मेडिकल कॉलेजों में शुल्क निर्धारण मुद्दे पर सियासी लाभ लेने में कामयाब रहे हरीश रावत
मेडिकल कॉलेजों में फीस बढ़ोत्तरी पर सरकार ने रौलबैक किया तो इसका सियासी लाभ लेने में हरीश रावत कामयाब रहे। इस बहाने उन्होंने सरकार पर हमला भी बोला।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: इधर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने निजी मेडिकल कॉलेजों में बेतहाशा फीस बढ़ाने को विरोध करते हुए सरकार पर हमला बोला, उधर सरकार के निर्देश पर एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज ने शुल्क वृद्धि का निर्णय वापस ले लिया गया। नतीजा, आंदोलनरत छात्रों व अभिभावकों को मिलने वाली राहत का सियासी लाभ हरदा के खाते में चला गया।
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में पत्रकारों से मुखातिब पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत ने निजी मेडिकल कॉलेजों को शुल्क निर्धारण का अधिकार मिलने की खुलकर मुखालफत की। राज्य सरकार की ओर से पारित जिस विधेयक के बूते निजी मेडिकल कॉलेजों को शुल्क निर्धारण की छूट मिली है, उस पर परोक्ष निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को यह निर्णय वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि उक्त निर्णय से उत्तराखंड के कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए मेडिकल की पढ़ाई मुमकिन नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि अदालत ने भी उक्त संबंध में सरकार को कोई निर्देश नहीं दिए, इसके बावजूद सरकार ने कॉलेजों के प्रबंधन को यह मनमानी का अधिकार दिया। इस बारे में संतुलित नीति बनाई जानी चाहिए।
उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में निजी निवेशकों को हतोत्साहित नहीं किए जाने के संबंध में दिए गए बयान पर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि जिन कॉलेजों को अधिकार दिए गए हैं, वे पिछली सरकार के कार्यकाल से अस्तित्व में हैं। इन कॉलेजों में नया इन्वेस्टमेंट नहीं हो रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने श्रीनगर मेडिकल कॉलेज सेना को सौंपे जाने की कवायद की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि सेना को पहले से स्थापित मेडिकल कॉलेज देने के बजाय नए स्थापित होने वाले कॉलेजों के बारे में सहमति दी जानी चाहिए।
उधर, पत्रकारवार्ता के दौरान ही मीडिया की ओर से निजी मेडिकल कॉलेजों में बढ़ा शुल्क वापस लेने के फैसले की जानकारी दी गई। पूर्व मुख्यमंत्री ने चुटकी ली कि शुल्क वृद्धि का फैसला वापस लिया जाता है तो वह मुख्यमंत्री का निजी निवेशकों के बारे में दिया बयान भूलने को तैयार हैं।
इसके बाद वह एसजीआरआर कॉलेज में आंदोलनकारी छात्रों व अभिभावकों के बीच भी पहुंचे और उन्हें समर्थन देकर शुल्क वृद्धि वापस लेने के मामले में सियासी लाभ लेने में भी आगे हो गए।
गैरसैंण का उद्देश्य पूरा नहीं
पूर्व मुख्यमंत्री ने सरकार की रोजगार नीति के साथ ही बजट पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि समूह-घ के मृत घोषित पदों पर नियुक्ति खोली जानी चाहिए। इसकी मांग कर रहे युवाओं पर लाठीचार्ज की निंदा करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार नए पदों को भरने के बजाय कटौती कर रही है।
इसका खामियाजा 15वें वेतन आयोग में राज्य को भुगतना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि गैरसैंण में बजट सत्र के बावजूद गैरसैंण के उद्देश्य और दशा-दिशा पर सरकार खरा नहीं उतर पाई।
उन्होंने कैग की रिपोर्ट में उनकी सरकार पर लगे वित्तीय अनियमितता के आरोपों के लिए राष्ट्रपति शासन और वर्ष 2016-17 में लंबे समय से अस्थिरता को दोषी ठहराया। इसी वजह से उपयोगिता प्रमाणपत्र देने और आकस्मिकता निधि से ज्यादा धन खर्च किए जाने जैसी कठिनाइयां सामने आईं।
यह भी पढ़ें: निजी मेडिकल कॉलेजों में शुल्क वृद्धि पर रोलबैक
यह भी पढ़ें: चारधाम यात्रा को लेकर सरकार की तैयारी धरातल पर नहीं: किशोर उपाध्याय