उत्तराखंड में बारिश का कहर, 10 मरे और 17 लापता; केदारनाथ पैदल यात्रा रोकी
सूबे के अलग-अलग हिस्सों में बारिश कहर बनकर टूटी है। नालों के उफान और मलबे के साथ बहने से दस लोगों की मौत हो गई जबकि अन्य 17 लोग अभी लापता हैं।
By BhanuEdited By: Updated: Mon, 19 Aug 2019 08:28 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में मौसम का मिजाज खतरनाक होता जा रहा है। गुजरे चौबीस घंटों के अंतराल में बादल फटने, नदी नालों के उफान और भूस्खलन की घटनाओं में 10 लोगों की जान चली गई, जबकि 17 लापता बताए जा रहे हैं। उनकी खोजबीन की जा रही है। लापता लोगों की संख्या बढ़ भी सकती है। वहीं, मौसम विभाग के भारी बारिश के अलर्ट के बाद 11 जिलों के जिलाधिकारियों ने सोमवार को सभी शिक्षण संस्थानों में अवकाश घोषित कर दिया है।
उत्तरकाशी जिले की मोरी तहसील के आराकोट क्षेत्र के गांवों में सबसे ज्यादा कहर बरपा। यहां बादल फटने के बाद उफान पर आए बरसाती नालों ने तबाही मचाई। भारी मात्रा में पानी और मलबा आसपास के गांवों तक आ पहुंचा। इसमें एक ही परिवार के आठ सदस्यों समेत 22 लोग मलबे और नालों के उफान में गुम हो गए। इनमें पांच बच्चे भी हैं। देर रात तक इनमें से सात के शव बरामद कर लिए गए, बाकी की तलाश जारी है। रास्ते बंद होने की वजह से रेस्क्यू टीमें उत्तरकाशी के प्रभावित गांवों तक नहीं पहुंच पाईं। राजस्व टीम के साथ ग्रामीण खुद ही बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। यहां 50 से ज्यादा मकान और इतने ही दुकानें मलबे में दब गईं।
नालों के उफान का पानी समाने के बाद उत्तराखंड और हिमाचल की सीमा पर बहने वाली पावर नदी ने भी रौद्ररूप ले लिया। इसकी लहरें त्यूणी बाजार तक पहुंचने के मद्देनजर यहां सौ से ज्यादा दुकानों को खाली करा दिया गया है। प्रभावित इलाकों में संचार नेटवर्क ध्वस्त हो रखा है। अल्मोड़ा जिले के सीमावर्ती इलाके में रामनगर से गैरसैंण जा रही एक यात्री बस बरसाती नाले के उफान में करीब 20 मीटर तक बही। उसमें 30 लोग सवार थे, ग्रामीणों की मदद से सवारियों को रेस्क्यू किया गया, जबकि चालक का अभी तक कुछ पता नहीं चला है।
देहरादून के मालदेवता इलाके में पिकनिक मनाने गया परिवार के सात सदस्य वाहन समेत नदी में बह गए। इनमें से छह को एसडीआरएफ ने बचा लिया, जबकि एक महिला की मौत हो गई। टिहरी में चारा लेने गई महिला पर पेड़ गिर गया, उसकी मौके पर मौत हो गई। बारिश और भूस्खलन से राज्यभर में काफी संख्या में पैदल रास्ते, पैदल पुलिया, संपर्क मार्ग ध्वस्त हो गए। हाईवे और चारधाम यात्रा पर भी मौसम ने असर डाला है।
राजमार्गों पर एक से डेढ़ हजार लोगों के फंसे होने का अनुमान है। इन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के प्रयास चल रहे हैं। रास्ते बंद होने के कारण धामों में भी कुछ तीर्थयात्री फंसे हुए हैं। प्रदेश में 162 से ज्यादा संपर्क मार्ग अवरुद्ध हैं।
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 210 किलोमीटर दूर हिमाचल प्रदेश की सीमा से सटी मोरी तहसील के आराकोट न्याय पंचायत क्षेत्र में रविवार सुबह करीब साढ़े तीन बजे तीन स्थानों पर बादल फटा। इसके चलते यहां बरसाती नालों में उफान आ गया। उफान की स्थिति यह थी कि लोगों के घर भूकंप जैसी स्थिति में हिलने लगे। लोगों की नींद टूटी तो जलजला उनके घरों के करीब तक पहुंच चुका था। अफरा-तफरी में उन्होंने जान बचाने के लिए इधर-उधर दौड़ लगाई।
