अब पूर्वोत्तर के विकास को उत्तराखंड की हेस्को तकनीक
पूर्वोत्तर के विकास के लिए हेस्को तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। स्थानीय संसाधनों पर आधारित रोजगार को बढ़ाने के लिए हेस्को और मिनिस्ट्री ऑफ डोनर के बीच एमओयू साइन हुआ है।
देहरादून, [जेएनएन]: पूर्वोत्तर में स्थानीय संसाधनों पर आधारित रोजगार को बढ़ावा देने के लिए हिमालयी पर्यावरण अध्ययन एवं संरक्षण संस्था (हेस्को) और नार्थ ईस्ट काउंसिल (मिनिस्ट्री ऑफ डोनर) के बीच एमओयू साइन हुआ। दिल्ली के विज्ञान भवन स्थित नार्थ-ईस्ट मंत्रालय में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह पहल निश्चित रूप से नार्थ-ईस्ट में परिवर्तन लाएगी।हेस्को के संस्थापक पद्मश्री अनिल प्रकाश जोशी ने बताया कि नार्थ-ईस्टर्न रीजन कम्युनिटी रिसोर्स मैनेजमेंट प्रोजेक्ट (एनईआरसीओआरएमपी) के तहत कार्य होंगे और हर राज्य में रूरल नॉलेज हब बनाया जाएगा, जो एक सुविधा केंद्र के रूप में भी काम करेगा। हेस्को ने गांव आधारित जो तकनीक विकसित की हैं, उनका इस्तेमाल भी नॉर्थ-ईस्ट क्षेत्र में किया जाएगा। मुख्य रूप से घराट, ऊर्जा, फल संरक्षण को लेकर हेस्को काम करेगा। उन्होंने स्थानीय संसाधनों पर आधारित रोजगार को बढ़ावा देकर ही आर्थिकी में सुधार हेगा।
सचिव डोनर नवीन वर्मा ने कहा कि उम्मीद है कि जिस उद्देश्य को लेकर यह कार्यक्रम शुरू किया है, वह जरूर पूरा होगा। वह अपने दल के साथ देहरादून के शुक्लापुर स्थित हेस्को ग्राम भी गए थे। एमओयू पर हेस्को के संस्थापक अनिल प्रकाश जोशी और एनईआरसीओआरएमपी के प्रबंध निदेशक डॉ. एस चौधरी ने हस्ताक्षर किए। कार्यक्रम में एसएन प्रधान, जेके सिन्हा, राम मुहिवाह आदि मौजूद रहे।
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