग गया है, तो कहीं कंक्रीट खराब पड़ चुकी है। ऐसे ढांचों की लागत करीब 100 करोड़ रुपये आंकी गई है। एनएचएआइ के परियोजना निदेशक प्रदीप गुसाईं ने बताया कि रखरखाव के अभाव में इनकी क्षमता प्रभावित होने की आशंका है। लिहाजा, इन्हें इसी रूप में पूरा करने की जगह पहले सुरक्षा की जांच की जाएगी। देखा जाएगा कि रखरखाव के अभाव में कहीं इनमें क्रैक तो नहीं आ गए या फिर लोहा टिल्ट तो नहीं हो गया।
प्रयास किए जाएंगे कि पहले इनकी मरम्मत की जाए। जिन ढांचों को मरम्मत योग्य नहीं पाया जाएगा, उन्हें ध्वस्त कर फिर से निर्माण किया जाएगा। सुरक्षा के मानकों में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जाएगी। इन ढांचों की होगी जांच एलीफैंट अंडर पास : मोतीचूर, तीनपानी, लालतप्पड़ में बड़े पुल : नेपाली फार्म के पास सुसवा नदी व सौंग नदी में, डोईवाला बाइपास व मियांवाला में फ्लाईओवर : भानियावाला के पास रेलवे अंडर ब्रिज : रायवाला में जनवरी 2020 तय की गई डेडलाइन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने चौड़ीकरण कार्य में करीब 594 करोड़ रुपये के शेष कार्यों के लिए उत्तर प्रदेश सेतु निगम व एटलस कंपनी के साथ अनुबंध कर दिया है। अनुबंध के अनुसार एक साल के भीतर काम पूरा करना है। यानी कि जनवरी 2020 तक राजमार्ग को फोरलेन में तब्दील करने के साथ ही सभी काम पूरे किए जाने हैं। अवशेष कार्यों में हरिद्वार से लालतप्पड़ के बीच का काम उत्तर प्रदेश सेतु निगम को सौंपा गया है, जबकि इससे आगे मोहकमपुर तक के काम की जिम्मेदारी एटलस कंपनी को दी गई है। खतरनाक रूप ले चुका राजमार्ग अधूरे चौड़ीकरण कार्य के कारण हरिद्वार-देहरादून राजमार्ग खतरनाक रूप ले चुका है। कहीं पर सड़क व कच्चे भाग के बीच की गहराई काफी बढ़ गई है तो कहीं पर सड़क भूलभुलैये की तरह नजर आ रही है। इस कारण तमाम स्थानों पर वाहन दो लेन पर आगे बढ़ने के बाद अचानक एक ही लेन में चल रहे हैं। ऐसे में आए दिन दुर्घटनाएं भी हो रही हैं।
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