इस बीच आराकोट में राइंका के प्रवक्ता बृज कुमार, उनकी 18 साल की बेटी संगीता के साथ ही एक अन्य शिक्षक की पत्नी, उद्यान विभाग के एक कर्मचारी, एक बच्चे समेत कुछ अन्य लोग मलबे और उफान की चपेट में आग गए। इसी दरिम्यान माकुड़ी गांव मेंं एक मकान जमीदोंज हो गया, उसमें रह रहे आठ सदस्य मलबे में दब गए। निकटवर्ती गांव टिकोची में रह रहे नेपाल मूल के पांच मजदूरों को भी नाले का उफान साथ बहा ले गया।
देर रात तक इन गांवों में सात शव बरामद कर लिए गए थे। इनकी पहचान माकुड़ी चतर सिंह रावत (50) उनकी पत्नी कला देवी (45), किशन सिंह की पत्नी कलावती (40), उनकी पुत्री रीतिका निवासी माकुड़ी, शोभा देवी पत्नी मोहन लाल निवासी आराकोट, नेपाल मूल के कालूराम के रूप में हुई। एक बच्ची की शिनाख्त नहीं हो पाई। लापता अन्य 15 लोगों की खोजबीन की जा रही है। उत्तरकाशी के आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने 7 शव मिलने और 15 लोगों के लापता होने की पुष्टि की।
संचार नेटवर्क ध्वस्त होने की वजह से प्रभावित गांवों से नुकसान की सटीक रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है। विभिन्न स्रोतों से उपलब्ध सूचनाओं के अनुसार आराकोट, मोल्डी, टिकोची, माकुड़ी, किराणू, ढुचाणू, डिगोली गांव में 50 से अधिक आवासीय भवन और इतनी ही संख्या में दुकानें जलजले की चपेट में आए हैं। इन गांवों के लोगों ने बागीचों और जंगल की ओर भागकर जान बचाई।टिकोची और आराकोट में 10 पुलिया और एक दर्जन से अधिक वाहन भी बह गए हैं। टिकोची में अस्पताल और इंटर कालेज का भवन भी ध्वस्त हो गया है। सड़क, संचार और विद्युत सेवा से यह क्षेत्र पूरी तरह से कट गया है। उपलब्ध सूचना के अनुसार आराकोट में 25 भवन, टिकोची में अस्पताल, इंटर कालेज सहित 20 भवन, मोल्डी गांव में दस भवन, माकुड़ी में 18 भवन, किराणू में दो भवन, एराला में दो भवन बह गए हैं। टिकोची और आराकोट में एक दर्जन से अधिक वाहन नालों के उफान में बह गए। नागवाड़ा, ऐराला, मोल्डी, मालना सहित, टिकोची, चिवां सहित आदि स्थानों 10 से अधिक पुलिया बह गई है। रात के समय में ही आराकोट, मोल्डी, टिकोची, माकुडी, किराणू, ढुचाणू, डिगोली गांव के ग्रामीण जान बचाने के सुरक्षित स्थानों बागीचों और जंगल की ओर भागे। घटनाक्रम में कुछ लोगों के चोटिल होने की भी सूचना है। तहसील मुख्यालय मोरी से आराकोट और टिकोची चिवां को जोडऩे वाला मार्ग पर भी पूरी तरह बंद है। रेस्क्यू टीम हिमाचल के पंद्राणू से ईसाली पुल होते हुए पैदल आराकोट के लिए रवाना हुई है। यह क्षेत्र बिजली, संचार और सड़क से पूरी तरह से कट गया है। वहां के लोगों से संपर्क भी नहीं हो पा रहा है। सड़कें बंद होने के कारण प्रभावित क्षेत्रों में पैदल ही रेक्क्यू टीमें रवाना कर दी गई हैं। देर शाम डीएम डा. आशीष श्रीवास्तव भी मौके के लिए रवाना हो गए। हेली रेस्क्यू के लिए मौसम साफ होने का इंतजार किया जा रहा है। भूस्खलन से बढ़ी दुश्वारियां उत्तराखंड में बारिश और भूस्खलन के चलते दुश्वारियां का दौर जारी है। चमोली जिले के पैनी और सेलंग इलाके में बरसाती नाले के उफान में पांच दुकानें ध्वस्त हो गईं, जबकि बदरीनाथ हाईवे दस मीटर बह गया। वहीं, चारधाम यात्रा मार्ग भी बार-बार अवरुद्ध हो रहे हैं। सुरक्षा के मुद्देनजर प्रशासन ने केदारनाथ पैदल यात्रा रोक दी है। पिथौरागढ़ के गणाईगंगोली में एक मकान ध्वस्त हो गया, उसमें रह रहा परिवार बाल-बाल बचा। चारधाम यात्रा मार्ग अवरुद्ध शनिवार से लेकर लगातार बारिश का दौर रविवार को भी जारी है। गढ़वाल से लेकर कुमाऊं के अधिकांश जिलों में रिमझिम बारिश हो रही है। इससे सड़कें बंद होने और उन्हें खोलने का सिलसिला जारी है। पौड़ी-श्रीनगर मुख्य मार्ग मल्ली के निकट मलबा आने से बंद हो गया। इस तरह रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाइवे बांसवाड़ा, डोलिया देवी, जामू नर्सरी के निकट फिर से बंद हो गया। बाद में डोलिया देवी व जामू नर्सरी के निकट सड़क खोल दी गई। रात भर से हो रही बारिश के चलते गंगोत्री हाईवे बड़ेथी चुंगी और हर्षिल के निकट अवरुद्ध है। यमुनोत्री हाईवे डाबरकोट के पास भूस्खलन से बंद है। बदरीनाथ हाईवे लामबगड़, टंगणी में बंद है। साथ ही चमोली जिले के 19 संपर्क मार्ग भी अवरुद्ध हैं।