स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हालः 108 एंबुलेंस में तेल नहीं, गर्भवती को लौटाया
यमकेश्वर प्रखंड के गंगा भोगपुर मल्ला क्षेत्र में एक गर्भवती के लिए ऋषिकेश की 108 सेवा ने तेल ना होने की बात कहकर आने से इन्कार कर दिया।
By BhanuEdited By: Updated: Wed, 13 Mar 2019 10:44 PM (IST)
ऋषिकेश, जेएनएन। तीर्थ नगरी में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत किसी से छिपी नहीं है। 108 सेवा पहले ही बे पटरी हो रखी हैं। अब जिम्मेदारों को किसी का डर नही है। यही कारण है कि यमकेश्वर प्रखंड के गंगा भोगपुर मल्ला क्षेत्र में एक गर्भवती के लिए ऋषिकेश की 108 सेवा ने तेल ना होने की बात कहकर आने से इन्कार कर दिया। महिला के परिजन राजकीय चिकित्सालय पहुंचे तो यहां भी राहत नहीं मिली। बाद में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में महिला ने सामान्य प्रसूति से शिशु को जन्म दिया।
यमकेश्वर प्रखंड के गंगा भोगपुर मल्ला और तल्ला क्षेत्र के लिए राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश सबसे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र है। इस क्षेत्र में ऋषिकेश की ही 108 सेवा काम करती है। गंगा भोगपुर मल्ला की क्षेत्र पंचायत सदस्य सीता देवी रणाकोटी ने बताया कि उनकी पुत्रवधू रंजना पत्नी सुनील कुमार को सोमवार की सुबह प्रसव पीड़ा हुई। उनके पति ने राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश की 108 सेवा को फोन किया तो वहां से जवाब मिला कि वाहन में तेल नहीं है। यह स्थिति तब है जब 108 सेवा संचालन करने वाली संस्था का सरकार से अनुबंध अभी 31 मार्च तक बरकरार है।
किसी तरह से निजी वाहन के जरिये गर्भवती महिला को राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश लाया गया। क्षेत्र पंचायत सदस्य सीता देवी का कहना है कि वहां मौजूद स्टाफ ने यह कहकर भर्ती करने से इन्कार कर दिया कि गर्भस्थ शिशु की स्थिति ठीक नहीं है। किसी तरह से महिला के परिजन उसे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश ले गए। जहां नॉर्मल डिलीवरी हुई और महिला ने स्वस्थ कन्या को जन्म दिया। एम्स में महिला और शिशु दोनों स्वस्थ हैं।
क्षेत्र पंचायत सदस्य सीता देवी रणाकोटी ने बताया कि उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी देहरादून को पूरे मामले जानकारी देते हुए आवश्यक कार्रवाई की मांग की है। इस मामले में राजकीय चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ एनएस तोमर से जब संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका सरकारी मोबाइल स्विच ऑफ था। पंद्रह दिन से सीटी स्कैन ठप, मरीज परेशान
दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय की सीटी स्कैन मशीन पिछले 15 दिन से ठप है। इस वजह से मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें निजी सेंटर पर कई गुना अधिक दाम पर जांच करानी पड़ रही है। बता दें, अस्पताल में न केवल शहर बल्कि प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्र व यूपी-हिमाचल से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं। यहां रोजाना 35 से 40 सीटी स्कैन होते हैं। पर करीब 15 दिन से मशीन ठप पड़ी हुई है।
अस्पताल में सिर का सीटी स्कैन 1418 रुपये, पूरे शरीर का सीटी स्कैन 2126 रुपये में होता है। बीपीएल मरीजों की जांच मुफ्त है। वहीं, निजी रेडियोलॉजी सेंटर में सिर का सीटी स्कैन 2500 और पूरे शरीर का पांच से छह हजार रुपये में होता है। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि 15 वर्ष पुरानी सीटी स्कैन मशीन को रिपेयर करने में करीब 40 लाख रुपये का खर्च आएगा। इसके लिए शासन से अनुमति ली जा रही है। एमसीआइ के मानकों के अनुसाल 64 स्लाइस की मशीन की आवश्यकता है। जिसकी खरीद की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। अब रेडियोलॉजिस्ट डॉ. मनोज शर्मा व एमआरआइ इंचार्ज महेंद्र भंडारी मशीन का डेमो लेने जा रहे हैं। अगले सप्ताह तक फाइनेंशियल बिड खुलने के साथ ही मशीन का ऑर्डर भी हो जाएगा। नई मशीन मिल जाने पर इस तरह की दिक्कत नहीं आएगी।
चिकित्सकों की तैनाती से अब होने लगा मरीजों का इलाज
तहसील त्यूणी के राजकीय अस्पताल में अब मरीजों का इलाज होने लगा है। स्थानीय चिकित्सक की तैनाती होने से दूर-दराज के ग्रामीण मरीजों को घर के पास उपचार मिलने से राहत मिल रही है। हमेशा खाली रहने वाले इस अस्पताल में अब इलाज के लिए आए दिन सैकड़ों मरीज पहुंच रहे हैं। तहसील त्यूणी में दूर-दराज के मरीजों की सुविधा को खोले गए राजकीय अस्पताल को पहले रेफर सेंटर कहा जाता था। कुछ समय पहले स्थानीय निवासी डॉ. नरेंद्र राणा की पोस्टिंग त्यूणी अस्पताल में प्रभारी चिकित्साधिकारी के पद पर होने से मरीजों की परेशानी कुछ हद तक कम हो गई है। बृनाड़-बास्तील के रहने वाले प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. नरेंद्र राणा व क्वानू-मंझगांव निवासी डाक्टर दंपति समेत तीन चिकित्सकों की तैनाती से त्यूणी अस्पताल की व्यवस्थाएं बदल लगी है। लोगों का कहना है कि प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. नरेंद्र राणा के कार्यभार संभालने से तहसील क्षेत्र के एकमात्र सबसे बड़े राजकीय अस्पताल में मरीजों को स्वास्थ्य सेवा का लाभ मिल रहा है।
त्यूणी अस्पताल में क्षेत्र के साठ से ज्यादा गांवों के हजारों लोगों की स्वास्थ्य सेवा का जिम्मा हैं। यहां प्रतिदिन सौ से डेढ़ की ओपीडी होती है। जबकि महीने में औसतन दस से बारह केस डिलीवरी के आते हैं। पहले रेफर सेंटर कहे जाने वाले त्यूणी अस्पताल में अब दूर-दराज के मरीजों को इलाज के लिए भर्ती किया जा रहा है। जिनमें ज्यादात्तर मरीज दमे और सांस लेने की परेशानी से पीड़ित हैं। प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. नरेंद्र राणा ने कहा कि उनका प्रयास मरीजों का बेहतर ढंग से उपचार करना है। जिसके लिए हर संभव कोशिश की जा रही है। आठ बैड की क्षमता वाले त्यूणी अस्पताल में मरीजों के इलाज को संसाधन जुटाने को सरकार और निजी संसाधनों से सहयोग मांगा गया है।
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