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डेंगू, स्वाइन फ्लू, जीका वायरस से निपटने को स्वास्थ्य विभाग तैयार

डेंगू मलेरिया के अलावा स्वाइन फ्लू जीका वायरस जापानी इन्सेफलाइटिज जैसे रोगों को फैलने से रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है।

By BhanuEdited By: Updated: Tue, 28 May 2019 12:20 PM (IST)
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डेंगू, स्वाइन फ्लू, जीका वायरस से निपटने को स्वास्थ्य विभाग तैयार
देहरादून, जेएनएन। अब राज्य का स्वास्थ्य विभाग डेंगू, मलेरिया के अलावा स्वाइन फ्लू, जीका वायरस, जापानी इन्सेफलाइटिज जैसे रोगों को फैलने से रोकने के लिए विभागीय स्तर पर ढांचागत एवं वित्तीय व्यवस्थाओं को अधिक सुदृढ़ करने की दिशा में काम करेगा। स्वास्थ्य महानिदेशक ने बताया कि विभाग उक्त रोगों के नियंत्रण एवं बचाव के साथ-साथ जागरूकता के भी पर्याप्त बजट की व्यवस्था करने जा रहा है। 

राज्य में डेंगू, मलेरिया व स्वाइन फ्लू से बचाव एवं नियंत्रण को लेकर स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. रविंद्र थपलियाल ने विभागीय तैयारियों की समीक्षा की। साथ ही वैक्टर जनित रोग व स्वाइन फ्लू की जांच की राज्य में कारगर व्यवस्था बनाने पर विचार-विमर्श किया। 

महानिदेशक ने सरकारी अस्पतालों में दवा की उपलब्धता, बचाव से संबंधित व्यवस्था आदि सुनिश्चित करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। उन्होंने कहा कि डेंगू, मलेरिया, स्वाइन फ्लू, जापानी इन्सेफलाइटिस आदि के लिए प्राय: बजट की कमी देखी गई है। जागरूकता के लिए प्रचार-प्रसार का बजट भी सीमित रहता है। ऐसे में अधिकारी आवश्यक बजट का प्रस्ताव उपलब्ध कराएं। ताकि समय पर इसकी व्यवस्था की जा सके। 

बैठक में एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम एवं वैक्टर जनित कार्यक्रम को भी सुदृढ़ बनाने पर विचार किया गया। राज्य नोडल अधिकारी डॉ. पंकज कुमार सिंह ने मैदानी जनपदों खासकर ऊधमसिंहनगर व हरिद्वार को डेंगू, मलेरिया के लिए अति संवेदनशील बताया। इन जनपदों की सीमा से लगे उप्र के जनपदों के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ निरंतर समन्वय की आवश्यकता बताई। 

साथ ही विभागीय रणनीति की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि डेंगू, मलेरिया के प्रभावी नियंत्रण के लिए आशा एवं अन्य कार्मिकों को प्रशिक्षण और संचारी रोगों के बारे में नियमित जानकारी दी जा रही है। 

बैठक में स्वास्थ्य निदेशक डॉ. अमिता उप्रेती, एनएचएम निदेशक डॉ. अंजलि नौटियाल, वित्त निदेशक डॉ. शैलेंद्र शंकर सिंह, राष्ट्रीय कार्यक्रम की अपर निदेशक डॉ. सरोज नैथानी, अपर निदेशक डॉ. शिशुपाल नेगी समेत तमाम अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। 

डायरिया पखवाड़े पर अड़ंगा, दवा ही नहीं खरीद पाया महकमा

प्रदेश में डायरिया पखवाड़े पर एक बार फिर अड़ंगा लग गया है। इसका आयोजन 28 मई से होना था, लेकिन विभाग अभी दवा तक नहीं खरीद पाया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आचार संहिता के कारण दवाओं की खरीद नहीं हो पाई। अब प्रक्रिया शुरू की जा रही है। जुलाई मध्य तक ही डायरिया पखवाड़ा शुरू हो पाएगा।

प्रदेश में पहले 28 मई से सघन डायरिया नियंत्रण पखवाड़े की शुरुआत होनी थी। पर अभी तक न ओआरएस खरीदा गया है और न जिंक टैबलेट। प्रदेश में आचार संहिता लगी थी और इस दौरान किसी भी नए कार्य के लिए निर्वाचन आयोग की अनुमति लेनी होती है। जिस पर पिछले दिनों विभाग ने फाइल स्वीकृति के लिए भेजी थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में यह अभियान अटक गया है। 

बता दें, डायरिया के खिलाफ हर साल अभियान चलाया जाता है। गत वर्ष प्रदेशभर में तकरीबन साढ़े 11 लाख बच्चों को ओआरएस व जिंक की गोली दी गई थी। अस्पतालों व आगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से इन्हें वितरित किया गया। यह अलग बात है कि पिछले साल भी अभियान कई बार स्थगित करना पड़ा। अभियान जून में होना था, पर यह सितंबर में हो सका था। 

दीगर है कि डायरिया पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। एक सर्वे के अनुसार इस आयु वर्ग के बच्चों में होने वाली कुल मुत्यु का 10 प्रतिशत कारण डायरिया है। इस कारण बच्चों में कुपोषण का स्तर बढ़ जाता है और शारीरिक विकास बाधित होता है। 

इसे देखते हुए डायरिया से बचाव एवं रोकथाम के लिए प्रदेश स्तर पर अभियान चलाया जाता है। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. रविंद्र थपलियाल ने बताया कि जुलाई मध्य तक यह अभियान शुरू हो पाएगा। इस बीच दवा आदि की खरीद की जाएगी।

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