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उत्तराखंड में आपदा का कहर, 39 दफन, 14 शव बरामद

चमोली और पिथौरागढ़ जिले में छह से ज्यादा स्थानों पर बादल फटने तबाही मच गई। यहां 39 लोग उफान के साथ आए मलबे में दब गए। इनमें से 14 के शव बरामद कर लिए गए हैं।

By sunil negiEdited By: Updated: Sat, 02 Jul 2016 07:51 AM (IST)

देहरादून, [जेएनएन]: मानसून की दस्तक उत्तराखंड में काल बनकर टूटी। गुरुवार मध्य रात्रि से शुक्रवार अलसुबह तक चमोली और पिथौरागढ़ जिले में छह से ज्यादा स्थानों पर बादल फटने तबाही मच गई। यहां 39 लोग उफान के साथ आए मलबे में दब गए। इनमें से 14 के शव बरामद कर लिए गए, जबकि पांच को घायल अवस्था में निकाल लिया गया। अन्य की खोजबीन जारी है।

पिथौरागढ़ की डीडीहाट तहसील के बस्तड़ी गांव में सर्वाधिक नुकसान हुआ। यहां 25 से 30 लोगों के मलबे में दबने की सूचना है। चमोली जिले के घाट, नंदप्रयाग और दशोली विकासखंड के गांवों में नौ लोग मलबे में दब गए। दोनों जिलों के प्रभावित क्षेत्रों में 60 से अधिक मकान क्षतिग्रस्त हो गए, जबकि प्रारंभिक सूचनाओं के मुताबिक करीब डेढ़ सौ मवेशी मारे गए। ये सभी इलाके जिला मुख्यालय से पूरी तरहअलग-थलग हो गए हैं।

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मुख्य मार्ग, संपर्क मार्ग और पैदल मार्ग अवरुद्ध होने से इन गांवों के लिए रवाना हुए एसडीआरएफ, अद्र्धसैनिक बलों और सेना के रेस्क्यू दल रास्तों में ही फंसे हुए हैं। डीडीहाट में मौसम की खराबी के चलते हेली रेस्क्यू भी नहीं हो पाया। यहां से दो घायलों को देहरादून लाया जाना था, लेकिन कई बार प्रयास के बाद भी हेलीकाप्टर लैंड नहीं कर पाया। प्रभावित इलाकों में संचार सेवाएं ठप हैं। इधर, बचाव एवं राहत कार्यों में राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन के दावों की पोल भी खुलकर सामने आई। राजधानी में शासन ने आपदा में 6 लोगों के मारे जाने और 19 के लापता होने की पुष्टि की है।

बादल फटने का क्रम रात करीब साढ़े बारह बजे डीडीहाट तहसील के दाफिला और कुमालगौनी गांवों से शुरू हुआ। कुमालगौनी गांव के ऊपरी इलाके में बादल फटने के बाद पानी और मलबा गांव की तरफ आने से एक मकान जमींदोज हो गया। इसमें रह रहे दंपती और उनका बेटा मलबे में जिंदा दफन हो गए। सुबह करीब सवा छह बजे बस्तड़ी गांव में उस वक्त कोहराम मच गया, जब 25 से 30 लोग एक ही जगह पर मलबे में दब गए।

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रिटायर्ड शिक्षक चंद्रबल्लभ के मकान को पानी से खतरा होने की सूचना पर आसपास के ये लोग वहां पहुंचे थे। शिक्षक और उनकी पत्नी को सकुशल घर से बाहर निकालने और मकान को पानी से बचाने का इंतजाम करने के बाद सभी लोग पास के ही एक घर में जमा हो रखे थे। तभी पानी और मलबे का रैला उन्हें रौंदते हुए गांव के आठ मकानों को जमींदोज कर निकल गया।

बताया गया कि गांव से करीब 50 मीटर ऊपर जंगल में बादल फटने के चलते यह तबाही हुई। उफान अपने साथ गांव तक पहुंचने वाले कच्चे-पक्के रास्तों को भी बहा ले गया। नतीजतन प्रभावित गांवों तक सरकारी अमला रेस्क्यू के लिए नहीं पहुंच पाया। इन गांवों के लिए निकले भारत तिब्बत सीमा पुलिस, एसडीआरएफ और असम राइफल्स के जवान रास्तों में ही फंसे हुए हैं।

