Hemkund Sahib Yatra 2020: हेमकुंड में लगातार बढ़ रही यात्रियों की संख्या, जानिए क्या है मान्यता और कैसे पहुंचे यहां
Hemkund Sahib Yatra 2020 हेमकुंड साहिब में श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। हालांकि इस साल कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन की वजह से हेमकुंड साहिब के कपाट सिर्फ 36 दिनों के लिए ही खोले गए। 10 अक्टूबर को यहां के कपाट बंद होने हैं।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Mon, 05 Oct 2020 05:03 PM (IST)
गोपेश्वर(जेएनएन), जेएनएन। Hemkund Sahib Yatra 2020 सिखों केे दसवें गुरु गोविंद सिंह की तपस्थली हेमकुंड साहिब में श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। हालांकि, इस साल कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन की वजह से हेमकुंड साहिब के कपाट सिर्फ 36 दिनों के लिए ही खोले गए। 10 अक्टूबर को यहां के कपाट बंद होने हैं। हेमकुंड के साथ ही लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी खोले गए। इस स्थान पर भी लगातार यात्रियों की आवाजाही हो रही है।
15225 फीट की ऊंचाई पर स्थित सिखों के पवित्र और सबसे ऊंचे तीर्थस्थल हेमकुंड साहिब में दिन-प्रतिदिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है। अभी तक यहां 5250 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। इस साल वैश्विक माहामारी कोरोना की वजह से चार सितंबर को हेमकुंड साहिब के कपाट खोले गए। गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के वरिष्ठ प्रबंधक सेवा सिंह ने कहा कि इस साल हेमकुंड साहिब के कपाट 10 अक्टूबर को बंद होंगे। इसबार कपाट केवल 36 दिनों के लिए खुले, जबकि हमेशा चार माह 10 दिन के लिए कपाट खोले जाते हैं।
ये है हेमकुंड साहिब कि मान्यता हेमकुंड साहिब में सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने पूर्व जन्म में दुष्टदमन के रूप में तपस्या की थी। गुरुवाणी में लिखा गया है कि हिमाच्छादित सात पर्वतों के बीच सरोवर के किनारे गुरु गोविंद सिंह ने तपस्या की थी। हेमकुंड साहिब सरोवर भी है।
लोकपाल लक्ष्मण मंदिरइस सरोवर के किनारे लोकपाल मंदिर भी है। लक्ष्मण मंदिर को लेकर मान्यता है कि पूर्व जन्म में लक्ष्मण ने यहां पर शेषनाग के रूप में तपस्या की थी।कैसे पहुंचे यहां ऋषिकेश से 280 किमी गोविंदघाट तक वाहन मार्ग से आने के बाद यहां से पुलना तक चार किमी सड़क सुविधा है। पुलना गांव से हेमकुंड साहिब के बेस कैंप घांघरिया की दूरी 10 और यहां से हेमकुंड साहिब छह किमी पर स्थित है। पैदल यात्रा के दौरान घोड़े, डंडी, कंडी की सुविधा है। हेमकुंड साहिब यात्रा का बेस कैंप हेमकुंड से छह किमी पहले घांघरिया है। इस रूट पर पर्याप्त रहने खाने की व्यवस्थाएं हैं। गोविंदघाट और घांघरिया में गुरुद्वारे हैं, जहां पर यात्रियों के लिए लंगर और रहने के लिए कमरे उपलब्ध हैं। इसके अलावा यहां पर होटल, रेस्टोरेंट भी है।
यह भी पढ़ें: क्या कभी देखा है किसी घाटी को रंग बदलते, नहीं तो यहां जरूर आएं और जानें वजह फूलों की घाटी भी है यहांहेमकुंड साहिब के बेस कैंप घांघरिया से फूलों की घाटी के लिए भी रास्ता है। फूलों की घाटी घांघरिया से तीन किमी पैदल चलकर पहुंची जा सकती है। घांघरिया में ही फूलों की घाटी यात्रा का बेस कैंप है। इस घाटी में 530 प्रजाति के फूल खिलते हैं। 2005 में यह घाटी विश्व धरोहर घोषित हुई।
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