किसानों की जमीन और अधिकार खतरे में : हरीश रावत
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने किसानों से संबंधित केंद्र सरकार के तीन विधेयकों को किसानों के खिलाफ साजिश करार दिया है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 18 Sep 2020 11:08 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। लोकसभा में गुरुवार को केंद्र सरकार की ओर से पेश किए गए तीनों कृषि विधेयकों को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने किसान विरोधी बताया है। उनका कहना है कि ये विधेयक किसानों की जमीन और अधिकारों को खतरे में डालने वाले हैं। मोदी सरकार इन विधेयकों की मदद से कानून बनाकर किसानों की कमर तोड़ने की साजिश रच रही है। यह बातें उन्होंने गांधी पार्क में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहीं। इससे पहले उन्होंने कृषि विधेयकों के विरोध में दो घंटे तक मौन व्रत रखा।
शुक्रवार सुबह करीब दस बजे गांधी पार्क पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने यहां सबसे पहले महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद वह मौन व्रत पर बैठे। उन्होंने कार्यकत्र्ताओं से मौन व्रत में शामिल नहीं होने का आग्रह किया था। इसके बावजूद बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकत्र्ता गांधी पार्क पहुंच गए। कृषि विधेयकों के विरोध में अधिकांश कार्यकत्र्ता कंधे पर हल रखे हुए थे। गुरु गोविंद सिंह गुरुद्वारा के ग्रंथी सरदार बूटा सिंह ने जूस पिलाकर हरीश रावत का व्रत तुड़वाया।
इसके बाद हरीश रावत ने कहा कि देशभर के किसान केंद्र सरकार के कृषि विधेयकों से आशंकित हैं और इसके विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। पंजाब में भी किसान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के नेतृत्व में इन विधेयकों के विरुद्ध आवाज बुलंद कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि कुछ निजी कंपनियों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को समाप्त कर खेती और किसानों को बर्बाद करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है।
इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार सुरेंद्र कुमार, पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी, प्रभुलाल बहुगुणा, जोत सिंह बिष्ट, पूरन सिंह रावत, सुशील राठी, मोहन काला, आशा मनोरमा डोबरियाल शर्मा, कमलेश रमन, गरिमा दसौनी, अनुराधा तिवारी, साधना तिवारी, सरदार अमरजीत सिंह मौजूद रहे।
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बेरोजगारी पर भी सरकार को कोसापूर्व मुख्यमंत्री ने बेरोजगारी पर भी केंद्र और राज्य सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण करोड़ों लोग बेरोजगार हुए हैं। देश की अर्थ व्यवस्था भी चौपट हो गई है। उस पर सरकार विभिन्न सरकारी विभागों में खाली पदों को भरने के लिए परीक्षाएं नहीं करा रही या फिर परिक्षाओं के नतीजे घोषित नहीं किए जा रहे। जिन परीक्षाओं की नतीजे घोषित किए जा चुके हैं, उनमें नियुक्ति नहीं हो रही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यकाल में उन्होंने प्रदेश में रोजगार के अवसर उत्पन्न करने वाली विभिन्न योजनाओं का खाका खींचा था। विभिन्न विभागों में हजारों नियुक्तियां भी की थीं, मगर अब युवा रोजगार के लिए ठोकर खा रहे हैं।
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