सड़क बहने से फंसे रहे पर्यटक उत्तरकाशी जिले के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हुई बारिश के कारण हर्षिल के निकट तिलगाड़ नाले में उफान में आर्मी कैंप और हर्षिल हैलीपैड के बीच गंगोत्री हाईवे करीब 20 मीटर हाईवे बह गया है। 100 मीटर क्षेत्र में हाईवे पर मलबा फैल गया। हाईवे के बंद होने से गंगोत्री और धराली में 150 पर्यटक व उनके वाहन फंसे रहे। देर रात पर्यटकों को निकाल लिया गया। हाईवे बहने से गंगोत्री धाम सहित भारत-चीन सीमा का संपर्क भी कट गया है। गंगोत्री धाम के लिए रवाना हुए यात्री हर्षिल से ही लौट आए। यहां पर हाईवे सुचारु करने के लिए बीआरओ के अधिकारी सहित 30 कर्मचारी मौजूद हैं। लेकिन, हर्षिल क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश के कारण हाईवे को सुचारु करने में बाधा खड़ी हो रही है। तिलगाड़ नाले के उफान से आर्मी कैंप और हैलीपैड को भी खतरा बना हुआ है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि जो पर्यटक व यात्री वहां फंसे हुए हैं उन्हें निकाला जा चुका है। पर्यटकों की गाड़ी बही, एक की मौत, दो लापतादिल्ली में रोहिणी से घूमने आए पर्यटकों की इनोवा कार नैनीताल जिले में धनगढ़ी नाले के उफान में बह गई। इसमें ड्राइवर समेत आठ लोग सवार थे। रेस्क्यू के बाद एक महिला का शव बरामद कर लिया गया है, दो पर्यटक लापता बताए जा रहे हैं। तीन बच्चों समेत चार घायलों को रामनगर स्थित सरकारी अस्पताल में भर्ती किया गया है। पेड़ की चपेट में आने से महिला की मौतटिहरी जिले के डखवाण गांव निवासी गुलाब सिंह की पैंतालीस वर्षीय मंगली देवी पर चारा काटते वक्त पेड़ गया। उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया। उस पर पहाड़ी से चीड़ का पेड़ गिरा, उस वक्त इलाके में मूसलाधार बारिश हो रही थी। टॉपू में फंसे, एसडीआरएफ ने बचायापौड़ी जिले के कोटद्वार स्थित सुखरो नदी में पूजा के लिए गए तीन लोग नदी में फंस गए। एसडीआरएफ की टीम ने तीनों को सुरक्षित बचा लिया। कलालघाटी निवासी सोनम पत्नी योगेश अपने पिता खुशालमणि और निंबूचौड़ निवासी पंडित सुनील कुमार के साथ रविवार सुबह सुखरो नदी के बीच में एक टापू पर पूजा कर रहे थे। तभी नदी का जलस्तर बढ़ गया और तीनों नदी में फंस गए। करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद उन्हें बचा लिया गया। गंगा के जल स्तर चेतावनी रेखा के करीबहरिद्वार व ऋषिकेश में गंगा के जलस्तर में शाम के वक्त अचानक वृद्धि हुई है। ऋषिकेश में शाम करीब 4 बजे गंगा का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया। राज्य की दूसरी नदियां भी उफान पर हैं। जिला प्रशासन ने इनके आसपास की बस्तियों को आगाह किया है।केदारनाथ पैदल यात्रा रोकी केदारनाथ पैदल ट्रैक पर पहाड़ी से रुक-रुक कर पत्थर गिरने के चलते पैदल यात्रा पूरे दिन रोके रखी गई। जिले में शनिवार सुबह से ही बारिश का दौर चल रहा है, संभावित खतरों को देखते हुए रविवार सुबह साढ़े दस बजे पैदल यात्रा रोकी गई। सोमवार को मौसम साफ होने की स्थिति में इसे पुन: चालू किया जाएगा। यहां करीब साढ़े तीन सौ यात्रियों को विभिन्न पड़ावों पर रोका गया है। बदरीनाथ में 300 श्रद्धालु फंसेबदरीनाथ हाईवे छह स्थानों पर पूरे दिन बाधित रहा। इसके चलते धाम में दर्शनों के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं में से करीब 300 मार्ग खुलने का इंतजार कर रहे हैं। बदरीनाथ जाने वाले यात्रियों को पांडुकेश्वर व जोशीमठ में रोका गया है।