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फिलहाल, आसपास के गांवों के लोग और स्थानीय पुलिस ही बचाव एवं राहत कार्यों में जुटी हुई है। पिथौरागढ़ के प्रभावित तीन गांवों में आपदा में 45 मकान क्षतिग्रस्त हो गए, डेढ़ सौ से ज्यादा मवेशी मारे गए। लगभग सौ मकानों को खतरा पैदा हो गया। जौलजीवी बरम के बीच खनपेरा के पास नाले में उफान से दो पुल और ग्रेफ का डिपो बहने की भी सूचना है।
चमोली जिले के घाट, नंदप्रयाग और दशोली ब्लाक में बादल फटने की घटनाएं हुईं। यहां अलग-अलग इलाकों में नौ लोग उफान में बह गए। घाट के सिरो गांव में बहे दो लोगों के शव बरामद कर लिए गये। मौसम के मिजाज को देखते हुए ये दोनों बचाव के लिए एक प्रतीक्षालय में बैठे थे।

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इसी इलाके में एक अन्य व्यक्ति भूस्खलन की चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल हो गया। घाट में दो, सितेल वादुक में एक, जाखणी सेरा में चार लोग लापता बताए जा रहे हैं। इनके नंदाकिनी नदी में बहने की खबर है। उफान में दस भवनों के क्षतिग्रस्त होने और 20 से 30 मवेशियों के मरने की भी सूचना है। आपदा के कहर से लोग दहशत में हैं।
मुख्यमंत्री ने घटना पर जताया गहरा दुःख

मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पिथौरागढ़ और चमोली जिले में भारी वर्षा व भूस्खलन से मृत लोगों के प्रति गहरा दुःख व्यक्त किया। उन्होंने इस घटना में मृत लोगों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये की राहत राशि देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दुःखद घटना है। प्रभावितों के साथ राज्य सरकार खड़ी है। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि घायलों को त्वरित उपचार उपलब्ध कराया जाए साथ ही अनुमन्य राहत राशि भी शीघ्र उपलब्ध कराई जाए।

नदियों का जलस्तर बढ़ा
पहाड़ों पर लगातार हो रही बारिश के चलते गंगा समेत सभी प्रमुख नदियों का जल स्तर बढ़ गया। चमोली जिले में अलकनंदा और नंदाकिनी नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। मंदाकिनी भी उफान पर है। हरिद्वार व ऋषिकेश में गंगा का जल स्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है। नदी किनारे व असुरक्षित स्थानों पर रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा गया है।
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पिथौरागढ़ में मृतकों की सूची

1 माधवानंद भट्ट(72) पुत्र मोती राम भट्ट
2. चंद्रबल्लभ(60) पुत्र जय दत्त
3. गिरीश चंद्र(35) पुत्र गोपाल दत्त भट्ट
4. रेवाधर भट्ट (45) पुत्र कृष्णानंद
5. रवींद्र भट्ट (45) पुत्र चंद्रबल्लभ
6. जहद सिंह(72) वर्ष पुत्र मदन सिंह
(सभी डीडीहाट के बस्तड़ी गांव निवासी)
7. बच्ची राम (45) पुत्र अज्ञात
8.पार्वती देवी (42) पत्नी बच्ची राम
9. मनोज कुमार(22) पुत्र बच्ची राम
(निवासी नौलड़ा कुमालगौनी-मुनस्यारी )
घायलों की सूची-
1. मंजू (50), पत्नी मोहन चंद्र
2. विनोद (21) पुत्र मोहन चंद्र
3. मोहन चंद्र (55) पुत्र हरी दत्त भट्ट
4. सुनीता(23) पुत्री मोहन चंद्र
5. नीलम (26) पत्नी कृष्णानंद
(सभी बस्तड़ी गांव निवासी)
लापता लोगों की सूची-
1. रमुली देवी(80) पत्नी हरि दत्त
2. सरस्वती देवी (60) पुत्री हरिदत्त
3. दीपा (40) पत्नी चंद्रबल्लभ भट्ट
4. रिया (10) पुत्री चंद्रबल्लभ
5. कृष्णानंद भट्ट (42) पुत्र डिगरदेव
6. खुशी (10) पुत्री कृष्णानंद
7. आर्यन (8) पुत्र कृष्णानंद
8. माया दत्त भट्ट (45) पुत्र मुरलीधर
9. जीवन (31) पुत्र चंद्रबल्लभ
10. शेखर भट्ट (35) पुत्र दामोदर
11. चंद्रकला (26) पत्नी शेखर भट्ट
12 . गिरीश चंद्र (28) पुत्र राम दत्त
13 . जगदीश चंद्र (50) पुत्र नारायण दत्त्त
14. इंदु देवी (43) पत्नी जगदीश चंद्र
15. गौरव (17) पुत्र मोहन चंद्र
(सभी बस्तड़ी गांव निवासी)

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