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हरीश रावत महाराष्ट्र सरकार के समर्थन में उतरे, कहा- मोदी राज में राज्यपाल भाजपा कार्यकर्त्ता के रूप में कर रहे काम

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को राजकीय विमान से यात्रा की अनुमति नहीं देने के मामले में सियासी घमासान थमता नहीं दिख रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत इस मामले में महाराष्ट्र सरकार के समर्थन में उतरे।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 12 Feb 2021 10:17 PM (IST)
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पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत इस मामले में महाराष्ट्र सरकार के समर्थन में उतरे।
राज्य ब्‍यूरो, देहरादून। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को राजकीय विमान से यात्रा की अनुमति नहीं देने के मामले में सियासी घमासान थमता नहीं दिख रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत इस मामले में महाराष्ट्र सरकार के समर्थन में उतरे। उन्होंने राज्यपाल कोश्यारी और केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि मोदी राज में राज्यपाल भाजपा कार्यकर्त्ता के रूप में काम कर रहे हैं। रावत की इस टिप्पणी से सूबे में सियासत गरमाने के आसार हैं। दोनों पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और भगत सिंह कोश्यारी सूबे की सियासत में एकदूसरे के धुर विरोधी माने जाते हैं।

महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ गठबंधन में चल रही उद्धव सरकार ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को बीते रोज राजकीय विमान से यात्रा की अनुमति देने से इन्कार कर दिया था। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी मसूरी आने के लिए बीते रोज राजकीय विमान में सवार हुए थे, लेकिन राज्य सरकार से अनुमति नहीं मिलने पर उन्हें विमान से उतरना पड़ा था। इसके बाद उन्हें वाणिज्यिक विमान से यात्रा करनी पड़ी थी। बाद में मीडिया से बातचीत में राज्यपाल कोश्यारी ने इसे सामान्य घटना करार तो दिया, लेकिन निजी यात्रा पर नहीं आने की बात कहकर उन्होंने उद्धव सरकार पर परोक्ष निशाना साधा था।

भाजपा इस मामले में खासी मुखर है। पूर्व मुख्यमंत्री कोश्यारी प्रदेश में भाजपा के बड़े नेताओं में शामिल रहे हैं। प्रदेश भाजपा को महाराष्ट्र सरकार का रवैया खासा नागवार गुजरा है। अब इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने महाराष्ट्र सरकार का बचाव और राज्यपाल व मोदी सरकार को निशाने पर लेकर सियासी गर्मी बढ़ा दी है। शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में चाहे कोश्यारी हों या बंगाल के राज्यपाल या दूसरे राज्यों में नियुक्त किए गए राज्यपाल, ये सभी पार्टी के कार्यकर्त्ता के रूप में काम कर रहे हैं। शायद केंद्र सरकार ने ही इन्हें राज्यों में संविधान पर ताला लगाकर रखने के लिए विशेष ताले दिए हैं।

रावत ने आगे कहा कि महामहिम के तौर पर यदि संविधान में बैठे व्यक्ति द्वारा बात की जाएगी, तब ही संविधान पद की बात हो सकती है। मौजूदा हालात में ऐसा नहीं है। राज्यपाल अपनी गरिमा खोकर पार्टी के कार्यकर्त्ताओं के तौर पर व्यवहार कर रहे हैं।

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