बैराजों से पानी छोड़ापर्वतीय इलाकों में शनिवार रात से हो रही बारिश के कारण रविवार को राज्य के नदियों पर बने कुछ बैराजों से अतिरिक्त पानी छोड़ा गया। डाकपत्थर बैराज से ढाई लाख क्यूसेक पानी यमुना में छोड़ा गया। टिहरी बांध से भी पानी छोड़ा गया। सिल्ट आने से विद्युत गृहों में उत्पादन भी प्रभावित रहा।तीन दुकानें बही और दो मलबे में दबीं चमोली जिले में शुक्रवार मध्य रात्रि मूसलाधार बारिश के चलते पैनी और सेलंग के बीच खनोटी नाला उफान पर आ गया। नाले में पत्थरों के टकराने की आवाज सुनकर दुकानों में रह रहे लोग इधर- उधर भागे। नाले के उफान में तीन दूकानें बह गई, जबकि दो दुकानें मलबे में दब गई। मलबा से दस मीटर हाईवे भी बह गया। यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में जानलेवा हुई बारिश, एक महिला की मौत; तीन लोग घायलनेशनल हाईवे टीम ने यहां पहाड़ी काटकर वाहनों की आवाजाही कराई। जोशीमठ के एसडीएम अनिल कुमार चन्याल के अनुसार नुकसान का आकलन किया जा रहा है। बारिश से सलूड़ डुंग्रा गांव में भूस्खलन से आधा दर्जन मकानों को खतरा पैदा हो गया है। नदी का जलस्तर बढ़ने से लोगों में दहशत देहरादून के जौनसार-बावर की सीमांत तहसील त्यूणी क्षेत्र में भारी बारिश के चलते टोंस और पावर नदी उफान पर है। सीमांत तहसील से सटे उत्तरकाशी के बंगाण क्षेत्र के टिकोची में भारी बारिश से पावर नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया है। त्यूणी में टोंस व पावर नदी का संगम होने की वजह से नदी की लहरें नया बाजार त्यूणी व गुतियाखाटल बस्ती क्षेत्र के लिए बड़ा खतरा बन गई हैं।टोंस व पावर नदी का जलस्तर बढ़ने से नया बाजार की कई दुकानों व लकड़ी से बने ढाबों तक नदी का पानी पहुंच गया है। इससे लोगों में दहशत का माहौल है। खासकर नदी किनारे बसे व्यापारियों में टोंस व पावर नदी के उफान पर होने से डर पैदा हो गया है। सुरक्षा की दृष्टि से स्थानीय प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है। टोंस व पावर नदी के उफान पर होने से गेट बाजार और नया बाजार को जोड़ने वाले झूला पुल को पानी की लहरें छू रही है। नया बाजार की सुरक्षा को बनी सिंचाई विभाग की सुरक्षा दीवार के आधे से ऊपर तक नदी का पानी पहुंचने से लोग सहमे हुए। गेट बाजार के पास नदी किनारे बने हेलीपैड तक टोंस नदी का पानी पहुंचने से लोगों में असुरक्षा का माहौल है।मकान टूटा, समय रहते घर के सदस्य बाहर निकलेकुमाऊं मंडल में भी आसमानी आफत बरसी। पिथौरागढ़ जिले के गणाईगंगोली तहसील क्षेत्र के भुनेड़ा गांव में बारिश से एक मकान ध्वस्त हो गया। इसमें रह रहे परिवार के छह सदस्यों के समय रहते बाहर निकल आने से बड़ा हादसा टल गया। चंपावत में शुक्रवार रात्रि से शनिवार पूरे दिन मलबा आने से एनएच बाधित रहा है। नैनीताल में सुबह झमाझम बारिश हुई।यह भी पढ़ें: उत्तराखंड के इन सात जिलों में 19 अगस्त तक डराता रहेगा मौसम, जानिएनौ जिलों में भारी बारिश का अलर्टराज्य मौसम केंद्र ने अगले चौबीस घंटों के दरम्यिान प्रदेश के नौ जिलों देहरादून, नैनीताल, पौड़ी, चंपावत, पिथौरागढ, रुद्रप्रयाग, टिहरी, पौड़ी और ऊधमसिंहनगर में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में आपदा का दंश: 58 दिन, 32 मौतें और 38 घायल
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।